नई दिल्ली : NCRB की ताजा रिपोर्ट महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की धुंधली तस्वीर दिखाती है. जहां हत्या और बलात्कार के प्रयास के लिए देश में कुल दोषियों में से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में क्रमशः 22.5 प्रतिशत और 31.0 प्रतिशत दोषियों की हिस्सेदारी सबसे अधिक पाई गई है.
हाल ही में जारी नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) ने कहा है कि विभिन्न आईपीसी अपराधों के तहत 48,490 दोषियों में से देश में 29,475 हत्या के दोषी हैं. जो कुल दोषियों का 60.8 प्रतिशत है. मध्य प्रदेश (10,952) ने देश में सबसे अधिक दोषियों की जानकारी दी है, जो कि देश में कुल दोषियों का 22.6 प्रतिशत है.
हालांकि हत्या के दोषियों की तुलना में अन्य आईपीसी अपराधों में दोषियों की संख्या कम है. रिपोर्ट में कहा गया है अन्य प्रमुख जिनमें महत्वपूर्ण दोषियों को हत्या के प्रयास (3591) के बाद चोरी (2775) और बलात्कार (2512) के तहत सजा सुनाई गई है. गौरतलब है कि देश की विभिन्न जेलों में कुल 10287 दोषियों को विशेष और स्थानीय कानूनों के तहत अपराध करने के आरोप में बंद किया गया है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट (NCRB report) में कहा गया है कि उच्चतम दोषी (24.9 प्रतिशत) एनडीपीएस अधिनियम के तहत हैं जबकि भारतीय रेलवे अधिनियम (11.8 प्रतिशत), शस्त्र अधिनियम (8.1 प्रतिशत) दहेज निषेध अधिनियम (7.4 प्रतिशत), आबकारी अधिनियम (7.2 प्रतिशत) विज्ञापन निषेध के तहत पाए गए.
मध्य प्रदेश ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत सबसे अधिक 468 दोषियों की जानकारी मिली है. उसके बाद राजस्थान (373) का स्थान है. देश में शस्त्र अधिनियम के तहत सजा काट रहे 831 दोषियों में से 227 बिहार से कुल दोषियों का 27.3 प्रतिशत हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों में कहा गया है कि रेलवे अधिनियम के तहत सबसे ज्यादा 27.8 फीसदी दोषी महाराष्ट्र से रिपोर्ट किए गए हैं.
विचाराधीन मुद्दे का जिक्र करते हुए एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 110407 विचाराधीन लोगों को आईपीसी अपराध करने के लिए जेलों में रखा गया था. एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 35947 लोगों पर हत्या करने का मुकदमा चल रहा है, जो कुल विचाराधीन 32.6 प्रतिशत का सबसे अधिक हिस्सा है. जो कुल मिलाकर देश में हत्या के लिए विचाराधीन कुल का 32.6 प्रतिशत है.