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Cyclone Biparjoy : हर हालात से निपटने को NDRF तैयार, हर मिशन पर एजेंसी की होती है 'सुपर' तैयारी - बचाव कार्य में जुटा आपदा मोचन बल

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय गुजरात के तटीय इलाकों से टकराने वाला है. खतरा महाराष्ट्र पर भी मंडरा रहा है. ऐसे में देशभर की नजर आपदा मोचन बल, जिसे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) भी कहते हैं, उस पर है. एनडीआरएफ (NDRF) ने हमेशा अपने काम का लोहा मनवाया है. देश हो या विदेश, कहीं भी प्राकृतिक आपदा के समय में इसने अपनी भूमिका को साबित किया है. खास रिपोर्ट.

NDRF
बचाव कार्य में जुटा आपदा मोचन बल
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Published : Jun 15, 2023, 5:15 PM IST

Updated : Jun 15, 2023, 11:03 PM IST

नई दिल्ली : गुजरात और महाराष्ट्र पर चक्रवाती तूफान बिपरजॉय (Cyclone Biparjoy) के खतरे को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) तैनात है. संघीय आकस्मिक बल के डीजी अतुल करवाल ने कहा कि गुजरात में 18 टीमों को तैनात किया गया है. वहीं, एनडीआरएफ ने देश के उत्तर, पूर्व और दक्षिण में 15 और टीमों को एयरलिफ्ट करने और इन टीमों की ताकत को मजबूत करने के लिए अलर्ट पर रखा है.

दरअसल गुजरात में चक्रवाती तूफान और तेज हवाओं और भारी बारिश का सबसे अधिक खामियाजा भुगतने की भविष्यवाणी की गई है. करवाल ने कहा कि गुजरात सरकार के अधिकारियों द्वारा साझा की गई सूचना के आधार पर गुरुवार सुबह नौ बजे तक गुजरात के तटीय और निचले इलाकों से करीब एक लाख लोगों को निकाला गया है.

एनडीआरएफ के डीजी ने कहा, हमने गुजरात में त्वरित बचाव अभियान चलाने के लिए 18 टीमों को तैनात किया है और तैयार रखा है. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की अधिकतम चार टीमों को कच्छ जिले में तैनात किया गया है. साल्ट पैन श्रमिकों और गर्भवती महिलाओं को भी क्रमशः सुरक्षित स्थानों और अस्पताल ले जाया गया है. हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जीवन और संपत्ति का नुकसान कम से कम रहे. हमने अपनी टीमों को पेड़ और पोल कटर से लैस किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चक्रवाती प्रभाव खत्म होने के बाद संचार लिंक खुले रहें और जल्दी से बहाल हो जाएं.

करवाल ने कहा कि भारी बारिश के कारण कुछ निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है और इसलिए हमारी टीमों के पास इन क्षेत्रों से लोगों को बचाने के लिए हवा वाली नावें हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर, पूर्व और दक्षिण में पांच-पांच टीमों को तैयार रखा गया है और जरूरत पड़ने पर उन्हें भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विमानों द्वारा एयरलिफ्ट किया जा सकता है.

एनडीआरएफ ने पहले भी अपने काम का लोहा मनवाया है. ऐसे में जानते हैं क्यों पड़ी इस बल के गठन की जरूरत और कब हुआ इसका गठन. इस बल की ताकत क्या है.

  • 14/06/23#Cyclone"BIPARJOY"
    # Team 6 NDRF a/w civil administration evacuated 452 men, 390 women and 158 children from villages Dhragavndh, Pipar & Botau and shifted them to cyclone centers at 18 Bn BSF Camp, Vermanagar & Dayalpar in Lakhpat Tehsil of Kutch district respectively. pic.twitter.com/DPsoXnFzs7

    — 6 NDRF VADODARA (@6NDRFVADODARA) June 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्यों पड़ी एनडीआरएफ गठन की जरूरत : नब्बे के दशक के मध्य और उसके बाद आपदा प्रतिक्रिया और तैयारी पर अंतरराष्ट्रीय बहस और चर्चा हुई. इसी अवधि के दौरान भारत ने ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999), गुजरात भूकंप (2001) और हिंद महासागर सुनामी (2004) जैसी कुछ सबसे गंभीर प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया. तब भारत को एक ऐसा बल बनाने की आवश्यकता महसूस हुई जो कठिन परिस्थितियों में तेजी से लोगों को जान बचा सके.

