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नेपाल को और अधिक वैक्सीन की जरूरत, भारत से साधा संपर्क - kathmandu corona vaccine

नेपाल में फिर से कोरोना का संक्रमण फैलने लगा है. इस पर नियंत्रण लगाने के लिए नेपाल ने भारत और चीन दोनों देशों से वैक्सीन की मांग की है. बाजार में कोरोना टीका की मांग बढ़ने की वजह से कोविशील्ड की कीमत बढ़ गई है. लेकिन नेपाल चाहता है कि उसे पुरानी कीमत पर ही टीका उपलब्ध करवाई जाए. एक विश्लेषण.

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Published : Mar 23, 2021, 7:07 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया में फिर से बढ़ने लगा है. नेपाल भी इससे अछूता नहीं है. नेपाल ने कोरोना वैक्सीन हासिल करने के लिए भारत और चीन दोनों देशों से संपर्क साधा है. चीन की साइनोफर्म ने नेपाल को बतौर गिफ्ट वैक्सीन की सप्लाई की है. इसके बावजूद नेपाल ने भारत से मदद मांगी है. नेपाल ने कहा कि उसे बड़ी मात्रा में वैक्सीन की जरूरत है. उसने अगले एक साल में अधिकांश आबादी को कोरोना के टीके लगवाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

भारत ने 'वैक्सीन डिप्लोमेसी' के तहत नेपाल को सीरम द्वारा उत्पादित कोविशील्ड की 10 लाख डोज उपलब्ध करवाई थी. उसके बाद नेपाल ने 27 जनवरी से वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत की थी.

'कोवैक्स' सुविधा के तहत नेपाल ने और अधिक वैक्सीन खरीदने के लिए कोविशील्ड का उत्पादन करने वाली कंपनी सीरम से संपर्क साधा. कोवैक्स सुविधा विश्व स्वास्थ्य संगठन का हिस्सा है. इसके तहत कम विकसित देशों को वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है.

इन प्रयासों की बदौलत ने नेपाल अबतक 17 लाख लोगों को टीका लगवा चुका है. स्वास्थ्यकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों, सरकारी कर्मचारियों, पत्रकारों और वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी गई है.

दूसरे फेज में नेपाल और अधिक लोगों को शामिल करने जा रहा है. 55 साल से अधिक उम्र के लोगों को अब टीका लगवाया जाएगा.

इसके लिए नेपाल ने सीरम कंपनी से वैक्सीन की मांग की है. उसने चीन से भी टीके की सप्लाई पर बात की है.

स्वास्थ्य मंत्री ह्रदयेश त्रिपाठी ने कहा कि नेपाल जल्द ही एक सरकारी विमान चीन भेज रहा है. इसके जरिए आठ लाख वैक्सीन नेपाल लाया जा सकेगा. वैक्सीन साइनोफर्म कंपनी की है. त्रिपाठी के अनुसार चीन इसे गिफ्ट के तौर पर उपलब्ध करवा रहा है.

नेपाल का कहना है कि उसने अगले एक साल में कम से कम 2 करोड़ की आबादी को टीका लगवाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए उसे भारत की मदद चाहिए. नेपाल चाहता है कि 18 साल से ऊपर की पूरी आबादी को अगले एक साल में टीका लगवा दिया जाए.

स्वास्थ्य मंत्री ह्रदयेश त्रिपाठी ने कहा कि सीरम से मदद मिलने के बाद ही उसका लक्ष्य पूरा हो सकता है. त्रिपाठी ने कहा कि सीरम से उनका पुराना रिश्ता रहा है. पहले भी सीरम ने नेपाल को मदद की है. उम्मीद है कि इस बार भी करेगा.

सीरम ने नेपाल से प्रति डोज चार डॉलर चार्ज किया था. नेपाल का कहना है कि वह इसी रेट पर टीके की सप्लाई चाहता है. कोविशील्ड की कीमत बाजार में बढ़ गई है. लेकिन नेपाल के स्वास्थ्य अधिकारी चाहते हैं कि उन्हें पुरानी कीमत पर ही टीका उपलब्ध करवाई जाए. सीरम ने इसकी कीमत पांच डॉलर प्रति डोज रखी है. चार्ज बढ़ने की वजह सप्लायर द्वारा लिया जाने वाला कमीशन है. नेपाल चाहता है कि इस कमीशन को खत्म कर दिया जाए. इस वजह से नेपाल को वैक्सीन मिलने में देरी हो रही है.

