बेंगलुरु: कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने स्पष्ट किया कि 'आजादी का अमृत महोत्सव यात्रा' कार्यक्रम (Azadi Ka Amrit Mahotsav tour programme) के लिए न तो राज्य और न ही केंद्र सरकार ने हिंदी भाषी छात्रों के चयन के संबंध में कोई निर्देश जारी किया है. मंत्री का स्पष्टीकरण विश्वविद्यालय-पूर्व शिक्षा विभाग (बेंगलुरु दक्षिण) के उप निदेशक द्वारा जारी एक परिपत्र पर विवाद के बाद आया है, जिसमें कॉलेजों को उन छात्रों को चुनने का निर्देश दिया गया है जो हिंदी बोल सकते हैं. परिपत्र पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं और इसे 'हिंदी थोपने' का प्रयास बताया गया है.
एक ट्वीट में नागेश ने कहा, 'न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार ने यह निर्देश दिया है कि आजादी का अमृत महोत्सव (स्वतंत्रता के 75 वर्ष) के हिस्से के रूप में छात्रों को अन्य राज्यों के दौरे कार्यक्रम में भाग लेने के लिए हिंदी या अंग्रेजी भाषा का ज्ञान अनिवार्य है.' उन्होंने कहा कि विभाग भ्रम पैदा करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा. टूर कार्यक्रम के तहत एक बैच में कुल 50 छात्रों को उत्तराखंड भेजा जाएगा और उतनी ही संख्या में छात्र वहां से कर्नाटक की यात्रा करेंगे.
सर्कुलर में क्या? : वायरल हुए कथित सर्कुलर में कहा गया है कि, 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के तहत आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में छात्रों के लिए दूसरे राज्यों में एक टूर कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इसके लिए दो स्टूडेंट (एक लड़का और एक लड़की) का पूर्व विश्वविद्यालय विभाग के बेंगलुरु दक्षिण जिले से चयन किया जाना है. इसमें आगे कहा गया है, 'कॉलेज में पीयूसी सेकेंड ईयर में पढ़ने वाले छात्रों में से उन छात्रों का चयन करने का निर्देश दिया गया है जो हिंदी बोल सकते हैं, तकनीक की समझ रखते हैं और सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों में रुचि रखते हैं.'
ऐसे छात्रों की सूची उप निदेशक कार्यालय को साझा करने के लिए निर्देशित किया गया है. छात्रों का अंतिम चयन उप निदेशक द्वारा किया जाएगा. विवाद के बाद कन्नड़ विकास प्राधिकरण (केडीए) के अध्यक्ष टीएस नागभरण ने पत्र लिख चयन के मानदंड को बदलने और कन्नड़ बोलने वाले छात्रों को अवसर प्रदान करने का आग्रह किया है.
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