  • Cyclone Warning for Saurashtra & Kutch Coasts: RED MESSAGE.VSCS BIPARJOY at 1530IST today near lat 22.85N and lon 67.7E about 100km WSW of Jakhau Port (Gujarat),150km WNW of Devbhumi Dwarka.Landfall process will commence near Jakhau Port from today evening,continue till midnight. pic.twitter.com/2QSFVq3K32

    — India Meteorological Department (@Indiametdept) June 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

जानिए कब हुआ एनडीआरएफ का गठन : 26 दिसंबर, 2005 को आपदा प्रबंधन अधिनियम को अधिनियमित किया गया. आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों, योजनाओं और दिशानिर्देशों को निर्धारित करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) का गठन किया गया. एनडीआरएफ देश भर में एक प्रतिष्ठित, अद्वितीय बल है जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आता है.

पहली चुनौती कोसी बाढ़ के दौरान सामने आई : एनडीआरएफ के लिए आपदा की पहली बड़ी परीक्षा 2008 में कोसी बाढ़ थी. 19 अगस्त 2008 को कोसी बैराज में दरार के तुरंत बाद एनडीआरएफ संसाधनों को बिहार ले जाया गया था. तीन अलग-अलग बटालियनों से 780 बाढ़ बचाव प्रशिक्षित कर्मियों को भेजा गया था.

अपनी स्थापना के बाद से एनडीआरएफ ने आपदा स्थितियों से निपटने में अपनी विशेषज्ञता और करुणा का प्रदर्शन करके लाखों देशवासियों का दिल जीतना जारी रखा है. ऐसी चुनौतियों की फेहरिस्त लंबी है.

  • जनवरी 2010 में बेल्लारी (कर्नाटक) में एक छह मंजिला इमारत ढह गई. एनडीआरएफ ने सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से सात दिनों तक चौबीसों घंटे के ऑपरेशन में फंसे हुए 20 जीवित पीड़ितों को बचाया और 29 शवों को निकाला.
  • अप्रैल 2012 में जालंधर (पंजाब) में एक बहुमंजिला फैक्ट्री इमारत के ढहने की घटना में, एनडीआरएफ ने मलबे के नीचे फंसे 12 जीवित पीड़ितों को सफलतापूर्वक बचाया और 19 शव भी बरामद किए.

केदारनाथ त्रासदी : 16-17 जून 2013 को केदारनाथ में भारी बारिश और बाढ़ की भयंकर तबाही आई. करीब साढ़े चार हजार लोग मारे गए. एनडीआरएफ ने इस त्रासदी में बड़ा राहत अभियान चलाया था.
कश्मीर में बचाईं हजारों जानें : सितंबर 2014 में जम्मू कश्मीर के कई जिलों में मूसलाधार बारिश के कारण विनाशकारी बाढ़ आई. एनडीआरएफ के लिए इतने बड़े पैमाने पर शहरी बाढ़ को संभालने का यह पहला अनुभव था. जिस समय एनडीआरएफ की टीमें अचानक आई बाढ़ के जवाब में श्रीनगर पहुंचीं, वहां पानी का विशाल विस्तार था, आधे-पानी में डूबे घरों के समूह, टूटे हुए पुल, सड़कें बह गई थीं और लाखों लोग छतों पर फंसे हुए थे. खराब संचार और बिजली आपूर्ति ने संकट को और बढ़ाया. एनडीआरएफ ने 50,000 से अधिक लोगों को बचाया और लगभग 80 टन राहत सामग्री वितरित की.

हर चुनौती में खुद को साबित करती है एनडीआरएफ
हर चुनौती में खुद को साबित करती है एनडीआरएफ
  • अक्टूबर 2014 में जब चक्रवात हुद-हुद ने पूर्वी भारतीय तट पर दस्तक दी, तो प्रभावित लोगों की जान बचाने के लिए एनडीआरएफ के कर्मी वहां मौजूद थे.

2015 में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में निर्माणाधीन सुरंग ढहने से दो श्रमिक नौ दिनों तक फंसे रहे. एनडीआरएफ ने मैराथन बचाव अभियान चलाकर उनको सुरक्षित निकाल लिया.