नेपाल ने 15 मार्च तक 2.2 मिलियन पीसीआर टेस्ट किए हैं. नेपाल में कोरोना के 2.75 लाख मामले सामने आए हैं. 3,014 लोगों की मौत हो चुकी है.

(लेखक- सुरेद्र फुयाल, वरिष्ठ पत्रकार, काठमांडू)

हैदराबाद : कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया में फिर से बढ़ने लगा है. नेपाल भी इससे अछूता नहीं है. नेपाल ने कोरोना वैक्सीन हासिल करने के लिए भारत और चीन दोनों देशों से संपर्क साधा है. चीन की साइनोफर्म ने नेपाल को बतौर गिफ्ट वैक्सीन की सप्लाई की है. इसके बावजूद नेपाल ने भारत से मदद मांगी है. नेपाल ने कहा कि उसे बड़ी मात्रा में वैक्सीन की जरूरत है. उसने अगले एक साल में अधिकांश आबादी को कोरोना के टीके लगवाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

भारत ने 'वैक्सीन डिप्लोमेसी' के तहत नेपाल को सीरम द्वारा उत्पादित कोविशील्ड की 10 लाख डोज उपलब्ध करवाई थी. उसके बाद नेपाल ने 27 जनवरी से वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत की थी.

'कोवैक्स' सुविधा के तहत नेपाल ने और अधिक वैक्सीन खरीदने के लिए कोविशील्ड का उत्पादन करने वाली कंपनी सीरम से संपर्क साधा. कोवैक्स सुविधा विश्व स्वास्थ्य संगठन का हिस्सा है. इसके तहत कम विकसित देशों को वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है.

इन प्रयासों की बदौलत ने नेपाल अबतक 17 लाख लोगों को टीका लगवा चुका है. स्वास्थ्यकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों, सरकारी कर्मचारियों, पत्रकारों और वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी गई है.

दूसरे फेज में नेपाल और अधिक लोगों को शामिल करने जा रहा है. 55 साल से अधिक उम्र के लोगों को अब टीका लगवाया जाएगा.

इसके लिए नेपाल ने सीरम कंपनी से वैक्सीन की मांग की है. उसने चीन से भी टीके की सप्लाई पर बात की है.

स्वास्थ्य मंत्री ह्रदयेश त्रिपाठी ने कहा कि नेपाल जल्द ही एक सरकारी विमान चीन भेज रहा है. इसके जरिए आठ लाख वैक्सीन नेपाल लाया जा सकेगा. वैक्सीन साइनोफर्म कंपनी की है. त्रिपाठी के अनुसार चीन इसे गिफ्ट के तौर पर उपलब्ध करवा रहा है.

नेपाल का कहना है कि उसने अगले एक साल में कम से कम 2 करोड़ की आबादी को टीका लगवाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए उसे भारत की मदद चाहिए. नेपाल चाहता है कि 18 साल से ऊपर की पूरी आबादी को अगले एक साल में टीका लगवा दिया जाए.

स्वास्थ्य मंत्री ह्रदयेश त्रिपाठी ने कहा कि सीरम से मदद मिलने के बाद ही उसका लक्ष्य पूरा हो सकता है. त्रिपाठी ने कहा कि सीरम से उनका पुराना रिश्ता रहा है. पहले भी सीरम ने नेपाल को मदद की है. उम्मीद है कि इस बार भी करेगा.

सीरम ने नेपाल से प्रति डोज चार डॉलर चार्ज किया था. नेपाल का कहना है कि वह इसी रेट पर टीके की सप्लाई चाहता है. कोविशील्ड की कीमत बाजार में बढ़ गई है. लेकिन नेपाल के स्वास्थ्य अधिकारी चाहते हैं कि उन्हें पुरानी कीमत पर ही टीका उपलब्ध करवाई जाए. सीरम ने इसकी कीमत पांच डॉलर प्रति डोज रखी है. चार्ज बढ़ने की वजह सप्लायर द्वारा लिया जाने वाला कमीशन है. नेपाल चाहता है कि इस कमीशन को खत्म कर दिया जाए. इस वजह से नेपाल को वैक्सीन मिलने में देरी हो रही है.

नेपाल ने 15 मार्च तक 2.2 मिलियन पीसीआर टेस्ट किए हैं. नेपाल में कोरोना के 2.75 लाख मामले सामने आए हैं. 3,014 लोगों की मौत हो चुकी है.

(लेखक- सुरेद्र फुयाल, वरिष्ठ पत्रकार, काठमांडू)

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