चमोली : नीती घाटी में भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाला जोशीमठ-मलारी हाईवे पिछले पांच दिनों से तमक-मरखूडा के बीच बंद है. यहां पहाड़ियों से लगातार भूस्खलन हो रहा है. सड़क पर भारी बोल्डर और पत्थर गिर रहे हैं. इसके चलते 13 गांवों का संपर्क टूट गया है. हेलीकॉप्टर के जरिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जा रही है.
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी यहां तैनात हैं. घाटी के लोगों के आवागमन के लिए वैकल्पिक मार्ग की तलाश की जा रही है. जिलाधिकारी ने बताया कि सड़क खोलने और यहां फंसे ग्रामीणों को निकालने के लिए जरूरी तैयारी की जा रही है.
एसडीएम कुमकुम जोशी ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ घाटी में फंसे ग्रामीणों को निकालने के लिए दो रास्तों पर विचार किया जा रहा है. इसमें एक मार्ग नदी का है और दूसरा पहाड़ी के पीछे पैदल मार्ग है, जहां से आवगमन हो सकता है.
इसके अलावा सुरक्षित आवागमन के अन्य माध्यमों पर भी मंथन किया जा रहा है. क्षेत्र में खाद्यान्न की स्थिति के बारे में जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि मलारी क्षेत्र में सभी राशन की दुकानों तक पहले ही अगस्त माह तक का पूरा खाद्यान्न पहुंचाया जा चुका है. इसके अलावा वहां पर स्थित अन्य दुकानों और बीआरओ के पास भी अभी पर्याप्त राशन उपलब्ध है. अभी कहीं पर भी खाद्यान्न का संकट नहीं है.
उधर, घाटी के तमक, जुमा, कागा, गरपक, रविंग, द्रोणागिरी, जेलम, भपकुंड, कोषा, मलारी, कैलासपुर, मेहरगाव, कुरगति, फरक्या गांव, बाम्पा, गमशाली और नीती गांवों में सड़क के साथ-साथ दूरसंचार, बिजली न होने से भी लोग परेशान हैं. दरसअल, भूस्खलन की चपेट में आकर बिजली के पोल उखड़ गए हैं, जिससे यहां विद्युत आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है.
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