नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेने का फैसला किया है. पुरानी नीति को फिर से बहाल करने का निर्देश दिया है. मौजूदा आबकारी नीति 31 जुलाई को खत्म हो रही है. नई आबकारी नीति का भाजपा और कांग्रेस द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है. बता दें कि 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू हुई थी. जिसके तहत सभी वार्डों में अनिवार्य तौर पर तीन शराब की दुकानें खोलने का लक्ष्य रखा गया था.
शुक्रवार देर रात नई आबकारी नीति लागू होने तक छह महीने की अवधि के लिए आबकारी नीति की पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू करने का निर्देश दिया गया. पुरानी आबकारी नीति एक अगस्त से लागू होने जा रही है. छह महीने में फिर से नई आबकारी नीति लाई जाएगी. इस संबंध में आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि नई नीति को लेकर दिल्ली में विरोध हो रहा था. इसे देखते हुए पुरानी नीति को फिर से लागू किया गया है. इसके अलावा डीएसआईआईडीसी (Delhi State Industrial and Infrastructure Development Corporation Limited), डीटीटीडीसी (Delhi Tourism and Transportation Development Corporation), डीसीसीडब्ल्यूएस (Delhi Consumer's Cooperative Wholesale Store Ltd) और डीएससीएससी (Delhi State Civil Supplies Corporation) के प्रमुखों के साथ समन्वय कर नई नीति बनाने का भी आदेश दिया गया है.
बता दें कि 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू हुई थी. इसके तहत 272 वार्ड में 849 दुकान खोलने का लक्ष्य रखा गया था. वहीं इस नीति का बीजेपी, कांग्रेस और जनता लगातार विरोध कर रही थी. इसके अलावा अनियमितता की शिकायत के बाद उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Lieutenant Governor Vinay Kumar Saxena) ने पिछले दिनों दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति (Excise Policy) की जांच की सिफ़ारिश CBI को सौंप दी थी.
नई आबकारी नीति में किस तरह की अनियमितता के हैं आराेपः
दिल्ली सरकार पर आरोप हैं कि नई आबकारी नीति के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद सीबीआई जांच की सिपारिश की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नई आबकारी नीति में नियमों की अनदेखी कर टेंडर दिए गए. साथ ही मनीष सिसोदिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं. मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस फीस माफी की गई. शराब कारोबारियों को टेंडर में 144.36 करोड़ की छूट दी गई.