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सुप्रीम कोर्ट से केंद्र ने कहा- एक भी राज्य ने भुखमरी से होने वाली मौतों का डेटा उपलब्ध नहीं कराया - deaths due to starvation

कोर्ट ने कहा, हम भुखमरी या भूख से मर रहे लोगों पर नहीं हैं. हमारा ध्यान इस बात पर है कि लोग भूख से पीड़ित न हों.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jan 18, 2022, 2:17 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से कहा कि वह देश भर में भुखमरी से होने वाली मौतों, भूख और कुपोषण पर डेटा उपलब्ध कराने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करे. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली की एक बेंच ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई के लिए एक योजना तैयार करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उसी का आह्वान किया.

आज की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि केंद्र ने इसके लिए नीति बनाई है, जिसे हलफनामे पर रखा गया है. केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ को सूचित किया कि किसी भी राज्य ने भुखमरी से होने वाली मौतों के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए हैं.

CJI रमना ने सुनवाई करते हुए कहा, तो क्या देश में भुखमरी से मौतें नहीं हो रही हैं? इस पर अदालत ने कहा कि वह आज कोई योजना नहीं बनाएगी और यह कि वह केंद्र द्वारा भुखमरी से होने वाली मौतों पर कुछ डेटा प्रदान करने की प्रतीक्षा करेगी. वहीं, अटॉर्नी जनरल एजी वेणुगोपाल ने जवाब देते हुए कहा कि हलफनामे में कहा गया कि किसी भी राज्य ने ऐसी मौतों की सूचना नहीं दी है, लेकिन आपको राज्यों का रुख भी देखना चाहिए.

पढ़ें: राजनीतिक दलों के पंजीकरण रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को राजी

CJI रमना ने तब इस बात पर प्रकाश डाला कि ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य सामुदायिक रसोई चलाते हैं, लेकिन धन के लिए केंद्र पर निर्भर थे.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से कहा कि वह देश भर में भुखमरी से होने वाली मौतों, भूख और कुपोषण पर डेटा उपलब्ध कराने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करे. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली की एक बेंच ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई के लिए एक योजना तैयार करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उसी का आह्वान किया.

आज की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि केंद्र ने इसके लिए नीति बनाई है, जिसे हलफनामे पर रखा गया है. केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ को सूचित किया कि किसी भी राज्य ने भुखमरी से होने वाली मौतों के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए हैं.

CJI रमना ने सुनवाई करते हुए कहा, तो क्या देश में भुखमरी से मौतें नहीं हो रही हैं? इस पर अदालत ने कहा कि वह आज कोई योजना नहीं बनाएगी और यह कि वह केंद्र द्वारा भुखमरी से होने वाली मौतों पर कुछ डेटा प्रदान करने की प्रतीक्षा करेगी. वहीं, अटॉर्नी जनरल एजी वेणुगोपाल ने जवाब देते हुए कहा कि हलफनामे में कहा गया कि किसी भी राज्य ने ऐसी मौतों की सूचना नहीं दी है, लेकिन आपको राज्यों का रुख भी देखना चाहिए.

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CJI रमना ने तब इस बात पर प्रकाश डाला कि ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य सामुदायिक रसोई चलाते हैं, लेकिन धन के लिए केंद्र पर निर्भर थे.

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