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सीएम पिनाराई विजयन पर लगाए गए आरोपों पर कायम हैं स्वप्ना सुरेश - पिनराई विजयन

केरल के बहुचर्चित सोने की तस्करी मामले की आरोपी स्वप्ना सुरेश ने बुधवार को कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, उनके परिवार के सदस्यों और कुछ शीर्ष नौकरशाहों के खिलाफ आरोप व्यक्तिगत या राजनीतिक मकसद से प्रेरित नहीं हैं.

स्वप्ना सुरेश
स्वप्ना सुरेश
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Published : Jun 8, 2022, 4:35 PM IST

पलक्कड (केरल) : डिप्‍लोमेटिक बैगेज के जरिये सोने की स्मगलिंग करने की आरोपी स्वप्ना सुरेश सीएम पिनराई विजयन के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर कायम है. स्वप्ना सुरेश ने बुधवार को कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, उनके परिवार के सदस्यों और कुछ शीर्ष नौकरशाहों के खिलाफ आरोप व्यक्तिगत या राजनीतिक मकसद से प्रेरित नहीं हैं. बता दें कि स्वप्ना ने गोल्ड स्मगलिंग मामले में दर्ज कराए बयान में केरल सीएम का नाम लिया है.

स्वप्ना ने अदालत के सामने आईपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए अपने बयान में गोल्ड स्मगलिंग केस में शामिल लोगों और उनकी संलिप्तता के बारे में खुलासा किया था. स्वप्ना सुरेश ने दावा किया कि उसने 164 बयान इसलिए दिया क्योंकि उसकी जान को खतरा था. अगर उसे या उसके परिवार के सदस्यों को कुछ होता है, तो वह आगे आकर मामले के बारे में बोलने की हिम्मत न कर सके. इसलिए, सुरक्षित रहने के लिए उसने अदालत के सामने सभी बयानों को तथ्यों के साथ पेश किया. उसके पास अभी काफी कुछ कहने के लिए बाकी है.

चीफ मिनिस्टर पिनाराई विजयन ने स्वप्ना की ओर से लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था. सीएम ने इन आरोपों को पॉलिटिकल एजेंडा बताया था. माकपा और पार्टी के नेतृत्व वाले एलडीएफ ने भी विजयन का जोरदार बचाव करते हुए बयान जारी किए थे. वाम दलों ने दावा किया कि स्वप्ना सुरेश के बयानों से स्पष्ट है कि विजयन के नेतृत्व वाली सरकार की छवि खराब करने के लिए एक राजनीतिक साजिश रची गई है. एलडीएफ के संयोजक ई पी जयराजन ने कहा कि सीएम के खिलाफ निराधार आरोपों के पीछे सुनियोजित साजिश है. राज्य सरकार को मामले की जांच करनी चाहिए और पता लगाना चाहिए कि इसके पीछे कौन हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि स्वप्ना सुरेश को आरएसएस कंट्रोल कर रहा है. जयराजन ने कहा कि ऐसे आधारहीन आरोपों पर सीएम को जवाब नहीं देना चाहिए. ऐसे में इस्तीफा देने का सवाल भी नहीं उठता है.

जयराजन के आरोपों का जवाब देते हुए स्वप्ना सुरेश ने पूछा कि जब उन पर आतंक से जुड़े आरोप लगाए गए थे और उन्हें 16 महीने तक सलाखों के पीछे रखा गया था, तो इसकी जांच क्यों नहीं की गई. उसने आरोप लगाया कि जेल के अधिकारियों ने कारावास के दौरान उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. जेल के अफसरों ने हार्ट अटैक को भी नाटक बताते हुए इलाज कराने से इनकार कर दिया. सुरेश ने कहा कि मानसिक प्रताड़ना के कारण वह अब कई बीमारियों की शिकार बन गई है. सुरेश ने दावा किया है कि अब तक किए गए खुलासे किसी को बदनाम करने या किसी को सीएम पद से हटाने के लिए नहीं है. उसने ये आरोप अपनी छवि बनाने और पब्लिसिटी स्टंट के लिए नहीं लगाए हैं.

स्वप्ना ने कहा कि वह राजनीति में विश्वास नहीं करती है. उन्हें इसकी परवाह नहीं है कि मुख्यमंत्री कौन है. राज्य में कौन शासन करेगा, क्योंकि उनका कोई राजनीतिक या व्यक्तिगत एजेंडा नहीं है. स्वप्ना ने कहा कि वह 16 महीने तक जेल में रही, उनके बच्चे परेशान रहे. उन्होंने अपनी नौकरी खो दी फिर भी सरकार उन्हें परेशान कर रही है. उन्होंने कहा, अब मैं बस जीना चाहती हूं और अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहती हूं. कृपया मुझे यह करने दें. इसके अलावा मेरा कोई और मकसद नहीं है.