दिसंबर 2015 के महीने में अभूतपूर्व बारिश से तमिलनाडु और पुडुचेरी के कुछ हिस्सों में बाढ़ आ गई, जिसके परिणामस्वरूप चेन्नई और इसके उपनगरों में शहरी बाढ़ आ गई. एनडीआरएफ ने हवाई मार्ग से देश भर के विभिन्न स्थानों से 50 यूएसएआर टीमों को जुटाया और 14,000 से अधिक बाढ़ प्रभावित लोगों को समय पर निकाला.

विदेशों में भी ऊंचा किया भारत का नाम

mission accomplished team in Türkiye
तुर्की में मिशन पूरा करने वाली टीम

एनडीआरएफ ने न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी सफलता का झंडा गाड़ा है.मार्च-अप्रैल 2011 में जापान में तिहरी आपदा के जवाब में एनडीआरएफ के 46 कर्मियों द्वारा प्रदान की गई उत्कृष्ट सेवाओं ने भी एनडीआरएफ की ख्याति प्राप्त की है.

25 अप्रैल 2015 को नेपाल में 7.8 की तीव्रता वाला भूकंप आया. एनडीआरएफ के कर्मियों ने कुल 16 पीड़ितों में से 11 को जीवित मलबे से बाहर निकाला.

छह फरवरी 2023 को तुर्की और सीरिया में विनासकारी भूकंप आया. भारत ने बचाव दल के रूप में एनडीआरएफ की टीम भेजी. एनडीआरएफ की टीम ने 10 दिन तक बचाव कार्य किया. टीम जब भारत लौटी तो प्रधानमंत्री मोदी ने उसकी तारीफ की. मोदी ने कहा कि 'हमें आप पर गर्व है.'

ये है एनडीआरएफ की ताकत : 2006 में 8 बटालियनों के साथ NDRF का गठन किया गया था. वर्तमान में, एनडीआरएफ के पास 12 बटालियनों की क्षमता है और प्रत्येक बटालियन में 1149 कर्मचारी हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल में BSF, CISF, CRPF, ITBP, SSB और असम राइफल्स की 15 बटालियन शामिल हैं. प्रत्येक बटालियन में इंजीनियरों, तकनीशियनों, इलेक्ट्रीशियन, डॉग स्क्वॉड और मेडिकल/पैरामेडिक्स सहित प्रत्येक 45 कर्मियों की 18 स्व-निहित विशेषज्ञ खोज और बचाव दल हैं.

प्रत्येक बटालियन की कुल ताकत 1,149 है. सभी बटालियनों को प्राकृतिक और साथ ही मानव निर्मित आपदाओं से निपटने के लिए सुसज्जित और प्रशिक्षित किया गया है. बटालियनों को रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN) आपात स्थितियों के दौरान प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाता है.

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नई दिल्ली : गुजरात और महाराष्ट्र पर चक्रवाती तूफान बिपरजॉय (Cyclone Biparjoy) के खतरे को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) तैनात है. संघीय आकस्मिक बल के डीजी अतुल करवाल ने कहा कि गुजरात में 18 टीमों को तैनात किया गया है. वहीं, एनडीआरएफ ने देश के उत्तर, पूर्व और दक्षिण में 15 और टीमों को एयरलिफ्ट करने और इन टीमों की ताकत को मजबूत करने के लिए अलर्ट पर रखा है.

दरअसल गुजरात में चक्रवाती तूफान और तेज हवाओं और भारी बारिश का सबसे अधिक खामियाजा भुगतने की भविष्यवाणी की गई है. करवाल ने कहा कि गुजरात सरकार के अधिकारियों द्वारा साझा की गई सूचना के आधार पर गुरुवार सुबह नौ बजे तक गुजरात के तटीय और निचले इलाकों से करीब एक लाख लोगों को निकाला गया है.

एनडीआरएफ के डीजी ने कहा, हमने गुजरात में त्वरित बचाव अभियान चलाने के लिए 18 टीमों को तैनात किया है और तैयार रखा है. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की अधिकतम चार टीमों को कच्छ जिले में तैनात किया गया है. साल्ट पैन श्रमिकों और गर्भवती महिलाओं को भी क्रमशः सुरक्षित स्थानों और अस्पताल ले जाया गया है. हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जीवन और संपत्ति का नुकसान कम से कम रहे. हमने अपनी टीमों को पेड़ और पोल कटर से लैस किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चक्रवाती प्रभाव खत्म होने के बाद संचार लिंक खुले रहें और जल्दी से बहाल हो जाएं.

