नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) ने कोरोना वायरस महामारी के बीच देखभाल के सभी स्तरों को ध्यान में रखते हुए देश में ऑक्सीजन की आवश्यकता निर्धारित करने के लिए एक फार्मूला बनाने का सुझाव दिया है. राष्ट्रीय कार्यबल ने इस संबंध में शीर्ष अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल की है जिसमें इस तरह के फार्मूले का प्रस्ताव दिया गया है.
आक्सीजन संकट पर किया गया था 12 सदस्यीय समिति का गठन
एनटीएफ ने रिपोर्ट में उदाहरण देते हुए समझाया है कि 100 बिस्तरों वाला अस्पताल, जिसमें 25 फीसदी आईसीयू बेड हों, उसमें तरल मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की आवश्यकता 1.5 मीट्रिक टन होगी. कार्य बल ने कहा है कि इसी फार्मूले का इस्तेमाल किया जा सकता है. उच्चतम न्यायालय ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में व्याप्त आक्सीजन संकट के मद्देनजर छह मई को 12 सदस्यीय इस समिति का गठन किया था. इस समिति ने रिपोर्ट में कहा, 'इस तरह का फार्मूला एक बदलती रहने वाली प्रक्रिया का हिस्सा होगा और परिस्थितियों के हिसाब से तथा राज्यों के साथ विचार विमर्श करके इसमें बदलाव किए जा सकेंगे.' इसमें आगे कहा गया कि ऑक्सीजन आवंटन में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में उपचाराधीन मामले तथा संक्रमण की दोगुनी दर मुख्य कारक होने चाहिए जिसमें वर्तमान हालात और भविष्य की मांग दोनों को ध्यान में रखा जाए.
10 से 20 फीसदी तक ऑक्सीजन की होगी बचत
समिति ने कहा, 'राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसी प्रणाली विकसित करनी होगी जिसमें अगले 24 घंटे तथा अगले कुछ दिनों में ऑक्सीजन की आवश्यकता का अनुमान लगाया गया हो और यह अनुमान फार्मूले की गणनाओं पर आधारित हो. अपनी आवश्यकता उन्हें केंद्रीय ऑक्सीजन वॉर रूम को बतानी चाहिए.' समिति ने कहा कि ऑक्सीजन के न्यायसंगत उपयोग के लिए अस्पतालों का ऑडिट किया जाना चाहिए जिसमें उनकी पाइपलाइन प्रणाली को भी देखा जाए. उसने कहा कि इस तरह के ऑडिट से 10 से 20 फीसदी तक ऑक्सीजन की बचत होगी. एनटीएफ ने और भी कई सुझाव दिए. उसने कहा कि शीर्ष न्यायालय के आदेश के अनुरूप राज्यवार ऑक्सीजन ऑडिट समितियों का गठन किया जाए.
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उसने कहा कि केंद्रीय स्तर पर सिलेंडरों की खरीद, ऑक्सीजन का उत्पादन और आपूर्ति बढ़ाना, उपरोक्त सिद्धांत के आधार पर ऑक्सीजन की राज्यों की जरूरतों का आकलन करना, आपूर्ति श्रंखला की जरूरत को देखने जैसे कम उठाने चाहिए.
(पीटीआई-भाषा)