नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने राजस्थान सरकार से उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासात्मक कार्रवाई करने के लिए कहा है, जिन्होंने 2017 में कोटा के एक स्कूल में कथित तौर पर शिक्षक की पिटाई के बाद पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले एक बच्चे की मौत हो जाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी की थी.
आयोग ने राज्य सरकार से कहा है कि बच्चे की मां को दो लाख रुपए अनुग्रह राशि के तौर पर दिए जाएं क्योंकि उनकी शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने में देरी संज्ञेय अपराध है और 'मानवाधिकारों के हनन के समान है.'
आयोग ने एक बयान में कहा कि उसने बच्चे की मां की 12 दिसंबर 2017 की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया है जिसमें कहा गया था कि उसके बेटे को 'पर्यावरण विषय पढ़ाने वाले एक शिक्षक ने गृह कार्य पूरा नहीं करने पर बेंत से बुरी तरह से पीटा था.'
इसमें कहा गया कि जब उनका बेटा घर वापस आया तो उसके मन में शिक्षक का इतना डर बैठ गया था कि उसे अपनी मां और भाई को पहचानने में कठिनाई हो रही थी और यहां तक कि उसे ऐसे सपने आ रहे थे कि शिक्षक आ कर उसे चाकू मार देगा. वह कुछ खा-पी भी नहीं रहा था.
बयान में कहा गया कि बच्चे को सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने कहा कि उनके बेटे को तेज बुखार है और वह बुरी तरह डरा हुआ है और यही बात अगले दिन एक मनोरोग चिकित्सक ने भी कही. दो दिन बाद तीन दिसंबर 2017 को बच्चे की मौत हो गई.
अयोग ने कहा कि आरोप हैं कि पुलिस अधिकारी शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे थे.
आयोग ने कोटा के पुलिस अधीक्षक, स्कूली शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, राजस्थान सरकार को नाटिस भेज कर रिपोर्ट तलब की है. साथ ही महानिदेशक (जांच) को भी जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
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कोटा के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कोटा की एक अदालत के निर्देश पर मामला दर्ज कर लिया गया है.