नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को आयुर्वेद और योग जैसी स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया दिया ताकि लोगों को समग्र स्वास्थ्य देखभाल समाधान दिया जा सकें. दिल्ली में चिकित्सा विज्ञान राष्ट्रीय प्रतिष्ठान के 62वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए मंडाविया ने कहा कि औषधि की पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रणालियों के अपने-अपने फायदे हैं.
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हमारी ट्रेडिशनल मेडिसिन, आयुष, आयुर्वेद और मॉडर्न मेडिसिन उसके बीच integration करना बहुत आवश्यक है। pic.twitter.com/WnQih14oOY
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— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) April 21, 2022
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियां एहतियाती स्वास्थ्य देखभाल में प्रभावी हैं, जबकि आधुनिक औषधियों की बीमारियों के निदान और इलाज में अहम भूमिका है. उन्होंने कहा, हमारी अपनी स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियों जैसे कि आयुर्वेद और योग को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से जोड़ना वक्त की जरूरत है. महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई पर मंडाविया ने कहा कि भारत के कोविड-19 प्रबंधन और टीकाकरण अभियान से दुनिया हैरान है.
महामारी के दौरान भारत की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में प्रगति पर मंत्री ने कहा, हमने न केवल कोविड टीके बनाए बल्कि बेहद कम वक्त में उनका निर्माण और निर्यात भी किया. भारत की कोविड प्रबंधन रणनीति पर निराशाजनक अनुमान लगाए गए थे लेकिन हम न केवल महामारी से अच्छे तरह से निपट पाए बल्कि दुनियाभर में हमारी सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रणाली भी साझा की. मांडविया ने कहा, इस देश में कभी मानवश्रम या मस्तिष्क शक्ति की कमी नहीं थी. हमारे में केवल आत्म-विश्वास होना चाहिए.
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मंडाविया ने कहा कि अनुसंधान और नवोन्मेष किसी भी देश को आगे बढ़ाते हैं. उन्होंने कहा, आज गुजरात के धोलावीरा जाते हैं, लोथल जाते हैं. धोलावीरा की 5,000 साल पुरानी सभ्यता है. यह दिखाता है कि हम कितने सभ्य थे, उस समय हमारा विज्ञान कितना विकसित था. मंडाविया ने प्रतिष्ठान और अनुसंधानकर्ताओं को शोध और नवोन्मेष के लिए निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी करने के लिए प्रेरित किया.
(पीटीआई-भाषा)