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गडकरी की दो टूक, 'चीन में कार बनाकर भारत में मत बेचो'

ऐसा नहीं हो सकता है कि चीन में कार बनाएं और भारत में बेचें. आपको जो भी सुविधा और राहत चाहिए, भारत उसे उपलब्ध कराएगा, लेकिन आप भारत में कार बनाइए और यहां से निर्यात कीजिए. यह कहना है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का. उन्होंने एक निजी चैनल के कार्यक्रम में यह बातें टेस्ला कंपनी के लिए कहीं.

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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
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Published : Oct 8, 2021, 5:20 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला से भारत में अपने प्रसिद्ध इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए कई बार कहा है, और आश्वासन दिया कि सरकार की ओर से कंपनी को हरसंभव मदद दी जाएगी.

गडकरी ने 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021' को संबोधित करते हुए कहा कि टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक कारें टेस्ला द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक कारों से कम अच्छी नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने टेस्ला से कहा है कि भारत में वे इलेक्ट्रिक कारें न बेचें, जिन्हें आपकी कंपनी ने चीन में बनाया है. आपको भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करना चाहिए, और भारत से कारों का निर्यात भी करना चाहिए.'

टेस्ला ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर आयात शुल्क में कमी की मांग की है. गडकरी ने कहा कि आप (टेस्ला) जो भी मदद चाहते हैं, वह हमारी सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा कि कंपनी की कर रियायतों से जुड़ी मांग को लेकर वह अब भी टेस्ला के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं.

पिछले महीने भारी उद्योग मंत्रालय ने भी टेस्ला से कहा था कि वह पहले भारत में अपने प्रतिष्ठित इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करे और उसके बाद किसी भी कर रियायत पर विचार किया जा सकता है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार का इरादा 2030 तक निजी कारों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हिस्सेदारी 30 प्रतिशत, वाणिज्यिक वाहनों में 70 प्रतिशत और दोपहिया एवं तिपहिया वाहनों में 80 प्रतिशत करने का है क्योंकि परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने की तत्काल जरूरत है.

गडकरी ने कहा कि अगर इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री 2030 तक दोपहिया और कारों के खंड में 40 प्रतिशत और बसों के लिए 100 प्रतिशत के करीब पहुंच जाती है, तो भारत कच्चे तेल की खपत को 15.6 करोड़ टन कम करने में सक्षम होगा जिसकी कीमत 3.5 लाख करोड़ रुपये है.

उन्होंने उद्योग मंडल फिक्की द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने और अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी और पर्यावरण के दृष्टिकोण से इसे सतत बनाने की तत्काल जरूरत है.

नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला से भारत में अपने प्रसिद्ध इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए कई बार कहा है, और आश्वासन दिया कि सरकार की ओर से कंपनी को हरसंभव मदद दी जाएगी.

गडकरी ने 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021' को संबोधित करते हुए कहा कि टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक कारें टेस्ला द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक कारों से कम अच्छी नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने टेस्ला से कहा है कि भारत में वे इलेक्ट्रिक कारें न बेचें, जिन्हें आपकी कंपनी ने चीन में बनाया है. आपको भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करना चाहिए, और भारत से कारों का निर्यात भी करना चाहिए.'

टेस्ला ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर आयात शुल्क में कमी की मांग की है. गडकरी ने कहा कि आप (टेस्ला) जो भी मदद चाहते हैं, वह हमारी सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा कि कंपनी की कर रियायतों से जुड़ी मांग को लेकर वह अब भी टेस्ला के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं.

पिछले महीने भारी उद्योग मंत्रालय ने भी टेस्ला से कहा था कि वह पहले भारत में अपने प्रतिष्ठित इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करे और उसके बाद किसी भी कर रियायत पर विचार किया जा सकता है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार का इरादा 2030 तक निजी कारों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हिस्सेदारी 30 प्रतिशत, वाणिज्यिक वाहनों में 70 प्रतिशत और दोपहिया एवं तिपहिया वाहनों में 80 प्रतिशत करने का है क्योंकि परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने की तत्काल जरूरत है.

गडकरी ने कहा कि अगर इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री 2030 तक दोपहिया और कारों के खंड में 40 प्रतिशत और बसों के लिए 100 प्रतिशत के करीब पहुंच जाती है, तो भारत कच्चे तेल की खपत को 15.6 करोड़ टन कम करने में सक्षम होगा जिसकी कीमत 3.5 लाख करोड़ रुपये है.

उन्होंने उद्योग मंडल फिक्की द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने और अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी और पर्यावरण के दृष्टिकोण से इसे सतत बनाने की तत्काल जरूरत है.

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