ETV Bharat / bharat

पूर्व मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने से संबंधित मैसेज किया था सर्कुलेट, मिली जमानत - odisha high court

पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे पर जूता फेंकने से संबंधित मैसेज सर्कुलेट करने वाले एक व्यक्ति को ओडिशा हाईकोर्ट ने जमानत प्रदान कर दी. वह कोर्ट के फैसले से नाराज था. फैसला 2020 में सुनाया गया था. कोर्ट ने तब रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी थी.

etv bharat
ओडिशा हाईकोर्ट
author img

By

Published : Jul 12, 2021, 6:20 PM IST

भुवनेश्वर : ओडिशा हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को जमानत प्रदान कर दी, जिसने सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे पर हमला करने वाले एक संदेश को व्हाट्सएप पर सर्कुलेट किया था. 2020 में बोबडे ने अपने एक फैसले में रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी थी. इस फैसले से वह व्यक्ति नाराज हो गया था.

न्यायाधीश एसके पाणिग्रही की सिंगल पीठ ने यह फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि जितनी अवधि तक वह हिरासत में रह चुका है, इसे भी एक फैक्टर माना गया है. कोर्ट ने कहा कि इस वक्त हम केस के तथ्यों की बात नहीं कर रहे हैं.

हालांकि, कोर्ट ने जमानत के लिए कड़ी शर्तें भी लगाई हैं. कोर्ट ने कहा कि जब भी जांच अधिकारी उसे बुलाएंगे, उसे पेश होना होगा. वह भविष्य में किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा. जब तक कि जिला अदालत में इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है, तब तक वह कोर्ट की प्रत्येक सुनवाई में मौजूद रहेगा.

आरोपी पर धारा 153 (दंगा भड़काने के लिए उकसाना), 153 ए (धर्म, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153 बी (राष्ट्रीय एकता के लिए पूर्वाग्रह), 295 ए (धार्मिक भावना को आहत करना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), 505 (सार्वजनिक शरारत), 506 (आपराधिक धमकी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 एफ (साइबर आतंकवाद) के तहत आरोप लगाए गए थे.

आरोपी नेशनल चेयरमैन ऑफ धर्म रक्षक श्रीदारा सेना का सदस्य है. उसने अपने पक्ष में कहा कि रथ यात्रा की इजाजत नहीं देना हिंदुओं की भवानाओं को आहत करना है. और इसके लिए मुख्य न्यायाधीश ही जिम्मेवार हैं.

इसके लिए उसने व्हाट्सएप पर एक संदेश सर्कुलेट किया. इसमें उसने मुख्य न्यायाधीश बोबडे पर जूता फेंकने से संबंधित संदेश लिखा था.

सरकारी वकील ने उसकी जमानत का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सभी आरोप गंभीर हैं और इससे समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.

हाईकोर्ट ने प्रहलाद सिंह वर्सेस दिल्ली सरकार में दिए गए फैसले को उद्धृत करते हुए कहा कि यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि जमानत देने के प्रयोजनों के लिए विधायिका ने सबूत के बजाय विश्वास करने के लिए उचित आधार शब्दों का इस्तेमाल किया है, जिसका अर्थ है कि जमानत देने वाली अदालत केवल इसे संतुष्ट कर सकती है. क्या आरोपी के खिलाफ कोई वास्तविक मामला है और अभियोजन पक्ष आरोप के समर्थन में प्रथम दृष्टया सबूत पेश करने में सक्षम होगा. हम अभी केस के तथ्यों की बात नहीं कर रहे हैं. इसलिए आरोपी को जमानत प्रदान की जा रही है.

ये भी पढ़ें : जानें क्यों निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

भुवनेश्वर : ओडिशा हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को जमानत प्रदान कर दी, जिसने सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे पर हमला करने वाले एक संदेश को व्हाट्सएप पर सर्कुलेट किया था. 2020 में बोबडे ने अपने एक फैसले में रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी थी. इस फैसले से वह व्यक्ति नाराज हो गया था.

न्यायाधीश एसके पाणिग्रही की सिंगल पीठ ने यह फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि जितनी अवधि तक वह हिरासत में रह चुका है, इसे भी एक फैक्टर माना गया है. कोर्ट ने कहा कि इस वक्त हम केस के तथ्यों की बात नहीं कर रहे हैं.

हालांकि, कोर्ट ने जमानत के लिए कड़ी शर्तें भी लगाई हैं. कोर्ट ने कहा कि जब भी जांच अधिकारी उसे बुलाएंगे, उसे पेश होना होगा. वह भविष्य में किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा. जब तक कि जिला अदालत में इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है, तब तक वह कोर्ट की प्रत्येक सुनवाई में मौजूद रहेगा.

आरोपी पर धारा 153 (दंगा भड़काने के लिए उकसाना), 153 ए (धर्म, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153 बी (राष्ट्रीय एकता के लिए पूर्वाग्रह), 295 ए (धार्मिक भावना को आहत करना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), 505 (सार्वजनिक शरारत), 506 (आपराधिक धमकी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 एफ (साइबर आतंकवाद) के तहत आरोप लगाए गए थे.

आरोपी नेशनल चेयरमैन ऑफ धर्म रक्षक श्रीदारा सेना का सदस्य है. उसने अपने पक्ष में कहा कि रथ यात्रा की इजाजत नहीं देना हिंदुओं की भवानाओं को आहत करना है. और इसके लिए मुख्य न्यायाधीश ही जिम्मेवार हैं.

इसके लिए उसने व्हाट्सएप पर एक संदेश सर्कुलेट किया. इसमें उसने मुख्य न्यायाधीश बोबडे पर जूता फेंकने से संबंधित संदेश लिखा था.

सरकारी वकील ने उसकी जमानत का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सभी आरोप गंभीर हैं और इससे समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.

हाईकोर्ट ने प्रहलाद सिंह वर्सेस दिल्ली सरकार में दिए गए फैसले को उद्धृत करते हुए कहा कि यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि जमानत देने के प्रयोजनों के लिए विधायिका ने सबूत के बजाय विश्वास करने के लिए उचित आधार शब्दों का इस्तेमाल किया है, जिसका अर्थ है कि जमानत देने वाली अदालत केवल इसे संतुष्ट कर सकती है. क्या आरोपी के खिलाफ कोई वास्तविक मामला है और अभियोजन पक्ष आरोप के समर्थन में प्रथम दृष्टया सबूत पेश करने में सक्षम होगा. हम अभी केस के तथ्यों की बात नहीं कर रहे हैं. इसलिए आरोपी को जमानत प्रदान की जा रही है.

ये भी पढ़ें : जानें क्यों निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.