नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बुधवार को बिहार के पूर्वी चंपारण से नकली भारतीय मुद्रा नोटों की जब्ती से जुड़े आतंकी साजिश के मामले में अपना तीसरा पूरक आरोप पत्र दायर किया है. नेपाल और बांग्लादेश से संबंध रखने वाले मामले के मुख्य आरोपी सुधीर कुशवाहा के खिलाफ पटना स्थित एनआईए की विशेष अदालत में यह आरोप पत्र दायर किया गया. एनआईए इस मामले में पहले ही नेपाल, बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड से गिरोह के कई सदस्यों को गिरफ्तार कर चुकी है.
एनआईए की जांच से पता चला कि आरसी 15/2015/एनआईए-डीएलआई) मामले में कुशवाह एफआईसीएन रैकेट का मुख्य साजिशकर्ता था. पूरी साजिश में उसकी अहम भूमिका रही है. एनआईए ने कहा कि कुशवाहा ने आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए सह-आरोपी व्यक्तियों के साथ एक गिरोह बनाया था और उच्च गुणवत्ता वाले नकली नोटों की खरीद, तस्करी और संचलन, वितरण के लिए भारत और नेपाल का इस्तेमाल किया था. इसी साल जनवरी में कुशवाह को गिरफ्तार किया गया था.
यह साजिश 29 सितंबर, 2015 को बिहार के पूर्वी चंपारण के मोतिहारी, रामगढ़वा के पास राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) द्वारा आरोपी अफरोज अंसारी के पास से 5,94,000 रुपये के अंकित मूल्य के नकली नोटों की जब्ती के बाद सामने आई थी. एनआईए ने कहा, 'आरोपी नकली नोटों की खेप को नेपाल में आगे डिलीवरी के लिए भारत-नेपाल सीमा के पास रक्सौल ले जा रहा था.' जांच में सात लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिनके खिलाफ जुलाई 2016 से मार्च 2019 तक चार साल की अवधि में आरोप पत्र दायर किया गया था.
चार आरोपियों अफरोज अंसारी, सनी कुमार उर्फ सनी शॉ उर्फ सुजीत कुमार उर्फ कबीर खान, अशरफुल आलम उर्फ इशराफुल आलम और अलोमगीर शेख उर्फ राजू को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया और 30,000 रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. डीआरआई, पटना ने शुरू में मामला दर्ज किया था, जिसे एनआईए ने अपने कब्जे में ले लिया और 15 दिसंबर 2015 को फिर से दर्ज किया था.
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