नई दिल्ली : उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 एवं 25 फरवरी 2020 को हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 581 लोग घायल हुए थे. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई कर रही है. ताजा घटनाक्रम में न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किए हैं. याचिका में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में उन पर मुकदमा चलाने के लिए दी गयी मंजूरी को भी चुनौती दी गयी है.
अदालत ने कहा कि प्राधिकारी चार हफ्तों के भीतर जवाबी हलफनामा/स्थिति रिपोर्ट दायर करें और उसने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 28 सितंबर की तारीख तय कर दी.
हुसैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वकील मोहित माथुर ने कहा कि हालांकि आरोपपत्र में उनके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित प्रावधान लगाए गए हैं लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है कि उनका कृत्य एक आतंकवादी की तरह था. उन्होंने दलील दी, 'महज सड़क अवरोध करने, चक्का जाम करने और असंतोष की अभिव्यक्ति को आतंकवादी गतिविधियों के तौर पर लिया गया.'
हुसैन ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दायर आरोपपत्र में लगायी यूएपीए के प्रावधान धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा), धारा 15 (आतंकवादी कृत्य), धारा 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) और धारा 18 (षडयंत्र के लिए सजा) को रद्द करने का अनुरोध किया है.
दिल्ली पुलिस और केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ लोक अभियोजक अमित महाजन ने कहा कि निचली अदालत ने पिछले साल सितंबर में दाखिल आरोपपत्र पर पहले ही संज्ञान ले लिया है. उन्होंने कहा कि आरोपी ने मुकदमा चलाने के लिए प्राधिकारियों द्वारा दी गयी मंजूरी को चुनौती दी है जिसे उसे पहले निचली अदालत के सामने रखना चाहिए था.
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बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 581 लोग घायल हुए थे. पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव के मुताबिक इन दंगों को लेकर कुल 755 एफआईआर दर्ज की गई थी. इनमें से 400 मामलों में पुलिस द्वारा 1818 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और अधिकांश मामलों में आरोपपत्र भी दाखिल हो चुका है.