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आरटी-पीसीआर : टेस्टिंग आसान, नीरी ने विकसित किया नया तरीका

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Published : May 28, 2021, 9:20 PM IST

राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ने आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए आसान तरीका विकसित किया है. इसने गार्गलिंग के जरिए सैंपल इकट्ठा करने का तरीका खोज निकाला. आपको तीन घंटे में परिणाम मिल जाएंगे.

नीरी
नीरी

नई दिल्ली : राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने आरटी-पीसीआर कोरोना वायरस की जांच के लिए नमूने लेने और उनके प्रसंस्करण का आसान एवं तेज तरीका विकसित किया है जो ग्रामीण एवं जनजातीय इलाकों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने कहा कि यह तरीका आसान, तेज, किफायती एवं मरीजों के अनुकूल और आरामदायक है.

इसने कहा कि मामूली ढांचागत जरूरतों के चलते यह ग्रामीण एवं जनजातीय इलाकों के लिए उपयुक्त है. नागपुर स्थित नीरी सीएएसआईआर की घटक प्रयोगशाला है.

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नीरी में पर्यावरणीय विषाणु विज्ञान प्रकोष्ठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक कृष्ण खैरनार ने कहा कि रूई के फाहों से नमूने लेने की प्रक्रिया में समय लगता है. इसके अलावा, क्योंकि यह नाक और मुंह के अंदर रूई के फाहे डालकर नमूने लिए जाने की प्रक्रिया है, इसलिए यह मरीजों के लिए थोड़ी असुविधाजनक है.

उन्होंने कहा, 'कभी-कभी, नमूनों को संकलन केंद्र तक ले जाने के दौरान यह गुम भी हो जाता है. वहीं, सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर तरीका तत्काल, सुविधाजनक एवं मरीजों के अनुकूल है. नमूने तुरंत ले लिए जाते हैं और परिणाम तीन घंटे के भीतर आ जाते हैं.'

खैरनार ने बताया कि इस प्रक्रिया में शरीर के किसी हिस्से में कोई उपकरण नहीं डाला जाता और इतना आसान है कि मरीज खुद ही नमूना ले सकते हैं.

उन्होंने कहा कि नाक में और मुंह में रूई के फाहे से नमूने लेने के तरीके में तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है और समय भी लगता है. इसके उलट, सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर तरीके में साधारण ट्यूब होती है जो नमकीन घोल से युक्त होती है.

खैरनार ने बताया कि मरीज को इस घोल से गरारा करना होता है और इसे ट्यूब में डालना होता है. इस ट्यूब में लिए गए नमूने को प्रयोगशाला ले जाया जाता है जहां उसे सामान्य तापमान पर नीरी द्वारा तैयार विशेष बफर घोल में रखा जाता है.

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इस घोल को गर्म करने पर आरएनए टैंपलेट बनता है जिसे आरटी-पीसीआर के लिए प्रसंस्कृत किया जाता है. सीएसआईआर ने बताया कि नागपुर नगर निगम ने इस तरीके से जांच के लिए अनुमति दे दी है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने आरटी-पीसीआर कोरोना वायरस की जांच के लिए नमूने लेने और उनके प्रसंस्करण का आसान एवं तेज तरीका विकसित किया है जो ग्रामीण एवं जनजातीय इलाकों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने कहा कि यह तरीका आसान, तेज, किफायती एवं मरीजों के अनुकूल और आरामदायक है.

इसने कहा कि मामूली ढांचागत जरूरतों के चलते यह ग्रामीण एवं जनजातीय इलाकों के लिए उपयुक्त है. नागपुर स्थित नीरी सीएएसआईआर की घटक प्रयोगशाला है.

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नीरी में पर्यावरणीय विषाणु विज्ञान प्रकोष्ठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक कृष्ण खैरनार ने कहा कि रूई के फाहों से नमूने लेने की प्रक्रिया में समय लगता है. इसके अलावा, क्योंकि यह नाक और मुंह के अंदर रूई के फाहे डालकर नमूने लिए जाने की प्रक्रिया है, इसलिए यह मरीजों के लिए थोड़ी असुविधाजनक है.

उन्होंने कहा, 'कभी-कभी, नमूनों को संकलन केंद्र तक ले जाने के दौरान यह गुम भी हो जाता है. वहीं, सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर तरीका तत्काल, सुविधाजनक एवं मरीजों के अनुकूल है. नमूने तुरंत ले लिए जाते हैं और परिणाम तीन घंटे के भीतर आ जाते हैं.'

खैरनार ने बताया कि इस प्रक्रिया में शरीर के किसी हिस्से में कोई उपकरण नहीं डाला जाता और इतना आसान है कि मरीज खुद ही नमूना ले सकते हैं.

उन्होंने कहा कि नाक में और मुंह में रूई के फाहे से नमूने लेने के तरीके में तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है और समय भी लगता है. इसके उलट, सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर तरीके में साधारण ट्यूब होती है जो नमकीन घोल से युक्त होती है.

खैरनार ने बताया कि मरीज को इस घोल से गरारा करना होता है और इसे ट्यूब में डालना होता है. इस ट्यूब में लिए गए नमूने को प्रयोगशाला ले जाया जाता है जहां उसे सामान्य तापमान पर नीरी द्वारा तैयार विशेष बफर घोल में रखा जाता है.

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इस घोल को गर्म करने पर आरएनए टैंपलेट बनता है जिसे आरटी-पीसीआर के लिए प्रसंस्कृत किया जाता है. सीएसआईआर ने बताया कि नागपुर नगर निगम ने इस तरीके से जांच के लिए अनुमति दे दी है.

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