कोझीकोड: राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) भारत का सबसे बड़ा वर्दीधारी युवा बल है, लेकिन आधिकारिक उदासीनता से इसे धीरे-धीरे खत्म करने के प्रयास जारी हैं. नाम न छापने के अनुरोध पर एनसीसी से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि आधिकारिक सुस्ती और भ्रष्टाचार अब हावी है. 22 नवंबर को अपना 74वां स्थापना दिवस मनाने जा रहे इस बल के सामने आने वाली समस्याओं पर केंद्र सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है.
देश में हर साल करीब 15 लाख कैडेट एनसीसी में दाखिला लेते हैं. केरल में यह संख्या करीब 1 लाख कैडेटों की है. कुछ समय पहले तक सभी कैडेटों को अपनी वर्दी मुफ्त में मिलती थी. वर्दी खरीद के लिए सेना के स्तर पर निविदा प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद इसे रोक दिया गया. केंद्र सरकार ने एलान किया कि यूनिफॉर्म की खरीद के लिए छात्रों के खातों में 3800 रुपये जमा कराए जाएंगे. हालांकि छात्रों के बैंक खातों में कमियों का हवाला देते हुए इस आदेश को जल्द ही वापस ले लिया गया था.
फिर एनसीसी के अधिकारियों ने वर्दी सिलने के लिए कपड़े बांटना शुरू किया. छात्रों से वर्दी की एक जोड़ी की सिलाई लागत के लिए 698 रुपये मांगे गए. अधिकारियों ने छात्रों को यह सुनिश्चित किया था कि यह पैसा उनके खातों में भुगतान किया जाएगा. कैडेटों के माता-पिता का कहना है कि कई मौकों पर भुगतान कभी नहीं हुआ. जूते और अन्य सामग्री की भी कमी रही. जब इस तरह के मुद्दे जारी रहे तो कुछ स्कूलों ने एनसीसी कैडेटों को वर्दी खरीदने के लिए 2000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है. छात्रों को बताया गया कि एक निजी कंपनी वर्दी और अन्य सामग्री की आपूर्ति करेगी. हालांकि जब एनसीसी मुख्यालय के साथ क्रॉस-चेकिंग की गई तो 'ईटीवी भारत' को पता चला कि उनके द्वारा ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है. हालांकि कैडेटों के लिए वर्दी और अन्य सामग्री की अनुपलब्धता के बारे में पूछे जाने पर एनसीसी मुख्यालय के अधिकारियों ने उचित जवाब देने से इनकार कर दिया.
छात्र कैडेट में ज्यादातर गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं. वह ऐसी स्थिति में हैं कि वर्दी के लिए भुगतान नहीं कर सकते. कैडेटों के लिए परेड शुरू होने पर वर्दी अनिवार्य होती है और सिर और रीढ़ की चोटों को रोकने के लिए जूते भी आवश्यक होते हैं, क्योंकि वे परेड के दौरान अपने पैरों पर जोर लगाते हैं. ऐसे में अधिकतर कैडेट अब अपने स्तर पर यह सब हासिल करने को मजबूर हैं.
'एसपीसी से प्रतिस्पर्धा' : केरल में एनसीसी कैडेटों का चयन कक्षा 8 और उससे ऊपर के छात्रों से किया जाता है. चयन प्रक्रिया जून में शुरू होती है और अंतिम जुलाई में समाप्त होती है. क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि अग्निपथ योजना शुरू होने के बाद केंद्र सरकार ने एनसीसी पर ध्यान लगभग छोड़ दिया है. 25 साल तक सेवा देन वाले एनसीसी के पूर्व एसोसिएट ऑफिसर जयराजन कल्पकसेरी (Jayarajan Kalpakassery) ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि 'एनसीसी आजकल गंभीर समस्या का सामना कर रहा है. इसे छात्र पुलिस कैडेट्स (एसपीसी) से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. एसपीसी को पुलिस अधिकारियों से प्रशिक्षण का पूरा कोर्स मिल रहा है. एनसीसी में किट की उपलब्धता की समस्या है. उनके पास पर्याप्त कपड़े, जूते, बेल्ट और अन्य चीजें नहीं हैं या उन्हें ठीक से नहीं मिल रहे हैं.'
उनका कहना है कि बटालियन कमांडिंग ऑफिसर्स के लगातार तबादले से भी फोर्स कमजोर हो रही है. उन्होंने कहा कि 'केंद्र सरकार का अब यह विचार है कि अग्निपथ योजना की शुरुआत के बाद एनसीसी की कोई गुंजाइश नहीं है. यदि वर्तमान स्थिति जारी रहती है तो एनसीसी में शामिल होने के लिए आगे आने वाले छात्रों की संख्या धीरे-धीरे कम हो जाएगी और बल का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.'
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