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Nitish Katara murder : दोषी विकास यादव की सजा माफी पर 3 अक्टूबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

बिजनेस एक्जीक्यूटिव नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या (Nitish Katara murder) के मामले में सजा काट रहे विकास यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 3 अक्टूबर को सुनवाई होगी.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 29, 2023, 5:20 PM IST

SC
उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि वह 2002 के सनसनीखेज नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की जेल की सजा काट रहे विकास यादव (Vikas Yadav) की याचिका पर तीन अक्टूबर को सुनवाई करेगा (Nitish Katara murder SC to hear on Oct 3).

शीर्ष अदालत ने बिजनेस एक्जीक्यूटिव कटारा के अपहरण और हत्या में उत्तर प्रदेश के विवादास्पद राजनेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव और उनके चचेरे भाई विशाल यादव को 3 अक्टूबर 2016 को बिना किसी छूट के जेल की सजा दी. दोनों अलग-अलग जाति के होने के कारण विकास की बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित संबंध के खिलाफ थे.

एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को भी मामले में 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई. शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में, विकास यादव ने यह निर्देश देने की मांग की है कि छूट का लाभ संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है और इसे अदालतों की न्यायिक घोषणा द्वारा भी प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है.

जैसे ही यह मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह और वकील दुर्गा दत्त ने याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि विकास यादव बिना किसी छूट के 22 साल से जेल में है. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने भी याचिका खारिज करने की मांग की. भाटी ने कहा, 'योर लॉर्डशिप समय का इस तरह दुरुपयोग नहीं किया जा सकता.'

याचिका में यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि उच्च न्यायालय या यहां तक ​​कि शीर्ष अदालत सहित कोई भी आपराधिक अदालत ऐसी सजा नहीं दे सकती जो दंड संहिता में प्रदान नहीं की गई है.

याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि विकास यादव उस पर लगाई गई सजा के निलंबन, छूट या कमीकरण के लाभ का हकदार है. संबंधित अधिकारियों को इस तरह के अधिकार पर विचार करने का निर्देश दिया जाए.

शीर्ष अदालत के 2015 के एक फैसले का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि इसका प्रभाव याचिकाकर्ता को 25 साल के लिए छूट पर विचार करने से वंचित करना है, यानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 433 ए के संदर्भ में 11 अतिरिक्त साल. सीआरपीसी की धारा 433ए कुछ मामलों में छूट या कम्युटेशन की शक्तियों पर प्रतिबंध से संबंधित है.

इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा विकास और विशाल यादव को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए दोनों को बिना किसी छूट के 30 साल की सजा का प्रावधान किया था. इसने तीसरे दोषी पहलवान को 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी.

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जानें, भारत को हिला देने वाली हत्याएं व रंगा-बिल्ला का जुर्म

(PTI)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि वह 2002 के सनसनीखेज नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की जेल की सजा काट रहे विकास यादव (Vikas Yadav) की याचिका पर तीन अक्टूबर को सुनवाई करेगा (Nitish Katara murder SC to hear on Oct 3).

शीर्ष अदालत ने बिजनेस एक्जीक्यूटिव कटारा के अपहरण और हत्या में उत्तर प्रदेश के विवादास्पद राजनेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव और उनके चचेरे भाई विशाल यादव को 3 अक्टूबर 2016 को बिना किसी छूट के जेल की सजा दी. दोनों अलग-अलग जाति के होने के कारण विकास की बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित संबंध के खिलाफ थे.

एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को भी मामले में 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई. शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में, विकास यादव ने यह निर्देश देने की मांग की है कि छूट का लाभ संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है और इसे अदालतों की न्यायिक घोषणा द्वारा भी प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है.

जैसे ही यह मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह और वकील दुर्गा दत्त ने याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि विकास यादव बिना किसी छूट के 22 साल से जेल में है. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने भी याचिका खारिज करने की मांग की. भाटी ने कहा, 'योर लॉर्डशिप समय का इस तरह दुरुपयोग नहीं किया जा सकता.'

याचिका में यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि उच्च न्यायालय या यहां तक ​​कि शीर्ष अदालत सहित कोई भी आपराधिक अदालत ऐसी सजा नहीं दे सकती जो दंड संहिता में प्रदान नहीं की गई है.

याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि विकास यादव उस पर लगाई गई सजा के निलंबन, छूट या कमीकरण के लाभ का हकदार है. संबंधित अधिकारियों को इस तरह के अधिकार पर विचार करने का निर्देश दिया जाए.

शीर्ष अदालत के 2015 के एक फैसले का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि इसका प्रभाव याचिकाकर्ता को 25 साल के लिए छूट पर विचार करने से वंचित करना है, यानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 433 ए के संदर्भ में 11 अतिरिक्त साल. सीआरपीसी की धारा 433ए कुछ मामलों में छूट या कम्युटेशन की शक्तियों पर प्रतिबंध से संबंधित है.

इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा विकास और विशाल यादव को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए दोनों को बिना किसी छूट के 30 साल की सजा का प्रावधान किया था. इसने तीसरे दोषी पहलवान को 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी.

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(PTI)

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