करवाल ने कहा कि भारी बारिश के कारण कुछ निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है और इसलिए हमारी टीमों के पास इन क्षेत्रों से लोगों को बचाने के लिए हवा वाली नावें हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर, पूर्व और दक्षिण में पांच-पांच टीमों को तैयार रखा गया है और जरूरत पड़ने पर उन्हें भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विमानों द्वारा एयरलिफ्ट किया जा सकता है.

एनडीआरएफ ने पहले भी अपने काम का लोहा मनवाया है. ऐसे में जानते हैं क्यों पड़ी इस बल के गठन की जरूरत और कब हुआ इसका गठन. इस बल की ताकत क्या है.

  • 14/06/23#Cyclone"BIPARJOY"
    # Team 6 NDRF a/w civil administration evacuated 452 men, 390 women and 158 children from villages Dhragavndh, Pipar & Botau and shifted them to cyclone centers at 18 Bn BSF Camp, Vermanagar & Dayalpar in Lakhpat Tehsil of Kutch district respectively. pic.twitter.com/DPsoXnFzs7

    — 6 NDRF VADODARA (@6NDRFVADODARA) June 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्यों पड़ी एनडीआरएफ गठन की जरूरत : नब्बे के दशक के मध्य और उसके बाद आपदा प्रतिक्रिया और तैयारी पर अंतरराष्ट्रीय बहस और चर्चा हुई. इसी अवधि के दौरान भारत ने ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999), गुजरात भूकंप (2001) और हिंद महासागर सुनामी (2004) जैसी कुछ सबसे गंभीर प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया. तब भारत को एक ऐसा बल बनाने की आवश्यकता महसूस हुई जो कठिन परिस्थितियों में तेजी से लोगों को जान बचा सके.

  • Cyclone Warning for Saurashtra & Kutch Coasts: RED MESSAGE.VSCS BIPARJOY at 1530IST today near lat 22.85N and lon 67.7E about 100km WSW of Jakhau Port (Gujarat),150km WNW of Devbhumi Dwarka.Landfall process will commence near Jakhau Port from today evening,continue till midnight. pic.twitter.com/2QSFVq3K32

    — India Meteorological Department (@Indiametdept) June 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

जानिए कब हुआ एनडीआरएफ का गठन : 26 दिसंबर, 2005 को आपदा प्रबंधन अधिनियम को अधिनियमित किया गया. आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों, योजनाओं और दिशानिर्देशों को निर्धारित करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) का गठन किया गया. एनडीआरएफ देश भर में एक प्रतिष्ठित, अद्वितीय बल है जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आता है.

पहली चुनौती कोसी बाढ़ के दौरान सामने आई : एनडीआरएफ के लिए आपदा की पहली बड़ी परीक्षा 2008 में कोसी बाढ़ थी. 19 अगस्त 2008 को कोसी बैराज में दरार के तुरंत बाद एनडीआरएफ संसाधनों को बिहार ले जाया गया था. तीन अलग-अलग बटालियनों से 780 बाढ़ बचाव प्रशिक्षित कर्मियों को भेजा गया था.

अपनी स्थापना के बाद से एनडीआरएफ ने आपदा स्थितियों से निपटने में अपनी विशेषज्ञता और करुणा का प्रदर्शन करके लाखों देशवासियों का दिल जीतना जारी रखा है. ऐसी चुनौतियों की फेहरिस्त लंबी है.

  • जनवरी 2010 में बेल्लारी (कर्नाटक) में एक छह मंजिला इमारत ढह गई. एनडीआरएफ ने सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से सात दिनों तक चौबीसों घंटे के ऑपरेशन में फंसे हुए 20 जीवित पीड़ितों को बचाया और 29 शवों को निकाला.
  • अप्रैल 2012 में जालंधर (पंजाब) में एक बहुमंजिला फैक्ट्री इमारत के ढहने की घटना में, एनडीआरएफ ने मलबे के नीचे फंसे 12 जीवित पीड़ितों को सफलतापूर्वक बचाया और 19 शव भी बरामद किए.

