ETV Bharat / bharat

महामारी के बाद 30 प्रतिशत छात्र स्कूल नहीं लौटे : ओडिशा सरकार

author img

By

Published : May 14, 2022, 2:55 PM IST

कोरोना महामारी के बाद खुले स्कूल में लगभग 30 प्रतिशत छात्र वापस नहीं लौटे हैं. ओडिशा सरकार ने जिला कलेक्टरों से उन्हें वापस लाने की जिम्मेदारी सौंपी है.

30 प्रतिशत छात्र स्कूल नहीं लौटे
30 प्रतिशत छात्र स्कूल नहीं लौटे

भुवनेश्वर : महामारी के दो साल के अंतराल के बाद स्कूल तो खुल गए हैं परंतु लगभग 30 प्रतिशत छात्र स्कूलों में वापस नहीं लौटे हैं. स्कूल से अनुपस्थित चल रहे छात्रों की संख्या ने ओडिशा सरकार को हिला दिया है. इसका संज्ञान लेते हुए ओडिशा सरकार ने जिला कलेक्टरों को उन्हें वापस लाने की जिम्मेदारी सौंपी है. स्कूल और जन शिक्षा विभाग के सचिव बीपी सेठी ने जिलों को लिखे पत्र में कहा कि जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) द्वारा उपलब्ध कराए गए स्कूलों से दैनिक उपस्थिति के आंकड़ों का विश्लेषण में पता चला है कि लगभग 70 प्रतिशत छात्र ही कक्षाओं में लौटे हैं. इससे स्पष्ट है कि शेष यानी 30 प्रतिशत छात्र स्कूल से नदारद हैं.

सचिव ने कहा कि विस्तृत विश्लेषण में यह देखा गया कि मलकानागिरी, बौध, गजपति, संबलपुर और नुआपाड़ा जैसे जिलों में कक्षा 1 से 5 तक की उपस्थिति राज्य के औसत से कम है. वहीं मलकानागिरी, बौध, संबलपुर और नुआपाड़ा जिलों में कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों की उपस्थिति के आंकड़े निराशाजनक है. सेठी ने कहा कि माध्यमिक खंड में गजपति, बोलांगीर, बरगढ़, सोनपुर, नुआपाड़ा, कटक, खोरधा, कोरापुट, गंजम, बौध, मलकानगिरी, क्योंझर, संबलपुर के स्कूलों में उपस्थिति राज्य के औसत से कम है. साथ ही गजपति, सोनपुर, बड़ागढ़, कंधमाल और नुआपाड़ा में उच्च माध्यमिक कक्षाओं में कुल उपस्थिति चिंतनीय है.

"उपरोक्त आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं और अनुपस्थित छात्रों के नए ठिकानो का पता लगाने की जरूरत है. ऐसा हो सकता है, ये छात्र जो ऑफलाइन कक्षाओं में भाग नहीं ले रहे हैं, शायद वे अपने माता-पिता के साथ कहीं पलायन कर गए हों. महामारी की स्थिति और अन्य कारणों से शिक्षण कार्य में रुचि खो चुके हों. जिसके गहन अध्ययन की आवश्यकता है. स्कूल और जन शिक्षा विभाग की समीक्षा में यह भी मिला कि कक्षा 8 से पास होने वाले कई छात्रों नें कक्षा 9 में प्रवेश नहीं लिया है.

सेठी ने जिला कलेक्टरों से कहा, "हमें छात्रों को कक्षा में वापस लाने के लिए स्थान-विशेष रणनीति बनानी होगी. इसको ध्यान में रखकर विभाग अनुपस्थित छात्रों को वापस लाने की रणनीति बनाए. उन्होंने कलेक्टरों को स्कूल स्तर पर सर्वेक्षण करने के लिए कहा. साथ ही छात्र कक्षाओं में भाग नहीं ले रहे उनकी सूची बनाए. स्कूलों में तैनात कनिष्ठ शिक्षकों को अनुपस्थित छात्रों के स्कूल से उनकी अनुपस्थिति का कारण जानने के लिए उनके घर भेजा जाए.

इन शिक्षकों को छात्रों और उनके माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना चाहिए. छात्र को स्कूल भेजने के लाभ और सरकार द्वारा द्वारा दिए जा रहे सुविधाएं जैसे मुफ्त किताबें, मुफ्त वर्दी, मिड डे मिल और छात्रवृति आदि से अवगत कराएं. इस कार्य में पंचायत सदस्यों और महिला स्वयं सहायता समूहों की मदद लें. छात्रों को सीखने के नुकसान से उबरने में मदद करने के लिए सरकार द्वारा लर्निंग रिकवरी प्लान (एलआरपी) लागू किया जा रहा है, इसलिए छात्रों की अधिकतम उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए.

