नई दिल्ली : कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई (Uttarakhand unit of Congress) में कुछ राहत की खबरों के बाद राज्य में 'एक परिवार, एक टिकट' (One family, One ticket) के फार्मूले ने नई चुनौती पैदा कर दी है. नए फॉर्मूले को लागू करना पार्टी के लिए मुश्किल नजर आ रहा है.
उत्तराखंड कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडे (Uttarakhand Congress Screening Committee President Avinash Pandey) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि 'एक परिवार, एक टिकट' का फॉर्मूला उत्तराखंड में लागू हो रहा है. हालांकि राज्य नेतृत्व अभी यह कहकर इसे स्वीकार नहीं कर रहा है कि इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.
यह मामला तब सामने आया जब बताया गया कि उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने बच्चों के लिए टिकट मांग रहे हैं. इसमें हरीश रावत के बेटे व बेटी के साथ ही प्रीतम सिंह के बेटे व यशपाल आर्य के बेटे (जो मौजूदा विधायक भी हैं) शामिल हैं.
उत्तराखंड स्क्रीनिंग कमेटी के एक सदस्य ने कहा कि यशपाल आर्य का मामला अलग है. वे दोनों मौजूदा विधायक की हैसियत से पार्टी में आए थे. इसलिए इस फॉर्मूले का कोई मतलब नहीं है. यह भी बताया जा रहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी इस फॉर्मूले के आधार पर अपना फैसला करेगी.
वहीं केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की चिंताओं को भी उठाया जाएगा और अंतिम निर्णय के आधार पर ही टिकट वितरण किया जाएगा. उत्तराखंड के लिए कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की दिल्ली के 15 जीआरजी में बैठक हुई है. समिति से सीईसी को भेजे जाने वाले नामों के पहले लॉट को अंतिम रूप देने की उम्मीद है.
यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तराखंड में एक परिवार, एक टिकट का फॉर्मूला लागू किया जाना चाहिए, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने ईटीवी भारत से कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि जीत का ही मापदंड होना चाहिए. यदि एक परिवार में एक से अधिक लोग हैं जो चुनाव जीतने में सक्षम हैं तो पार्टी द्वारा उन पर विचार किया जाना चाहिए.
उत्तराखंड में पार्टी के चुनाव अभियान के थीम सॉन्ग को लॉन्च करने के लिए आज कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि इस मामले पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और यह पार्टी आलाकमान को तय करना है.
यह फार्मूला पहले पंजाब में लागू किया गया था जो बाद में उत्तराखंड में अपनाया जाएगा. कांग्रेस ने यह कदम उठाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि पार्टी पर वंशवादी राजनीति का आरोप लगाया जाता है. इसके अलावा उत्तराखंड कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राज्य में पार्टी के चेहरे के फैसले पर भी संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है.
हरीश रावत द्वारा अपनी ही पार्टी के खिलाफ विद्रोह शुरू करने के बाद शीर्ष नेतृत्व ने उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया है क्योंकि वह उत्तराखंड के लिए अभियान समिति के प्रमुख हैं. हालांकि नेताओं का एक वर्ग अभी भी इस फैसले के पक्ष में नहीं है और मीडिया के सामने दावा कर रहा है कि कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. गौरतलब है कि गोदियाल रावत के करीबी माने जाते हैं.
उत्तराखंड कांग्रेस में रार जारी
उत्तराखंड कांग्रेस में रार थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव ने चुनाव को लेकर बड़ी बात कही है. इशारों में उन्होंने कहा उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव गणेश गोदियाल के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. उनका ये बयान इसलिए भी बड़ा है क्योंकि बीते दिनों हरीश रावत के पॉलिटिकल स्टंट के बाद कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया था.
उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव का बयान विवाद की एक बानगी भर है. उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव के इस बयान के पीछे हरीश रावत से नाराजगी भी हो सकती है. बीते दिनों हरीश रावत ने फेसबुक पोस्ट में बिना नाम लिए उनके हाथ-पैर बांधने और बीजेपी के हाथों में खेलने का आरोप भी देवेंद्र यादव पर लगाया था. उनके मीडिया सलाहकार ने इस पर खुलकर बात रखी थी.
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हरदा और देवेंद्र के बीच क्या है विवाद
16 दिसंबर को देहरादून के परेड ग्राउंड मैदान में राहुल गांधी की रैली हुई थी. उस रैली में हरीश रावत राहुल गांधी के लिए कुर्सी लेकर गए लेकिन उस कुर्सी को राहुल गांधी ने झटक दिया था. इसके पहले हरीश रावत के बेहद करीबी कांग्रेसी राजीव जैन मंच का संचालन कर रहे थे. राहुल के आने से ठीक पहले राजीव जैन ने मंच से हरीश रावत के लिए नारे लगवा दिए जिससे प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव नाराज हो गए. यादव ने फौरन राजीव को मंच संचालन से हटा दिया और किसी और को यह जिम्मेदारी दी गई.