नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ नगा नेताओं से बातचीत का दौर नगा राष्ट्रीय ध्वज और नगा संविधान की मांग पर अटकता नजर आ रहा है. नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (एनएससीएन) ने मंगलवार को कहा कि वह इन दोनों मुद्दों पर किसी भी हालत में समझौता नहीं करेंगे.
दिमापुर में NSCN की नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए एनएससीएन के अध्यक्ष क्यू टुकु ने कहा कि नागा आंदोलन के सात दशकों से अधिक समय के बाद, हमें राजनीतिक अतिवाद का सामना करना पड़ रहा है. इस हालात ने ही हमें इस नेशनल असेंबली को बुलाने के लिए मजबूर किया क्योंकि नगा ध्वज और संविधान में नगाओं की राष्ट्रीय पहचान शामिल है और भारत सरकार ने इनका सम्मान करने से मना कर दिया है. नगा ध्वज और संविधान में नगाओं की राष्ट्रीय पहचान शामिल है. उन्होंने कहा कि नगा राजनीतिक समाधान के नाम पर नगा राष्ट्रीय ध्वज और नगा संविधान को नहीं छोड़ सकते हैं. हमारा क्या है जो हमारी राजनीतिक पहचान को परिभाषित करता है, नगा राजनीतिक समाधान के नाम पर मीठे निवाले के लिए कभी समझौता नहीं किया जा सकता है. प्रलोभन के दबाव के आगे झुककर हम दुनिया के सामने हंसी का पात्र नहीं बन सकते हैं. 2015 के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट का जिक्र करते हुए, एनएससीएन के अध्यक्ष ने कहा कि इस समझौते का स्वार्थी एजेंडे के तहत गलत व्याख्या की जा रही है और इसके राजनीतिक महत्व को कम करने की कोशिश हो रही हैं.
फ्रेमवर्क एग्रीमेंट में नागा लोगों की संप्रभु पहचान बहुत प्रमुखता से दिखाई होती है. हमने इस बारे में काफी सावधानी बरती है. कुछ राजनीतिक नेताओं की ओर से यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि फ्रेमवर्क एग्रीमेंट में नगा ध्वज और संविधान, एकीकरण आदि का उल्लेख नहीं किया गया है. टुक्कू ने कहा कि कुछ नगा राजनीतिक नेताओं ने अपने दिल्ली स्थित राजनीतिक आकाओं के इशारे पर नगा राजनीतिक मुद्दे की पवित्रता के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है.
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