ETV Bharat / bharat

जीएसटी परिषद की बैठक : आम आदमी को मिली बड़ी राहत, कपड़े पर नहीं बढ़ेंगी GST दरें

author img

By

Published : Dec 31, 2021, 12:22 PM IST

Updated : Dec 31, 2021, 2:21 PM IST

वित्त मंत्री की अध्यक्षता में चल रही जीएसटी काउंसिल की 46वीं बैठक खत्म हो गई है. इस पूरे विषय को लेकर वित्त मंत्री तीन बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकती हैं.

Sitharaman
सीतारमण

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman ) की अध्यक्षता में देश की राजधानी दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की 46वीं बैठक (GST Council 46th Meeting) समाप्त हो गई है. जानकारी के मुताबिक बैठक में कपड़ों पर जीएसटी दरें 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने पर सहमति नहीं बनी है. इस खबर से आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी.

इस बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, डॉ.भागवत किशनराव कराड और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री भी शामिल हुए. इस बैठक में कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी दर में बढ़ोतरी के फैसले को स्थगित करने पर चर्चा होनी है. गुजरात की तरफ से रखी गई इस मांग का पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान एवं तमिलनाडु जैसे राज्यों ने भी समर्थन किया है.

  • GST Council has decided to defer the hike in GST rate on textiles (from 5% to 12%). The Council will review this matter in its next meeting in February 2022: Bikram Singh, Industry Minister, Himachal Pradesh on GST Council meeting in Delhi pic.twitter.com/3BM4MJxeFJ

    — ANI (@ANI) December 31, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

परिषद की 17 सितंबर को हुई पिछली बैठक में फुटवियर एवं कपड़ों पर जीएसटी दर संशोधित करने का फैसला लिया गया था. उस फैसले के मुताबिक एक जनवरी 2022 से सभी तरह के फुटवियर उत्पादों और कपास को छोड़कर सभी कपड़ा उत्पादों पर 12 फीसदी की दर से कर लगेगा.

तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने सेस और सरचार्ज के बेसिक टैक्स रेट में विलय की मांग की

तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी थैगा राजन ने गुरूवार को केन्द्र सरकार से सेस और सरचार्ज को बेसिक टैक्स रेट में मिलाने की मांग करते हुए कहा कि इससे राज्य को कर हस्तांतरण में उसका वैध हिस्सा प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

उनके कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से राजधानी दिल्ली में बुलाई गई एक बैठक में हिस्सा लेने के दौरान उन्होंने कहा कि सेस और सरचार्ज की बढ़ी हुई मात्रा करों के विभाज्य पूल का हिस्सा नहीे बनती हैं और इससे संसाधनों के हस्तांतरण के मामले में तमिलनाडु पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

उन्होंने कहा कि केन्द्र के सकल कर राजस्व के अनुपात में सेस और सरचार्ज में वर्ष 2010-11 से 2020-21 तक तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई है और यह 6.26 प्रतिशत से बढ़कर 19.9 प्रतिशत हो गया है लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से संग्रहित किए जाने वाले करों में राज्यों को लगभग 20 प्रतिशत का नुकसान होता है.

उन्होंने कहा कि यदि इस राशि को विभाज्य पूल में जोड़ दिया जाता है, तो राज्यों को चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय कर पूल से अपने हिस्से के रूप में लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त हस्तांतरण प्राप्त होगा.

उन्होंने कपड़ा और परिधान के लिए जीएसटी को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के निर्णय को वापस लेने की भी मांग करते हुए कहा कि सरकार का यह कदम पारंपरिक हथकरघा क्षेत्रों और एमएसएमई क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित करेगा जो पहले से कोरोना महामारी के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

हथकरघा शोधकर्ता और चेन्नई स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज के निदेशक सी. राजीव ने आईएएनएस को बताया कि वह परिधानों और वस्त्रों पर जीएसटी दर को यथावत रखने की मांग का समर्थन करते हैं.

