नई दिल्ली : कोरोना महामारी पर गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने शनिवार को कहा कि ब्रिटेन में पाए गए कोरोना वायरस के स्ट्रेन से संक्रमित व्यक्तियों की पहचान करना चुनौतीपूर्ण है और भारत में इसके प्रसार को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं.
टास्क फोर्स ने एक बैठक के दौरान ब्रिटेन में पाए गए नए कोरोना स्ट्रेन के साथ-साथ वर्तमान राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल, परीक्षण रणनीति और कोविड-19 की निगरानी से संबंधित पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की.
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि चूंकि ब्रिटेन के स्ट्रेन को वायरस के बढ़ते संक्रमण का कारण माना जाता है, इसलिए इस स्ट्रेन से संक्रमित व्यक्तियों का पता लगाना चुनौतीपूर्ण है.
राष्ट्रीय टास्क फोर्स की बैठक में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) प्रो. वीके पॉल, आईसीएमआर के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव, एम्स के निदेशक प्रो. रणदीप गुलेरिया के अलावा डीसीजीआई, डीजीएचएस, एनसीडीसी के निदेशक और अन्य अधिकारी शामिल हुए.
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बैठक में फैसला किया गया कि नए स्ट्रेन के उत्परिवर्तन को देखते हुए मौजूदा उपचार प्रोटोकॉल को बदलने की कोई जरूरत नहीं है. इसके अलावा, चूंकि आईसीएमआर ने हमेशा कोविड-19 के परीक्षण के लिए दो या अधिक जीन परीक्षण के उपयोग की वकालत की है, इसलिए वर्तमान परीक्षण रणनीति से संक्रमित मामलों के छूटने संभावना ही नहीं है.