नई दिल्ली : संपत्ति सलाहकार कंपनी सीबीआरई का मानना है कि सरकार को किराये वाली आवासीय परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार के लिए एक तय अवधि तक संपत्ति कर में छूट देने और विकास के लिए पूंजी जुटाने को आसान बनाने जैसे कदम उठाने की जरूरत है.
सीबीआरई ने 'भारत में किराये पर आवास क्षेत्र का उदय' पर अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि शहरी भारत में कुल 10.01 करोड़ घरों में से 1.1 करोड़ से अधिक बिकी आवासीय इकाइयां अब भी खाली पड़ी हुई हैं. भारत में आवास की कमी की समस्या दूर करने में ये आवासीय इकाइयां मददगार हो सकती हैं.
यह रिपोर्ट कहती है कि शहरी इलाकों की जनांकिकी संरचना, सामाजिक-आर्थिक रुझान और उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतें किराये पर घर की मांग को गति दे रही हैं. इसके अलावा कोविड काल में बड़े पैमाने पर कामगारों के शहरों से गांवों की तरफ लौटने से भी किराये पर किफायती आवास मुहैया कराने की जरूरत बढ़ी है.
सीबीआरई के मुताबिक, किराये पर आवासीय इकाइयां उपलब्ध कराने की क्षमता के दोहन के लिए सरकार उचित किराया आवास परिसर (ARHC) योजना की घोषणा कर चुकी है और आदर्श किराया अधिनियम 2021 भी लेकर आई है. हालांकि, उसका मानना है कि इस दिशा में सरकार को अभी कई कदम उठाने होंगे. किराया कानून का मकसद किराये पर आवास के बाजार से जुड़े कानूनी ढांचे को दुरुस्त करना है. इसके लिए किरायेदारी से जुड़े विवादों के त्वरित निपटान के लिए एक किराया अधिकरण बनाने की बात भी कही गई है. लेकिन रिपोर्ट कहती है कि इस मॉडल कानून में भी कुछ खामियां हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है.
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सीबीआरई का सुझाव है कि किराये पर आवास की नीति बनाने जैसे 11 कदम सरकार को उठाने की जरूरत है. रिपोर्ट कहती है, 'किरायेदारी से जुड़े कुछ विवादों के समाधान के लिए इस कानून में एक समयसीमा तय करने की जरूरत है. इस अधिनियम में किरायेदार को निकालने पर लगी रोक हटा दी गई है लेकिन प्रक्रिया पहले की ही तरह निषेधकारी बनी हुई है.'
इसके अलावा सीबीआरई ने सरकार को पहले से एक तय अवधि तक संपत्ति कर में छूट देने, सार्वजनिक-निजी भागीदारी से किराये पर आवास वाली परियोजनाओं के विकास और आसान पूंजी मुहैया कराने जैसे कदम उठाने का भी सुझाव दिया है. सीबीआरई के भारत एवं दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया एवं अफ्रीकी क्षेत्र के चेयरमैन अंशुमान मैगजीन कहते हैं, 'आदर्श किराया कानून भारत में किराये पर आवास क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाला साबित होगा. इस कानून से इस क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ने और खाली पड़ी इकाइयों से कमाई को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है.'
(पीटीआई-भाषा)