नई दिल्ली : कोरोना महामारी का प्रकोप कम नहीं हुआ कि ब्लैक फंगस ने भी लोगों में डर पैदा कर दिया है. इन दोनों महामारी के कारण अस्पताल प्रशासन की व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई है. इस कारण अस्पताल में लोगों की अन्य बीमारियों का पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस बीच सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ रही हैं. खासकर गर्भवती महिलाओं पर इन महामारियों का प्रभाव साफतौर पर दिख रहा है.
लॉकडाउन के कारण कई अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को बेहतर इलाज हेल्थकेयर संबंधी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. कई देशों में लॉकडाउन का असर कुछ ऐसा देखने को मिला, जिससे महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है. यहां तक कि कुछ महिलाएं कोविड के माहौल में गर्भवती होने से भी बच रही हैं.
इसलिए, राष्ट्रीय महिला आयोग इन असहाय और गर्भवती माताओं की सहायता करने के लिए आगे आया है. इसके लिए आयोग ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है.
हाल ही में, आयोग ने बताया, बेंगलुरु की एक 29 वर्षीय गर्भवती महिला को तत्काल एक वेंटिलेटर बेड की आवश्यकता थी. आयोग को संकट की इस घड़ी में मदद मांगने वाली गर्भवती महिलाओं के कुल 720 मामले मिले हैं.
राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया, आयोग के पास कई गर्भवती महिलाओं के केस आए, जिन्हें अस्पताल जाने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उनके रिश्तेदारों को चिकित्सा सहायता के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, आयोग बताना चाहता था कि इस कठिन समय में गर्भवती महिलाओं की सहायता कैसे की जा सकती है और आयोग इस प्रक्रिया में सकारात्मक भूमिका कैसे निभा सकता है? यह तब है जब हमने आपात स्थिति के दौरान गर्भवती महिलाओं की सहायता के लिए विशेष रूप से एक हेल्पलाइन शुरू करने का फैसला किया है.
उन्होंने आगे बताया, बीती 29 अप्रैल को हमने हेल्पलाइन नंबर जारी किया और तब से हमारी टीम कोविड-19 से लड़ने में सबसे आगे है और टीम के सदस्य चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. इसमें वे रोगियों को टेस्ट, उपचार, ऑक्सीजन सहायता, अस्पताल में भर्ती होने और टेलीकंसल्टेशन सेवाओं की व्यवस्था करने में मदद कर रहे हैं.
इसके अलावा, हेल्पलाइन की शुरुआत के साथ आयोग सामाजिक कार्यकर्ताओं, डॉक्टरों और मशहूर हस्तियों समेत कई लोगों से जुड़ा है, जो जरूरतमंदों तक पहुंच को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं.
कई राज्यों में लागू लॉकडाउन के कारण महिलाओं को डॉक्टरों से परामर्श लेने में आने वाली समस्या को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने डॉक्टरों को अपनी पहल का हिस्सा बनाने का फैसला किया है. इसके लिए आयोग ने डॉक्टरों को आगे आने और इसके लिए स्वेच्छा से काम करने का आह्वान किया. फिलहाल हमारे पास 20 से अधिक डॉक्टर हैं, जो महिलाओं को मुफ्त में टेलीकंसल्टेशन सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.
रेखा शर्मा ने बताया कि इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से डॉक्टरों को शामिल किया गया है, जिससे कि मरीज अपनी भाषा में तकलीफों को साझा कर सके. आयोग को उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से सहायता के लिए मदद के कॉल आ रहे हैं.
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