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महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों के लिए भारत अन्य देशों पर निर्भर: नीति आयोग

वीके सारस्वत ने कहा कि औद्योगिक साझेदारों के साथ एसएंडटी समुदाय को हमारी निर्भरता कम होने के प्रमुख साधन और तरीके खोजने होंगे. देश में वैक्सीन का उत्पादन दूसरे देशों के कच्चे माल पर भी निर्भर है.

चिकित्सा उपकरणों के लिए भारत अन्य देशों पर निर्भर
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Published : May 12, 2021, 2:51 AM IST

नई दिल्ली: नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके सारस्वत ने कहा कि आपूर्ति मजबूत नहीं होने से भारत को ऑक्सीजन की बेहद आवश्यकता है इस वजह से देश ज्यादातर दूसरे देशों पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि आयात निर्भरता को कम करने के तरीके खोजने के लिए वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग की जरूरत है.

वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त निकाय प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (TIFAC) द्वारा आयोजित 'कोविड पुनरुत्थान-एसएंडटी परिप्रेक्ष्य' विषय पर एक ऑनलाइन बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि देश में ऑक्सीजन की भारी आवश्यकता है, आपूर्ति मजबूत नहीं होने से भारत ज्यादातर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के लिए अन्य देशों पर निर्भर है.

वीके सारस्वत ने कहा कि औद्योगिक साझेदारों के साथ एसएंडटी समुदाय को हमारी निर्भरता कम होने के प्रमुख साधन और तरीके खोजने होंगे. देश में वैक्सीन का उत्पादन दूसरे देशों के कच्चे माल पर भी निर्भर है. इसलिए देश में उत्पादित होने वाली सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) पर बड़े जोर की जरूरत है. बता दें, डॉ. सारस्वत टीआईएफएसी (TIFAC) गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष भी हैं

उन्होंने कहा कि हमें पैरामेडिक्स के अल्पकालिक प्रशिक्षण के लिए एक एसएंडटी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जो एमबीबीएस के बाद सीधे हमारे हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर की तैयारियों को बढ़ाने के लिए आते हैं.

डॉ. सारस्वत ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए विशेष रूप से जीनोम अनुक्रमण, एसएंडटी के तरीकों का उपयोग करने, विभिन्न दवाओं की आपूर्ति और वितरण में ड्रोन के उपयोग, टीके के उत्पादन की सुविधा और प्रबंधन के लिए एआई जैसी तकनीक का उपयोग और पूरी आबादी का टीकाकरण करने का आह्वान किया. उन्होंने तत्काल और मध्यम अवधि की समस्याओं को कम करने और समाधान देने वाले कार्यक्रमों के साथ आने के लिए पैनलिस्टों से आग्रह भी किया.

इस मौके पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग(डीएसटी) के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कोविड-19 की दूसरी लहर से संबंधित मुद्दों और भविष्य की समान चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्रीय स्तंभ हैं.

पढ़ें: स्वास्थ्य बजट से 'छल' करती सरकारें, कब तक चलता रहेगा यह 'खेल'

उन्होंने कहा कि एसएंडटी के कई अलग-अलग घटक हैं जो कोविड-19 के लिए प्रासंगिक हैं, जिसमें इसके संचरण से वायरस के व्यवहार की समझ, इसके प्रभाव, प्रासंगिक प्रौद्योगिकी और उत्पादों का विकास शामिल है. इन सभी को मूल से जोड़ना है. यह एक प्रमुख सबक है जिसे हमने पहले ही सीख लिया और पहली लहर में लागू किया और हमें इसे नहीं भूलना चाहिए.

नई दिल्ली: नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके सारस्वत ने कहा कि आपूर्ति मजबूत नहीं होने से भारत को ऑक्सीजन की बेहद आवश्यकता है इस वजह से देश ज्यादातर दूसरे देशों पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि आयात निर्भरता को कम करने के तरीके खोजने के लिए वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग की जरूरत है.

वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त निकाय प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (TIFAC) द्वारा आयोजित 'कोविड पुनरुत्थान-एसएंडटी परिप्रेक्ष्य' विषय पर एक ऑनलाइन बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि देश में ऑक्सीजन की भारी आवश्यकता है, आपूर्ति मजबूत नहीं होने से भारत ज्यादातर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के लिए अन्य देशों पर निर्भर है.

वीके सारस्वत ने कहा कि औद्योगिक साझेदारों के साथ एसएंडटी समुदाय को हमारी निर्भरता कम होने के प्रमुख साधन और तरीके खोजने होंगे. देश में वैक्सीन का उत्पादन दूसरे देशों के कच्चे माल पर भी निर्भर है. इसलिए देश में उत्पादित होने वाली सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) पर बड़े जोर की जरूरत है. बता दें, डॉ. सारस्वत टीआईएफएसी (TIFAC) गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष भी हैं

उन्होंने कहा कि हमें पैरामेडिक्स के अल्पकालिक प्रशिक्षण के लिए एक एसएंडटी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जो एमबीबीएस के बाद सीधे हमारे हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर की तैयारियों को बढ़ाने के लिए आते हैं.

डॉ. सारस्वत ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए विशेष रूप से जीनोम अनुक्रमण, एसएंडटी के तरीकों का उपयोग करने, विभिन्न दवाओं की आपूर्ति और वितरण में ड्रोन के उपयोग, टीके के उत्पादन की सुविधा और प्रबंधन के लिए एआई जैसी तकनीक का उपयोग और पूरी आबादी का टीकाकरण करने का आह्वान किया. उन्होंने तत्काल और मध्यम अवधि की समस्याओं को कम करने और समाधान देने वाले कार्यक्रमों के साथ आने के लिए पैनलिस्टों से आग्रह भी किया.

इस मौके पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग(डीएसटी) के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कोविड-19 की दूसरी लहर से संबंधित मुद्दों और भविष्य की समान चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्रीय स्तंभ हैं.

पढ़ें: स्वास्थ्य बजट से 'छल' करती सरकारें, कब तक चलता रहेगा यह 'खेल'

उन्होंने कहा कि एसएंडटी के कई अलग-अलग घटक हैं जो कोविड-19 के लिए प्रासंगिक हैं, जिसमें इसके संचरण से वायरस के व्यवहार की समझ, इसके प्रभाव, प्रासंगिक प्रौद्योगिकी और उत्पादों का विकास शामिल है. इन सभी को मूल से जोड़ना है. यह एक प्रमुख सबक है जिसे हमने पहले ही सीख लिया और पहली लहर में लागू किया और हमें इसे नहीं भूलना चाहिए.

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