नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के मददगार ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) चिंता का कारण हैं. इनसे निपटने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में विशेष सेल की स्थापना की है. इस कदम से आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूती मिलेगी. घटनाक्रम से वाकिफ एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में ओजीडब्ल्यू एक प्रमुख चिंता का विषय बनता जा रहा है. इस तरह की विशेष इकाई की स्थापना से सुरक्षा एजेंसियों को निश्चित रूप से इस मुद्दे से निपटने में मदद मिलेगी.'
गृह मंत्रालय (एमएचए) के निर्देशों के बाद ओजीडब्ल्यू से निपटने के लिए एनआईए की विशेष इकाई की स्थापना की गई. हाल ही में ओजीडब्ल्यू सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का प्रमुख कारण बन गए हैं, क्योंकि जांच से पता चला है कि सरकारी अधिकारियों, नागरिकों और अन्य लोगों सहित सभी वर्गों के लोग उनके लिए काम करने के लिए आतंकवादी संगठनों से प्रभावित हुए हैं.
अधिकारी ने कहा कि इस साल जनवरी से अब तक विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े 170 ओजीडब्ल्यू को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है. कई मौकों पर OGW को विभिन्न आतंकवादी संगठनों से संबंधित हथियार और गोला-बारूद के साथ गिरफ्तार किया गया है. अधिकारी ने कहा कि 'यह पाया गया है कि आतंकवादी निजी वाहनों के ड्राइवरों सहित परिवहन अधिकारियों को हथियार और गोला-बारूद लाने के लिए शामिल करने का प्रयास करते हैं. कई ट्रक चालकों को आतंकवादियों को ले जाते या उनके हथियार ले जाते हुए भी पकड़ा जा चुका है.'
गौरतलब है कि इससे पहले फरवरी में राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने जैश ए मोहम्मद से जुड़े 10 ओजीडब्ल्यू को कश्मीर के विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार किया था. 28 अप्रैल को सुरक्षा एजेंसियों ने कुपवाड़ा जिले के तीन ओजीडब्ल्यू को पकड़ा, जो सीमा पार से हथियारों की तस्करी कर रहे थे. बीते दिनों एनआईए ने लश्कर ए तैयबा (एलईटी) को सुरक्षा जानकारी प्रदान करने में शामिल होने के लिए शिमला से एक शीर्ष पुलिस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को भी गिरफ्तार किया था.
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