मुरैना: जिले के नर्सिंग कॉलेजों (Nursing Collages) की प्रायोगिक परीक्षा किस तरह से होती है यह नजारा सोशल मिडिया पर वायरल होते वीडियो से देखने को मिला. दरअसल, जिला अस्पताल में काफी संख्या में छात्र-छात्राएं मोबाइल से देखकर प्रायोगिक परीक्षा दे रहे थे, यहां तक की कई छात्र तो गूगल पर सर्च कर सवालों के जवाब तलाश रहे थे. नकल करते वीडियो वायरल के बाद जब परीक्षार्थियों से बात की तो पता चला कि जिले में कई नर्सिंग कॉलेज कागजों में संचालित किए जा रहे हैं, कोई देखना वाला नहीं हैं. छात्र छात्राओं में कुछ तो ऐसे भी थे, जिनको अपने कॉलेज का नाम तक नहीं पता था और अधिकांश ऐसे थे, जिनको यह नहीं पता था कि उनका जिस कॉलेज में प्रवेश है, उसकी बिल्डिंग कहां पर स्थित है.
जिसको जहां जगह मिली वहीं नकल करने बैठे परीक्षार्थी: जिले में दर्जनों नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं लेकिन बिल्डिंग मुश्किल से आधा दर्जन कॉलेजों के पास ही है, अन्य कॉलेज बस कागजों में ही संचालित किए जा रहे हैं. इन्ही कॉलेजों के छात्र-छात्राओं की प्रायोगिक परीक्षाएं जिला अस्पताल में चल रही हैं. जिला अस्पताल परिसर में छात्र छात्राओं को जहां जगह मिली, वहीं पर बैठ गए और मोबाइल से कॉपी में लिखते नजर आए. इतना ही नहीं छात्रों की नकल करने में सागर यूनिवर्सिटी से जो स्टाफ आया था, उसने पूरी मदद की. जब स्टाफ से पूछा तो उन्होंने बताया कि पहले कक्ष में मरीजों से चर्चा करते समय मोबाइल में नोट करते हैं, बाद में मोबाइल से कॉपी पर लिख रहे हैं, जबकि अस्पताल से बाहर पीछे मंदिर व नई बिल्डिंग के पास कई परीक्षार्थी मोबाइल से नकल करते देखे गए.
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इन राज्यों से परीक्षा देने आए छात्र: नर्सिंग की परीक्षा देने वाले अधिकांश परीक्षार्थी बिहार, झारखंड सहित अन्य प्रांतों के रहने वाले है. उनसे जब पूछा गया कि बिहार व झारखंड से कितने लोग परीक्षा देने आए हैं तो उन्होंने कहा कि कोई गिनती नही हैं. कॉलेज संचालकों का कुछ दलाल जैसे के लोगों से संपर्क रहता है वही उनका एडमिशन करवाते हैं. छात्रों ने बताया कि उनसे दो से ढाई लाख रुपए लिए हैं, जबकि बताया गया है कि नर्सिंग की फीस मुश्किल से तीस हजार रुपए तक ही है.