संबलपुर: त्याग और बलिदान का त्योहार मुहर्रम शनिवार को पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाया गया लेकिन ओडिशा के संबलपुर में एक हिंदू परिवार ने मुहर्रम के दिन ताजिया निकालकर एक अनूठी मिसाल पेश की है. बताया जा रहा है कि संबलपुर का यह हिंदू परिवार है पीढ़ी दर पीढ़ी 360 साल से मुहर्रम के त्योहार को सेलिब्रेट कर रहा है और ताजिया के जुलूस में शामिल होते हैं.
संबलपुर के पाधिआरी हिंदू परिवार ने सांप्रदायिक सद्भाव का दुर्लभ उदाहरण पेश करते हुए मुहर्रम मनाने की अपनी 360 साल पुरानी परंपरा को जारी रखा है. बताया जाता है कि यह हिंदू पाधिआरी परिवार 1600 से मुहर्रम के उपलक्ष्य में हर साल इमाम हुसैन की कब्र की प्रतिकृति ताजिया निकालकर सांप्रदायिक सद्भाव फैलाने में एक मिसाल रहा है.
पाधिआरी परिवार के सदस्यों के अनुसार मुहर्रम मनाने के लिए ताजिया निकालने की परंपरा उनके पूर्वज जयदेब पाधिआरी ने शुरू की थी जो शादी से बचने के लिए घर से भाग गए थे. अपनी यात्रा के दौरान जयदेब मक्का पहुंचे, जहां उन्हें न केवल शरण मिली बल्कि वह एक ऐसी संस्कृति के संपर्क में भी आए, जिससे उन्हें प्यार हो गया. कुछ वर्षों के बाद वह दो मौलानाओं या विद्वान मुस्लिम नेताओं के साथ घर लौटे और संबलपुर के तत्कालीन शासक से ताजिया जुलूस के साथ मुहर्रम मनाने की अनुमति मांगी.
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संबलपुर राजा छत्र साई ने जयदेब के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की और पाधियारी परिवार ने मुहर्रम मनाने की वार्षिक परंपरा शुरू की. राजेंद्र पाधियारी ने कहा कि मेरे पूर्वजों की तरह हम हर साल एक ताजिया निकालते हैं. पधियारी परिवार बिना किसी की मदद के इस कार्यक्रम का आयोजन करता है. परिवार खुद ताजिया बनाता है और पड़ोसी मुहर्रम के जुलूस में शामिल होते हैं.