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नेपाल के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, गैरजरूरी सामान के आयात पर लगा प्रतिबंध

भारत के एक और पड़ोसी देश नेपाल में अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है. नेपाल की सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बाद कार, गोल्ड, कॉस्मैटिक समेत गैर जरूरी सामान के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. आईएएनएस ने यह जानकारी बीबीसी के हवाले से दी है.

Nepal Rastra Bank
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Published : Apr 12, 2022, 5:36 PM IST

काठमांडू : नेपाल सरकार ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने के बाद कार, गोल्ड, कॉस्मैटिक समेत गैर जरूरी सामान के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश में काम करने वाले नेपालियों की ओर से भेजे जाने वाली रकम में गिरावट आई है. साथ ही पर्यटकों की संख्या में कमी के कारण टूरिजम पर आधारित नेपाल की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा धक्का लगा है. इससे सरकार का कर्ज बढ़ गया है. इस हालात को देखते हुए सरकार ने देश के केंद्रीय बैंक (Nepal Rastra Bank) के गवर्नर को पिछले सप्ताह पद से हटा दिया. हालांकि नेपाल के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने दावा किया है कि देश की आर्थिक हालत श्रीलंका जैसी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि वह हैरान हैं कि इस मुद्दे की तुलना श्रीलंका के संकट से की जा रही है.

नेपाल के सेंट्रल बैंक (नेपाल राष्ट्र बैंक) के मुताबिक, फरवरी के मध्य तक सात महीनों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 16 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. अभी नेपाल के पास 9.59 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा है, जो नेपाल की करेंसी के मुताबिक 1.17 ट्रिलियन रुपये के बराबर है. इस अवधि में विदेशों में काम करने वाले नेपाली नागरिकों की ओर से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा में पांच फीसदी की गिरावट आई है. देश की इकोनॉमी की हालत को देखते हुए अप्रैल के पहले सप्ताह में सरकार ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर महा प्रसाद अधिकारी को बिना कारण बताए हटा दिया था.

नेपाल के वित्त मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि नेपाल में सरकारी कर्ज उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 43 प्रतिशत से अधिक हो गया है. मंत्रालय का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए खर्चों में बढ़ोतरी की गई है. वित्त मंत्रालय ने दावा किया है कि देश की आर्थिक सेहत नॉर्मल है. हालांकि, बाहरी क्षेत्र में कुछ दबावों के कारण आयात पर प्रतिबंध लगाए गए है. विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए सरकार पहले ही कदम उठा चुकी है. वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने कहा कि देश पर कर्ज अन्य देशों की तुलना में कम हैं. उन्होंने हैरानी जताई कि लोग श्रीलंका से नेपाल की तुलना क्यों कर रहे हैं.

बता दें कि 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. कोरोना, टूरिस्टों की घटती संख्या और सरकार की नीतियों के कारण श्रीलंका में महंगाई चरम पर है. श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में कर्जों का ब्याज चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं. लोग राजपक्षे सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए है.

(आईएएनएस)

पढ़ें : श्रीलंका आर्थिक संकट : भारत ने चेन ग्लोरी शिप से 11,000 मीट्रिक टन चावल कोलंबो भेजा

काठमांडू : नेपाल सरकार ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने के बाद कार, गोल्ड, कॉस्मैटिक समेत गैर जरूरी सामान के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश में काम करने वाले नेपालियों की ओर से भेजे जाने वाली रकम में गिरावट आई है. साथ ही पर्यटकों की संख्या में कमी के कारण टूरिजम पर आधारित नेपाल की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा धक्का लगा है. इससे सरकार का कर्ज बढ़ गया है. इस हालात को देखते हुए सरकार ने देश के केंद्रीय बैंक (Nepal Rastra Bank) के गवर्नर को पिछले सप्ताह पद से हटा दिया. हालांकि नेपाल के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने दावा किया है कि देश की आर्थिक हालत श्रीलंका जैसी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि वह हैरान हैं कि इस मुद्दे की तुलना श्रीलंका के संकट से की जा रही है.

नेपाल के सेंट्रल बैंक (नेपाल राष्ट्र बैंक) के मुताबिक, फरवरी के मध्य तक सात महीनों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 16 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. अभी नेपाल के पास 9.59 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा है, जो नेपाल की करेंसी के मुताबिक 1.17 ट्रिलियन रुपये के बराबर है. इस अवधि में विदेशों में काम करने वाले नेपाली नागरिकों की ओर से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा में पांच फीसदी की गिरावट आई है. देश की इकोनॉमी की हालत को देखते हुए अप्रैल के पहले सप्ताह में सरकार ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर महा प्रसाद अधिकारी को बिना कारण बताए हटा दिया था.

नेपाल के वित्त मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि नेपाल में सरकारी कर्ज उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 43 प्रतिशत से अधिक हो गया है. मंत्रालय का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए खर्चों में बढ़ोतरी की गई है. वित्त मंत्रालय ने दावा किया है कि देश की आर्थिक सेहत नॉर्मल है. हालांकि, बाहरी क्षेत्र में कुछ दबावों के कारण आयात पर प्रतिबंध लगाए गए है. विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए सरकार पहले ही कदम उठा चुकी है. वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने कहा कि देश पर कर्ज अन्य देशों की तुलना में कम हैं. उन्होंने हैरानी जताई कि लोग श्रीलंका से नेपाल की तुलना क्यों कर रहे हैं.

बता दें कि 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. कोरोना, टूरिस्टों की घटती संख्या और सरकार की नीतियों के कारण श्रीलंका में महंगाई चरम पर है. श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में कर्जों का ब्याज चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं. लोग राजपक्षे सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए है.

(आईएएनएस)

पढ़ें : श्रीलंका आर्थिक संकट : भारत ने चेन ग्लोरी शिप से 11,000 मीट्रिक टन चावल कोलंबो भेजा

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