काठमांडू : नेपाल ने भारत से अनुरोध किया है कि हाल में शुरू अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती निलंबित की जाए. गुरुवार को यहां जारी खबरों में यह दावा किया गया. माई रिपब्लिका दैनिक के अनुसार नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खडके ने बुधवार को नेपाल में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि नयी योजना के तहत नेपाली युवकों की भर्ती की योजना को स्थगित कर दिया जाए.
काठमांडू पोस्ट में प्रकाशित एक अन्य खबर के अनुसार भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट के लिए लुंबिनी प्रांत के बटवाल में नेपाली युवकों की भर्ती की तय योजना से एक दिन पहले यह मुलाकात हुई. कांतिपुर अखबार के अनुसार विदेश मंत्रालय में हुई मुलाकात के दौरान खडके ने भारतीय राजदूत से कहा कि नेपाल सरकार भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती को लेकर सकारात्मक रुख रखती है, लेकिन सरकार अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों से बातचीत करने के बाद इस विषय पर फैसला लेगी क्योंकि भारत सरकार ने नयी सैन्य भर्ती योजना शुरू की है.
भारत सरकार ने जून में अग्निपथ योजना की घोषणा करते हुए कहा था कि साढ़े 17 साल से 21 साल की उम्र के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए भर्ती किया जाएगा वहीं उनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा. नेपाल के युवक लंबे समय से भारतीय सेना में भर्ती होते रहे हैं. 1947 में नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था जिसमें ब्रिटिश और भारतीय सेनाओं में नेपाली युवकों को भर्ती करने का प्रावधान किया गया था.
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारतीय सेना लंबे समय से नेपाल के गोरखा की सैनिकों के रूप में भर्ती करती रही है और वह अग्निपथ भर्ती योजना के तहत प्रक्रिया जारी रखने के लिए आशान्वित है. भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में 43 बटालियन हैं और इनमें भारतीय सैनिकों के साथ ही नेपाल से भर्ती जवान भी शामिल हैं.
भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की 4 सितंबर से शुरू हो रही नेपाल की पांच दिन की यात्रा से पहले नेपाल का यह रुख सामने आया है. जनरल पांडे की यात्रा का मुख्य उद्देश्य नेपाल की सेना के मानद जनरल की उपाधि प्राप्त करना है जो उन्हें राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी प्रदान करेंगी.
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