यह भी पढ़ें-पंजाब : स्कूलों में 1-30 जून तक होगी गर्मी छुट्टी

पीटीआई

भुवनेश्वर : महामारी के दो साल के अंतराल के बाद स्कूल तो खुल गए हैं परंतु लगभग 30 प्रतिशत छात्र स्कूलों में वापस नहीं लौटे हैं. स्कूल से अनुपस्थित चल रहे छात्रों की संख्या ने ओडिशा सरकार को हिला दिया है. इसका संज्ञान लेते हुए ओडिशा सरकार ने जिला कलेक्टरों को उन्हें वापस लाने की जिम्मेदारी सौंपी है. स्कूल और जन शिक्षा विभाग के सचिव बीपी सेठी ने जिलों को लिखे पत्र में कहा कि जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) द्वारा उपलब्ध कराए गए स्कूलों से दैनिक उपस्थिति के आंकड़ों का विश्लेषण में पता चला है कि लगभग 70 प्रतिशत छात्र ही कक्षाओं में लौटे हैं. इससे स्पष्ट है कि शेष यानी 30 प्रतिशत छात्र स्कूल से नदारद हैं.

सचिव ने कहा कि विस्तृत विश्लेषण में यह देखा गया कि मलकानागिरी, बौध, गजपति, संबलपुर और नुआपाड़ा जैसे जिलों में कक्षा 1 से 5 तक की उपस्थिति राज्य के औसत से कम है. वहीं मलकानागिरी, बौध, संबलपुर और नुआपाड़ा जिलों में कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों की उपस्थिति के आंकड़े निराशाजनक है. सेठी ने कहा कि माध्यमिक खंड में गजपति, बोलांगीर, बरगढ़, सोनपुर, नुआपाड़ा, कटक, खोरधा, कोरापुट, गंजम, बौध, मलकानगिरी, क्योंझर, संबलपुर के स्कूलों में उपस्थिति राज्य के औसत से कम है. साथ ही गजपति, सोनपुर, बड़ागढ़, कंधमाल और नुआपाड़ा में उच्च माध्यमिक कक्षाओं में कुल उपस्थिति चिंतनीय है.

"उपरोक्त आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं और अनुपस्थित छात्रों के नए ठिकानो का पता लगाने की जरूरत है. ऐसा हो सकता है, ये छात्र जो ऑफलाइन कक्षाओं में भाग नहीं ले रहे हैं, शायद वे अपने माता-पिता के साथ कहीं पलायन कर गए हों. महामारी की स्थिति और अन्य कारणों से शिक्षण कार्य में रुचि खो चुके हों. जिसके गहन अध्ययन की आवश्यकता है. स्कूल और जन शिक्षा विभाग की समीक्षा में यह भी मिला कि कक्षा 8 से पास होने वाले कई छात्रों नें कक्षा 9 में प्रवेश नहीं लिया है.

सेठी ने जिला कलेक्टरों से कहा, "हमें छात्रों को कक्षा में वापस लाने के लिए स्थान-विशेष रणनीति बनानी होगी. इसको ध्यान में रखकर विभाग अनुपस्थित छात्रों को वापस लाने की रणनीति बनाए. उन्होंने कलेक्टरों को स्कूल स्तर पर सर्वेक्षण करने के लिए कहा. साथ ही छात्र कक्षाओं में भाग नहीं ले रहे उनकी सूची बनाए. स्कूलों में तैनात कनिष्ठ शिक्षकों को अनुपस्थित छात्रों के स्कूल से उनकी अनुपस्थिति का कारण जानने के लिए उनके घर भेजा जाए.

इन शिक्षकों को छात्रों और उनके माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना चाहिए. छात्र को स्कूल भेजने के लाभ और सरकार द्वारा द्वारा दिए जा रहे सुविधाएं जैसे मुफ्त किताबें, मुफ्त वर्दी, मिड डे मिल और छात्रवृति आदि से अवगत कराएं. इस कार्य में पंचायत सदस्यों और महिला स्वयं सहायता समूहों की मदद लें. छात्रों को सीखने के नुकसान से उबरने में मदद करने के लिए सरकार द्वारा लर्निंग रिकवरी प्लान (एलआरपी) लागू किया जा रहा है, इसलिए छात्रों की अधिकतम उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए.

यह भी पढ़ें-पंजाब : स्कूलों में 1-30 जून तक होगी गर्मी छुट्टी

पीटीआई

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.