नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भारत में आतंक और हिंसा फैलाने की साजिश में असम से संचालित अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी समूह के सक्रिय मॉड्यूल के दो सदस्यों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया है. दो आरोपियों मोहम्मद अकबर अली उर्फ अकबर अली और अबुल कलाम आजाद ने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के एक सक्रिय आतंकी मॉड्यूल के हिस्से के रूप में आतंकवादी गतिविधियों को भड़काने और बढ़ावा देने के लिए अन्य आरोपियों के साथ साजिश रची थी. भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (AQIS) प्रतिबंधित आतंकवादी से संबद्ध है.
दोनों अल-कायदा/एबीटी को मजबूत करने और युवाओं को आतंकी कृत्यों के लिए तैयार करने में लगे हुए थे. अकबर अली और अबुल कलाम आज़ाद दोनों को 5 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और अब एनआईए द्वारा उन पर आईपीसी और यूए (पी) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. आरोपियों ने पिछले साल अगस्त में आठ अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था.
जांच से यह भी पता चला है कि दोनों आरोपी असम के पड़ोसी जिलों में विभिन्न धार्मिक स्थानों पर AQIS की गतिविधियों का विस्तार करने के लिए बैठकें आयोजित करने में सह-साजिशकर्ता थे. मुसलमानों का कट्टरपंथीकरण और लामबंदी मॉड्यूल के बांग्लादेशी संचालकों, जाकिर उर्फ मेहदी हसन उर्फ अमीनुल इस्लाम, मेहबूर रहमान उर्फ मेहबूब आलम उर्फ सुल्तान के सक्रिय मार्गदर्शन में किया जा रहा था.
यह मामला मूल रूप से पिछले साल 4 मार्च को असम पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था और एबीटी मॉड्यूल की गतिविधियों के प्रकाश में आने के बाद 22 मार्च को आईपीसी, यूए (पी) अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत एनआईए ने इसे अपने कब्जे में ले लिया था. असम के बारपेटा जिले में संचालित इस मॉड्यूल का नेतृत्व बांग्लादेशी नागरिक सैफुल इस्लाम उर्फ हारून रशीद उर्फ एमडी सुमन कर रहा था.
जांच से पता चला कि सैफुल 'शेखुल हिंद महमदुल हसन जमीउल हुदा इस्लामिक अकादमी' (ढकलियापारा मदरसा) में एक अरबी शिक्षक और ढकलियापारा मस्जिद में इमाम की आड़ में बड़ी चतुराई से काम कर रहा था. वह भारत में अल-कायदा और इसकी विभिन्न संगठनों के लिए मॉड्यूल (अंसार - स्लीपर सेल) बनाने के काम में जुटा था. इसके लिए जिहादी संगठनों में शामिल होने के लिए मुसलमानों को प्रेरित करने और कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय रूप से लगा हुआ था.