उन्होंने कहा हम परिधानों और वस्त्रों पर जीएसटी दर को बढ़ाए जाने के निर्णय के खिलाफ एक अभियान चला रहे हैं. कई हथकरघा बुनकरों और शिल्पकारों ने कहा है कि अगर जीएसटी को इस दर तक बढ़ाया जाता है तो वे इस पेशे को छोड़ कर मनरेगा श्रमिकों के रूप में काम करेंगे. अगर केंद्र ने अपने फैसले को नहीं बदला तो इससे तमिलनाडु की पारंपरिक साड़ियां और अन्य कपड़ों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman ) की अध्यक्षता में देश की राजधानी दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की 46वीं बैठक (GST Council 46th Meeting) समाप्त हो गई है. जानकारी के मुताबिक बैठक में कपड़ों पर जीएसटी दरें 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने पर सहमति नहीं बनी है. इस खबर से आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी.

इस बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, डॉ.भागवत किशनराव कराड और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री भी शामिल हुए. इस बैठक में कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी दर में बढ़ोतरी के फैसले को स्थगित करने पर चर्चा होनी है. गुजरात की तरफ से रखी गई इस मांग का पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान एवं तमिलनाडु जैसे राज्यों ने भी समर्थन किया है.

  • GST Council has decided to defer the hike in GST rate on textiles (from 5% to 12%). The Council will review this matter in its next meeting in February 2022: Bikram Singh, Industry Minister, Himachal Pradesh on GST Council meeting in Delhi pic.twitter.com/3BM4MJxeFJ

    — ANI (@ANI) December 31, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

परिषद की 17 सितंबर को हुई पिछली बैठक में फुटवियर एवं कपड़ों पर जीएसटी दर संशोधित करने का फैसला लिया गया था. उस फैसले के मुताबिक एक जनवरी 2022 से सभी तरह के फुटवियर उत्पादों और कपास को छोड़कर सभी कपड़ा उत्पादों पर 12 फीसदी की दर से कर लगेगा.

तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने सेस और सरचार्ज के बेसिक टैक्स रेट में विलय की मांग की

तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी थैगा राजन ने गुरूवार को केन्द्र सरकार से सेस और सरचार्ज को बेसिक टैक्स रेट में मिलाने की मांग करते हुए कहा कि इससे राज्य को कर हस्तांतरण में उसका वैध हिस्सा प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

उनके कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से राजधानी दिल्ली में बुलाई गई एक बैठक में हिस्सा लेने के दौरान उन्होंने कहा कि सेस और सरचार्ज की बढ़ी हुई मात्रा करों के विभाज्य पूल का हिस्सा नहीे बनती हैं और इससे संसाधनों के हस्तांतरण के मामले में तमिलनाडु पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

उन्होंने कहा कि केन्द्र के सकल कर राजस्व के अनुपात में सेस और सरचार्ज में वर्ष 2010-11 से 2020-21 तक तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई है और यह 6.26 प्रतिशत से बढ़कर 19.9 प्रतिशत हो गया है लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से संग्रहित किए जाने वाले करों में राज्यों को लगभग 20 प्रतिशत का नुकसान होता है.

उन्होंने कहा कि यदि इस राशि को विभाज्य पूल में जोड़ दिया जाता है, तो राज्यों को चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय कर पूल से अपने हिस्से के रूप में लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त हस्तांतरण प्राप्त होगा.

उन्होंने कपड़ा और परिधान के लिए जीएसटी को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के निर्णय को वापस लेने की भी मांग करते हुए कहा कि सरकार का यह कदम पारंपरिक हथकरघा क्षेत्रों और एमएसएमई क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित करेगा जो पहले से कोरोना महामारी के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

हथकरघा शोधकर्ता और चेन्नई स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज के निदेशक सी. राजीव ने आईएएनएस को बताया कि वह परिधानों और वस्त्रों पर जीएसटी दर को यथावत रखने की मांग का समर्थन करते हैं.

उन्होंने कहा हम परिधानों और वस्त्रों पर जीएसटी दर को बढ़ाए जाने के निर्णय के खिलाफ एक अभियान चला रहे हैं. कई हथकरघा बुनकरों और शिल्पकारों ने कहा है कि अगर जीएसटी को इस दर तक बढ़ाया जाता है तो वे इस पेशे को छोड़ कर मनरेगा श्रमिकों के रूप में काम करेंगे. अगर केंद्र ने अपने फैसले को नहीं बदला तो इससे तमिलनाडु की पारंपरिक साड़ियां और अन्य कपड़ों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.

Last Updated : Dec 31, 2021, 2:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.