मुंबई : बकरी की वजह से घायल हुई महिला के मामले में बकरी के मालिक के खिलाफ शिकायत पर चल रहे मामले में मुंबई मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट (Mumbai Metropolitan Magistrate Court) ने आरोपी को बरी कर दिया है. घटना के मुताबिक मुंबई के पहाड़ी इलाके में बकरी की चपेट में आने से 51 वर्षीय महिला गंभीर रूप से घायल हो गई थी. इस पर महिला ने बकरी के मालिक के खिलाफ मुंबई मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद डोंगरी पुलिस में 2018 में आरोपी मोहम्मद अयूब के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
इसमें व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाने के लिए धारा 338 के अलावा जानवरों के प्रति लापरवाह व्यवहार के लिए आईपीसी की धारा 289 के तहत मामला दर्ज किया गया था. बता दें कि धारा 289 में अधिकतम छह महीने की कैद की मांग करने वाले व्यक्ति को सजा का प्रावधान है. वहीं महिला ने अदालत को बताया कि यह घटना उस समय हुई जब वह अपने घर की पहली मंजिल से सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी. उसने दावा किया कि आखिरी सीढ़ी पर एक बकरी बैठी थी. जब वह आखिरी सीढ़ी पर थी तो बकरी ने उसे धक्का दे दिया जिससे वह गिर गई. इससे उसका सारा सामान भी बिखर गया था. उसने आरोप लगाया कि उसकी बेटी उसे अस्पताल ले गई थी.
महिला ने कोर्ट को आगे बताया कि चूंकि उसका पति मुंबई से बाहर था, इसलिए उसके लौटने के बाद उसने पुलिस से संपर्क किया जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई. उसने आरोप लगाया कि बकरी ही उसकी चोटों के लिए जिम्मेदार थी जो अयूब की थी. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में सबसे पहली और सबसे अहम जरूरत यह साबित करना है कि विवादित बकरी आरोपी का है. लेकिन इसे साबित करने के लिए मुखबिर और उसकी पत्नी के मौखिक साक्ष्य के अलावा कोई सबूत नहीं है.
इस बीच, अयूब ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी का मुद्दा उठाया और दावा किया कि यह साबित करने के लिए कुछ भी नहीं है कि वह बकरी का मालिक था. अदालत ने कहा कि जिरह के दौरान आरोपी ने यह कहकर अपना बचाव किया कि वह इस बकरी से संबंधित नहीं था. हालांकि अभियोजन पक्ष इसे साबित करने के लिए प्रासंगिक गवाह पेश नहीं कर सका. इससे यह स्पष्ट रूप से साबित नहीं हुआ है कि बकरी का आरोपी अयूब है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि विवादित बकरी की हरकत के लिए आरोपी ही जिम्मेदार है.
अभियुक्त की ओर से कोई भी लापरवाहीपूर्ण कार्य सिद्ध नहीं होता है. अदालत ने यह भी कहा कि घायल महिला के अलावा कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है.इस मामले में घायलों को छोड़कर उसकी गवाही की पुष्टि करने के लिए किसी से भी पूछताछ नहीं की गई थी. साथ ही जिस इमारत में घटना हुई, उस इमारत में कई लोग गवाही देने के लिए उपलब्ध होंगे लेकिन जांच अधिकारियों ने ऐसे गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए हैं. ऐसी परिस्थितियों में घायलों की एक भी गवाही पर भरोसा करना सुरक्षित नहीं होगा.
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