श्रीनगर : सेना के एक शीर्ष कमांडर ने रविवार को कहा कि उत्तरी सीमा पर हालात स्थिर हैं लेकिन 'सामान्य नहीं' हैं. उन्होंने यह टिप्पणी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण (एलएसी) के संदर्भ में की. उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के सात गतिरोध वाले स्थानों में से पांच का समाधान भारतीय सेना और जन मुक्ति सेना (पीएलए) ने कर लिया है और बाकी दो स्थानों के लिए बातचीत जारी है.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'उत्तरी सीमा पर स्थिति स्थिर है लेकिन समान्य नहीं है या मैं कह सकता हूं कि यह संवेदनशील है.' संभवत: पाकिस्तान का संदर्भ देते हुए सैन्य कामंडर ने कहा कि पड़ोसी देश पुंछ-राजौरी इलाके में आतंकवादी हमले की साजिश रच रहा है क्योंकि वह इलाके में चल रहे विकास कार्यों को पसंद नहीं करता.
लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने कहा, 'पुंछ-राजौरी क्षेत्र में लोगों के जीवन में समृद्धि आई है और जीवनस्तर में सुधार आया है. निवेश आ रहा था और लोगों को नौकरियां मिल रही हैं. लेकिन शांति और समृद्धि का यह माहौल हमारे पड़ोसी देश को रास नहीं आ रहा. इसलिए इलाके में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है लेकिन हमने आतंकवाद रोधी अभियान शुरू किया है.' उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले दिनों में आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित कर लिया जाएगा.
लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने कहा कि इलाके में पुलिस, सेना और स्थानीय लोगों के बीच और बेहतर समन्वय की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'पुलिस थानों की संख्या बढ़ाई जा रही है और हमने मुख्य धारा में जोड़ने के कुछ कार्यक्रम शुरू किए हैं. इससे स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.'
सैन्य कमांडर ने कहा कि 2023 को 'शून्य घुसपैठ वर्ष' घोषित किया गया है क्योंकि कोई भी आतंकवादी नियंत्रण पार कर देश में दाखिल होने में सफल नहीं हुआ है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, '...लेकिन आप कहेंगे कि कई आतंकवादी आ रहे हैं. हमने कार्रवाई की है...अगर आप पिछले साल को देखे तो मारे गए केवल 21 आतंकवादी स्थानीय थे जबकि बाकी 55 विदेशी थे. 2022 में 121 युवक आतंकवादी संगठन में भर्ती हुए जबकि 2023 में यह संख्या महज 19 रही.'
लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी करने के बाद जम्मू-कश्मीर में बहुत ही सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं. उन्होंने कहा, 'पिछले चार वर्षों में बहुत सारे बदलाव हुए हैं और सभी बदलाव अच्छे के लिए हैं, चाहे वे बुनियादी ढांचे का विकास से संबंधित हो, पर्यटकों का आगमन हो या बाहरी निवेश हो. कुल मिलाकर यह जनता के लिए अच्छा है और जम्मू-कश्मीर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.'
वह श्रीनगर में सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस हर साल 14 जनवरी को मनाता है क्योंकि इसी दिन 1953 में भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल के एम करियप्पा औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त हुए थे.