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अफगानिस्तान संकट का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा : उमर अब्दुल्ला - अफगानिस्तान संकट

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का मानना है कि अफगानिस्तान संकट का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत की सीमाएं मजबूत हैं. उमर के मुताबिक, इस समय दूसरे देशों को अफगान नागरिकों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.

Omar Abdullah
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Published : Aug 17, 2021, 4:04 AM IST

Updated : Aug 17, 2021, 6:51 AM IST

हैदराबाद/ श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि अफगानिस्तान की स्थिति का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि हमारी सीमाएं मजबूत हैं और घुसपैठ नियंत्रण में है.

हैदराबाद स्थित गीतम विश्वविद्यालय में कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के छात्रों को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने युवाओं से आह्वान किया कि वे राजनीति में आएं और वंशानुगत राजनीति से हटकर नया विकल्प पेश करेंगे.

उमर अब्दुल्ला

उन्होंने छात्रों के कई सवालों के जवाब दिए. एक छात्र ने सवाल किया कि अगर वह वर्तमान में प्रधानमंत्री होते, तो अफगानिस्तान मुद्दे पर उनकी कैसे प्रतिक्रिया होती. इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा कि वह मानवीय दृष्टिकोण से कार्य करेंगे और अधिक से अधिक शरणार्थियों को आश्रय देंगे.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के अलावा अन्य मुद्दे भी पाकिस्तान-भारत विवाद से जुड़े हैं. जब तक कुछ चमत्कारी नहीं होता तब तक दोनों देशों के बीच आम सहमति नहीं बन सकती है.

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 भारत और जम्मू-कश्मीर के बीच एक संवैधानिक सेतु थी. इससे निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर के लोगों में निराशा हैं.

संसद में विपक्ष के हंगामे पर उन्होंने कहा कि विपक्ष को रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए और संसद में सार्वजनिक मुद्दों पर बहस करने की पहल करनी चाहिए.

इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था कि अफगानिस्तान की स्थिति अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की विदेश नीति की विरासत है. उन्होंने यह भी कहा कि बाइडेन अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप या किसी अन्य को युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद वहां पैदा हुई रिक्तता के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते.

यह भी पढ़ें- संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने तालिबान से जीवन की रक्षा के लिए संयम बरतने का किया आग्रह

काबुल हवाई अड्डे का वीडियो शेयर करते हुए उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, अफगानिस्तान से अमेरिका के चले जाने पर उससे (अमेरिका से) उन्हें कोई खुन्नस नहीं है लेकिन यह उस देश को छोड़ने का तरीका नहीं है. जो बाइडन, इसकी जिम्मेदारी आप पर आती है. आप ट्रंप या किसी अन्य को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते. आपने अंतिम तिथि तय की और रिक्तता पैदा की. यह आपकी नीति की विरासत है, गलती मत कीजिए.

हैदराबाद/ श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि अफगानिस्तान की स्थिति का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि हमारी सीमाएं मजबूत हैं और घुसपैठ नियंत्रण में है.

हैदराबाद स्थित गीतम विश्वविद्यालय में कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के छात्रों को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने युवाओं से आह्वान किया कि वे राजनीति में आएं और वंशानुगत राजनीति से हटकर नया विकल्प पेश करेंगे.

उमर अब्दुल्ला

उन्होंने छात्रों के कई सवालों के जवाब दिए. एक छात्र ने सवाल किया कि अगर वह वर्तमान में प्रधानमंत्री होते, तो अफगानिस्तान मुद्दे पर उनकी कैसे प्रतिक्रिया होती. इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा कि वह मानवीय दृष्टिकोण से कार्य करेंगे और अधिक से अधिक शरणार्थियों को आश्रय देंगे.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के अलावा अन्य मुद्दे भी पाकिस्तान-भारत विवाद से जुड़े हैं. जब तक कुछ चमत्कारी नहीं होता तब तक दोनों देशों के बीच आम सहमति नहीं बन सकती है.

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 भारत और जम्मू-कश्मीर के बीच एक संवैधानिक सेतु थी. इससे निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर के लोगों में निराशा हैं.

संसद में विपक्ष के हंगामे पर उन्होंने कहा कि विपक्ष को रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए और संसद में सार्वजनिक मुद्दों पर बहस करने की पहल करनी चाहिए.

इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था कि अफगानिस्तान की स्थिति अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की विदेश नीति की विरासत है. उन्होंने यह भी कहा कि बाइडेन अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप या किसी अन्य को युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद वहां पैदा हुई रिक्तता के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते.

यह भी पढ़ें- संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने तालिबान से जीवन की रक्षा के लिए संयम बरतने का किया आग्रह

काबुल हवाई अड्डे का वीडियो शेयर करते हुए उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, अफगानिस्तान से अमेरिका के चले जाने पर उससे (अमेरिका से) उन्हें कोई खुन्नस नहीं है लेकिन यह उस देश को छोड़ने का तरीका नहीं है. जो बाइडन, इसकी जिम्मेदारी आप पर आती है. आप ट्रंप या किसी अन्य को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते. आपने अंतिम तिथि तय की और रिक्तता पैदा की. यह आपकी नीति की विरासत है, गलती मत कीजिए.

Last Updated : Aug 17, 2021, 6:51 AM IST
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