जयपुर. दुष्कर्म के मामलों में राजस्थान देश में पहले पायदान पर है, जबकि भीलवाड़ा जिला प्रदेश का ऐसा जिला है, जहां दुष्कर्म के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2022 की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए हैं. यह रिपोर्ट पिछले दिनों जारी हुई थी. बता दें कि भीलवाड़ा साल 2023 में भी भट्टी कांड की वजह से सुर्खियों में रहा था. जहां कोटड़ी इलाके में एक नाबालिग से रेप के बाद उसे भट्टी में जला दिया गया. दरअसल, एनसीआरबी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2022 में राजस्थान में दुष्कर्म के 5,399 मामले सामने आए हैं. जो देश में सबसे ज्यादा हैं. इस लिहाज से राजस्थान बलात्कार के मामलों में देश में टॉप पर है. जबकि साल 2022 में दुष्कर्म के सबसे ज्यादा 301 मामले भीलवाड़ा जिले में सामने आए हैं. इस लिहाज से भीलवाड़ा दुष्कर्म के मामलों को लेकर प्रदेश में टॉप पर है.
भरतपुर, उदयपुर में भी ज्यादा मामले : एनसीआरबी की रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 2022 में प्रदेश में दुष्कर्म के सबसे ज्यादा मामले भीलवाड़ा में सामने आए, जबकि भरतपुर इस लिहाज से 288 केसों के साथ दूसरे पायदान पर है. वहीं, उदयपुर में दुष्कर्म के 283, अलवर में 253 और अजमेर में 206 मुकदमे दर्ज हुए हैं.
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महिला उत्पीड़न के मामलों में भी इजाफा : यह रिपोर्ट बताती है कि दुष्कर्म के साथ ही महिला उत्पीड़न के मुकदमों का ग्राफ भी प्रदेश में तेजी से बढ़ा है. जहां साल 2020 में महिला उत्पीड़न के 34,535 मुकदमे दर्ज हुए थे. वहीं, 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 40,738 तक पहुंच गया. यह ग्राफ साल 2022 में भी तेजी से बढ़ा और उस साल महिला उत्पीड़न के 45,058 मुकदमे प्रदेशभर के थानों में दर्ज हुए.
राजस्थान दुष्कर्म में लगातार चार साल से टॉप पर : दुष्कर्म के मामलों को लेकर राजस्थान लगातार चौथे साल टॉप पर रहा है. साल 2019 में राजस्थान में बलात्कार के 5,997 मुकदमे दर्ज हुए थे. जबकि साल 2020 में यह आंकड़ा कुछ कम हुआ. उस साल 5,310 मुकदमे ऐसी घटनाओं के दर्ज हुए. जबकि 2021 में फिर ऐसे मुकदमों का ग्राफ बढ़ा और 6,337 मुकदमे दर्ज हुए. हालांकि, 2021 की तुलना में 2022 में केस कम हुए और 5,399 मुकदमे दर्ज हुए. लेकिन इन चारों साल देश में राजस्थान टॉप पर रहा.
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सियासत भी हुई जमकर : प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाओं पर राजनीती भी खूब हुई. भाजपा नेता अक्सर तत्कालीन गहलोत सरकार पर इन मामलों को लेकर हमलावर दिखे. कई बार विरोध प्रदर्शन भी हुए. हालांकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार यह कह चुके कि उनकी सरकार ने अनिवार्य एफआईआर की व्यवस्था की है. जिसके चलते आंकड़ें बढ़े हैं. अब सरकार बदलने के बाद इन आंकड़ों पर काबू पाना भाजपा सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती होगी.