ETV Bharat / bharat

एनजीटी ने एनटीपीसी पर लगाया 58 लाख का जुर्माना

उत्तराखंड की प्रमुख बिजली कंपनी एनटीपीसी को एनजीटी से झटका लगा है. एनजीटी ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से लगाए गए जुर्माने में कोई राहत नहीं दी है. एनटीपीसी को पीसीबी को 57.96 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा.

एनजीटी
एनजीटी
author img

By

Published : Feb 23, 2021, 3:24 PM IST

Updated : Feb 23, 2021, 3:46 PM IST

नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने (एनजीटी) ने एनटीपीसी की याचिका को खारिज कर दिया है. एनटीपीसी ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के उस आदेश की समीक्षा की मांग की थी जिसमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर उस पर 57.96 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

प्रमुख बिजली कंपनी एनटीपीसी ने साइट रखरखाव मानदंडों का उल्लंघन किया, जिससे पर्यावरण को नुकसान हुआ. इसी को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उस पर 57.96 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि चमोली में तपोवन विष्णुगाड पनबिजली परियोजना में कंपनी ने जो कूड़ा डंप किया वह खतरनाक था.

क्षमता से करीब दोगुना था. इसी आधार पर एनजीटी ने एनटीपीसी लिमिटेड की राज्य पीसीबी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी.
पीठ ने कहा, 'पर्यावरण और वन मंत्रालय के दिशा- निर्देशों के अनुसार कूड़े का निपटान साइटों पर नहीं किया जा रहा था.

पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 'पोलटर पे' सिद्धांत को सही ढंग से लागू किया गया है ऐसे में अपील खारिज की जा जाती है.

न्यायाधिकरण ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुआवजे की इस राशि का उपयोग पर्यावरण को सुधारने के लिए कर सकता है.

दो कूड़ा निपटान साइटों में मिली थी कमी

एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना का संचालन कर रहा है. उसने 5 कूड़ा निपटान साइट स्थापित की हैं. इनमें से तीन पूरी हो चुकी है जबकि दो अभी भी सक्रिय हैं. राज्य पीसीबी को इन्हीं में कमियां मिली थीं.

पढ़ें- उत्तराखंड हादसा : राहत बचाव कार्य के बीच 68 शव बरामद, सैंकड़ों लापता

राज्य पीसीबी ने जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम, 1974 (जल अधिनियम) की धारा 33 ए के तहत आदेश पारित किया था, जिसमें अपीलार्थी एनटीपीसी को 57,96,000 रुपये का मुआवजा देने के कहा था.

नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने (एनजीटी) ने एनटीपीसी की याचिका को खारिज कर दिया है. एनटीपीसी ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के उस आदेश की समीक्षा की मांग की थी जिसमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर उस पर 57.96 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

प्रमुख बिजली कंपनी एनटीपीसी ने साइट रखरखाव मानदंडों का उल्लंघन किया, जिससे पर्यावरण को नुकसान हुआ. इसी को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उस पर 57.96 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि चमोली में तपोवन विष्णुगाड पनबिजली परियोजना में कंपनी ने जो कूड़ा डंप किया वह खतरनाक था.

क्षमता से करीब दोगुना था. इसी आधार पर एनजीटी ने एनटीपीसी लिमिटेड की राज्य पीसीबी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी.
पीठ ने कहा, 'पर्यावरण और वन मंत्रालय के दिशा- निर्देशों के अनुसार कूड़े का निपटान साइटों पर नहीं किया जा रहा था.

पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 'पोलटर पे' सिद्धांत को सही ढंग से लागू किया गया है ऐसे में अपील खारिज की जा जाती है.

न्यायाधिकरण ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुआवजे की इस राशि का उपयोग पर्यावरण को सुधारने के लिए कर सकता है.

दो कूड़ा निपटान साइटों में मिली थी कमी

एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना का संचालन कर रहा है. उसने 5 कूड़ा निपटान साइट स्थापित की हैं. इनमें से तीन पूरी हो चुकी है जबकि दो अभी भी सक्रिय हैं. राज्य पीसीबी को इन्हीं में कमियां मिली थीं.

पढ़ें- उत्तराखंड हादसा : राहत बचाव कार्य के बीच 68 शव बरामद, सैंकड़ों लापता

राज्य पीसीबी ने जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम, 1974 (जल अधिनियम) की धारा 33 ए के तहत आदेश पारित किया था, जिसमें अपीलार्थी एनटीपीसी को 57,96,000 रुपये का मुआवजा देने के कहा था.

Last Updated : Feb 23, 2021, 3:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.