केदारनाथ त्रासदी : 16-17 जून 2013 को केदारनाथ में भारी बारिश और बाढ़ की भयंकर तबाही आई. करीब साढ़े चार हजार लोग मारे गए. एनडीआरएफ ने इस त्रासदी में बड़ा राहत अभियान चलाया था.
कश्मीर में बचाईं हजारों जानें : सितंबर 2014 में जम्मू कश्मीर के कई जिलों में मूसलाधार बारिश के कारण विनाशकारी बाढ़ आई. एनडीआरएफ के लिए इतने बड़े पैमाने पर शहरी बाढ़ को संभालने का यह पहला अनुभव था. जिस समय एनडीआरएफ की टीमें अचानक आई बाढ़ के जवाब में श्रीनगर पहुंचीं, वहां पानी का विशाल विस्तार था, आधे-पानी में डूबे घरों के समूह, टूटे हुए पुल, सड़कें बह गई थीं और लाखों लोग छतों पर फंसे हुए थे. खराब संचार और बिजली आपूर्ति ने संकट को और बढ़ाया. एनडीआरएफ ने 50,000 से अधिक लोगों को बचाया और लगभग 80 टन राहत सामग्री वितरित की.

हर चुनौती में खुद को साबित करती है एनडीआरएफ
हर चुनौती में खुद को साबित करती है एनडीआरएफ
  • अक्टूबर 2014 में जब चक्रवात हुद-हुद ने पूर्वी भारतीय तट पर दस्तक दी, तो प्रभावित लोगों की जान बचाने के लिए एनडीआरएफ के कर्मी वहां मौजूद थे.

2015 में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में निर्माणाधीन सुरंग ढहने से दो श्रमिक नौ दिनों तक फंसे रहे. एनडीआरएफ ने मैराथन बचाव अभियान चलाकर उनको सुरक्षित निकाल लिया.

दिसंबर 2015 के महीने में अभूतपूर्व बारिश से तमिलनाडु और पुडुचेरी के कुछ हिस्सों में बाढ़ आ गई, जिसके परिणामस्वरूप चेन्नई और इसके उपनगरों में शहरी बाढ़ आ गई. एनडीआरएफ ने हवाई मार्ग से देश भर के विभिन्न स्थानों से 50 यूएसएआर टीमों को जुटाया और 14,000 से अधिक बाढ़ प्रभावित लोगों को समय पर निकाला.

विदेशों में भी ऊंचा किया भारत का नाम

mission accomplished team in Türkiye
तुर्की में मिशन पूरा करने वाली टीम

एनडीआरएफ ने न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी सफलता का झंडा गाड़ा है.मार्च-अप्रैल 2011 में जापान में तिहरी आपदा के जवाब में एनडीआरएफ के 46 कर्मियों द्वारा प्रदान की गई उत्कृष्ट सेवाओं ने भी एनडीआरएफ की ख्याति प्राप्त की है.

25 अप्रैल 2015 को नेपाल में 7.8 की तीव्रता वाला भूकंप आया. एनडीआरएफ के कर्मियों ने कुल 16 पीड़ितों में से 11 को जीवित मलबे से बाहर निकाला.

छह फरवरी 2023 को तुर्की और सीरिया में विनासकारी भूकंप आया. भारत ने बचाव दल के रूप में एनडीआरएफ की टीम भेजी. एनडीआरएफ की टीम ने 10 दिन तक बचाव कार्य किया. टीम जब भारत लौटी तो प्रधानमंत्री मोदी ने उसकी तारीफ की. मोदी ने कहा कि 'हमें आप पर गर्व है.'

ये है एनडीआरएफ की ताकत : 2006 में 8 बटालियनों के साथ NDRF का गठन किया गया था. वर्तमान में, एनडीआरएफ के पास 12 बटालियनों की क्षमता है और प्रत्येक बटालियन में 1149 कर्मचारी हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल में BSF, CISF, CRPF, ITBP, SSB और असम राइफल्स की 15 बटालियन शामिल हैं. प्रत्येक बटालियन में इंजीनियरों, तकनीशियनों, इलेक्ट्रीशियन, डॉग स्क्वॉड और मेडिकल/पैरामेडिक्स सहित प्रत्येक 45 कर्मियों की 18 स्व-निहित विशेषज्ञ खोज और बचाव दल हैं.

प्रत्येक बटालियन की कुल ताकत 1,149 है. सभी बटालियनों को प्राकृतिक और साथ ही मानव निर्मित आपदाओं से निपटने के लिए सुसज्जित और प्रशिक्षित किया गया है. बटालियनों को रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (CBRN) आपात स्थितियों के दौरान प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाता है.

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Last Updated : Jun 15, 2023, 11:03 PM IST
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