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मस्जिद के इमाम का शाही फरमान, विवाह में बजा बैंड, हुई आतिशबाजी तो नहीं होगा निकाह

धनबाद में निरसा के शिवलीबाड़ी जामा मस्जिद में कमेटी की बैठक (Meeting in Shivli Bari Jama Masjid of Nirsa) हुई. जिसमें मौलाना मसूद अख्तर कादरी ने मुस्लिम समुदाय से इस्लाम धर्म के अनुसार निकाह करने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म में निकाह में बैंड बाजा और आतिशबाजी की मनाही है, क्योंकि यह एक फिजुलखर्ची है. निकाह में आतिशबाजी, बैंड बाजा की नुमाइश करने वालों पर कमेटी की ओर से 5100 रुपया जुर्माना लगाया जाएगा.

Nikah will not happen if band and fireworks used during marriage in Dhanbad
धनबाद
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Published : Nov 28, 2022, 1:22 PM IST

धनबादः अगर निकाह में बैंड बाजा, डीजे बजा और समारोह में आतिशबाजी हुई तो शादी नहीं होगी. यह कहना है मौलाना मसूद अख्तर कादरी का. निरसा में शिवलीबाड़ी के जामा मस्जिद में रविवार को कमेटी (Shivlibari Jama Masjid Committee) की एक बैठक में मौलाना ने ये बातें कही.

इस बैठक में क्षेत्र के सभी इमाम और आवाम शामिल हुए, जहां उपस्थित कमेटी के सदस्यों ने यह राय मशविरा किया (Meeting in Shivli Bari Jama Masjid of Nirsa). जिसमें इस्लाम धर्म के अनुसार जो निकाह होंगे, उस निकाह में बैंड बाजा और आतिशबाजी की मनाही होगी और रात 11 बजे तक निकाह हो जाना चाहिए अगर किसी कारण वश देरी हुई तो अगले दिन सुबह फजर की नमाज के बाद निकाह पढ़ी जाएगी. मौलाना ने कहा कि अगर इस कानून को नहीं माना गया तो जो भी दोषी पाए जाएंगे उनपर कमेटी द्वारा 5100 रुपया जुर्माना एवं कमेटी से माफी मांगनी होगी.

देखें पूरी खबर

इसको लेकर ईटीवी भारत संवावदाता ने शिवलीबाड़ी जामा मस्जिद के इमाम मसूद अख्तर कादरी से बात की. उन्होंने बताया कि आज फैशन इस के दौर में शादी विवाह में लोग अपने दिखावे के लिए जरूरत से ज्यादा खर्च करते हैं और हमारा इस्लाम यह कभी नहीं कहता है कि शादी विवाह में बैंड बाजा और आतिशबाजी में फिजूल खर्च करें. इस कानून को लागू करने को लेकर सभी के साथ बैठक (Penalty for not marrying according to Islam) की गई, सभी से विचार विमर्श से यह निर्णय हुआ कि यह कानून 2 दिसंबर जुम्मे के दिन से लागू हो जाएगा.

उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि जिनकी भी लड़के-लड़कियों का निकाह हो तो अपने रिश्तदारों को सूचित कर दें कि यह नियम लागू हो चुका है और इस नियम के तहत निकाह होगी अन्यथा समाज द्वारा दंड का प्रावधान लागू हो गया है. मौलाना ने कहा कि अक्सर यह पाया गया है कि शादी विवाह के दौरान बाराती के द्वारा उद्दंडता की जाती है, इन तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है. जिससे निकाह में फिजूल के खर्चों से बचा जा सके. शिवलीबाड़ी जामा मस्जिद में बैठक में निरसा क्षेत्र के 14 मस्जिदों के इमाम, सदर सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हुए और सभी ने इस कानून को पारित किया है.

धनबादः अगर निकाह में बैंड बाजा, डीजे बजा और समारोह में आतिशबाजी हुई तो शादी नहीं होगी. यह कहना है मौलाना मसूद अख्तर कादरी का. निरसा में शिवलीबाड़ी के जामा मस्जिद में रविवार को कमेटी (Shivlibari Jama Masjid Committee) की एक बैठक में मौलाना ने ये बातें कही.

इस बैठक में क्षेत्र के सभी इमाम और आवाम शामिल हुए, जहां उपस्थित कमेटी के सदस्यों ने यह राय मशविरा किया (Meeting in Shivli Bari Jama Masjid of Nirsa). जिसमें इस्लाम धर्म के अनुसार जो निकाह होंगे, उस निकाह में बैंड बाजा और आतिशबाजी की मनाही होगी और रात 11 बजे तक निकाह हो जाना चाहिए अगर किसी कारण वश देरी हुई तो अगले दिन सुबह फजर की नमाज के बाद निकाह पढ़ी जाएगी. मौलाना ने कहा कि अगर इस कानून को नहीं माना गया तो जो भी दोषी पाए जाएंगे उनपर कमेटी द्वारा 5100 रुपया जुर्माना एवं कमेटी से माफी मांगनी होगी.

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इसको लेकर ईटीवी भारत संवावदाता ने शिवलीबाड़ी जामा मस्जिद के इमाम मसूद अख्तर कादरी से बात की. उन्होंने बताया कि आज फैशन इस के दौर में शादी विवाह में लोग अपने दिखावे के लिए जरूरत से ज्यादा खर्च करते हैं और हमारा इस्लाम यह कभी नहीं कहता है कि शादी विवाह में बैंड बाजा और आतिशबाजी में फिजूल खर्च करें. इस कानून को लागू करने को लेकर सभी के साथ बैठक (Penalty for not marrying according to Islam) की गई, सभी से विचार विमर्श से यह निर्णय हुआ कि यह कानून 2 दिसंबर जुम्मे के दिन से लागू हो जाएगा.

उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि जिनकी भी लड़के-लड़कियों का निकाह हो तो अपने रिश्तदारों को सूचित कर दें कि यह नियम लागू हो चुका है और इस नियम के तहत निकाह होगी अन्यथा समाज द्वारा दंड का प्रावधान लागू हो गया है. मौलाना ने कहा कि अक्सर यह पाया गया है कि शादी विवाह के दौरान बाराती के द्वारा उद्दंडता की जाती है, इन तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है. जिससे निकाह में फिजूल के खर्चों से बचा जा सके. शिवलीबाड़ी जामा मस्जिद में बैठक में निरसा क्षेत्र के 14 मस्जिदों के इमाम, सदर सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हुए और सभी ने इस कानून को पारित किया है.

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