पढ़ें : केरल : PFI मार्च में नफरत भरा नारा लगाने वाले नाबालिग के खिलाफ मुकदमा दर्ज

पलक्कड (केरल) : डिप्‍लोमेटिक बैगेज के जरिये सोने की स्मगलिंग करने की आरोपी स्वप्ना सुरेश सीएम पिनराई विजयन के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर कायम है. स्वप्ना सुरेश ने बुधवार को कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, उनके परिवार के सदस्यों और कुछ शीर्ष नौकरशाहों के खिलाफ आरोप व्यक्तिगत या राजनीतिक मकसद से प्रेरित नहीं हैं. बता दें कि स्वप्ना ने गोल्ड स्मगलिंग मामले में दर्ज कराए बयान में केरल सीएम का नाम लिया है.

स्वप्ना ने अदालत के सामने आईपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए अपने बयान में गोल्ड स्मगलिंग केस में शामिल लोगों और उनकी संलिप्तता के बारे में खुलासा किया था. स्वप्ना सुरेश ने दावा किया कि उसने 164 बयान इसलिए दिया क्योंकि उसकी जान को खतरा था. अगर उसे या उसके परिवार के सदस्यों को कुछ होता है, तो वह आगे आकर मामले के बारे में बोलने की हिम्मत न कर सके. इसलिए, सुरक्षित रहने के लिए उसने अदालत के सामने सभी बयानों को तथ्यों के साथ पेश किया. उसके पास अभी काफी कुछ कहने के लिए बाकी है.

चीफ मिनिस्टर पिनाराई विजयन ने स्वप्ना की ओर से लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था. सीएम ने इन आरोपों को पॉलिटिकल एजेंडा बताया था. माकपा और पार्टी के नेतृत्व वाले एलडीएफ ने भी विजयन का जोरदार बचाव करते हुए बयान जारी किए थे. वाम दलों ने दावा किया कि स्वप्ना सुरेश के बयानों से स्पष्ट है कि विजयन के नेतृत्व वाली सरकार की छवि खराब करने के लिए एक राजनीतिक साजिश रची गई है. एलडीएफ के संयोजक ई पी जयराजन ने कहा कि सीएम के खिलाफ निराधार आरोपों के पीछे सुनियोजित साजिश है. राज्य सरकार को मामले की जांच करनी चाहिए और पता लगाना चाहिए कि इसके पीछे कौन हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि स्वप्ना सुरेश को आरएसएस कंट्रोल कर रहा है. जयराजन ने कहा कि ऐसे आधारहीन आरोपों पर सीएम को जवाब नहीं देना चाहिए. ऐसे में इस्तीफा देने का सवाल भी नहीं उठता है.

जयराजन के आरोपों का जवाब देते हुए स्वप्ना सुरेश ने पूछा कि जब उन पर आतंक से जुड़े आरोप लगाए गए थे और उन्हें 16 महीने तक सलाखों के पीछे रखा गया था, तो इसकी जांच क्यों नहीं की गई. उसने आरोप लगाया कि जेल के अधिकारियों ने कारावास के दौरान उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. जेल के अफसरों ने हार्ट अटैक को भी नाटक बताते हुए इलाज कराने से इनकार कर दिया. सुरेश ने कहा कि मानसिक प्रताड़ना के कारण वह अब कई बीमारियों की शिकार बन गई है. सुरेश ने दावा किया है कि अब तक किए गए खुलासे किसी को बदनाम करने या किसी को सीएम पद से हटाने के लिए नहीं है. उसने ये आरोप अपनी छवि बनाने और पब्लिसिटी स्टंट के लिए नहीं लगाए हैं.

स्वप्ना ने कहा कि वह राजनीति में विश्वास नहीं करती है. उन्हें इसकी परवाह नहीं है कि मुख्यमंत्री कौन है. राज्य में कौन शासन करेगा, क्योंकि उनका कोई राजनीतिक या व्यक्तिगत एजेंडा नहीं है. स्वप्ना ने कहा कि वह 16 महीने तक जेल में रही, उनके बच्चे परेशान रहे. उन्होंने अपनी नौकरी खो दी फिर भी सरकार उन्हें परेशान कर रही है. उन्होंने कहा, अब मैं बस जीना चाहती हूं और अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहती हूं. कृपया मुझे यह करने दें. इसके अलावा मेरा कोई और मकसद नहीं है.

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