ETV Bharat / bharat

समीर वानखेड़े ने जाति प्रमाण पत्र जांच समिति की नोटिस को हाई कोर्ट में दी चुनौती

author img

By

Published : May 7, 2022, 1:53 PM IST

एनसीबी के पूर्व रीजनल निदेशक समीर वानखेडे़ ने जाति प्रमाण पत्र जांच समिति द्वारा जारी नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. साथ ही कोर्ट से अनुरोध किया है कि उसके केस को राज्य जांच समिति से केद्रीय जांच समिति को ट्रांसफर किया जाए.

समीर वानखेड़े
समीर वानखेड़े

मुंबई: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े ने जाति प्रमाण पत्र जांच समिति द्वारा जारी नोटिस को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. बता दें कि समिति ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उसका जाति प्रमाण पत्र जब्त किया जाए. मुंबई जिला जाति प्रमाण पत्र जांच समिति ने इस साल 29 अप्रैल को वानखेड़े को नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा था कि शिकायतों और दस्तावेजों के अवलोकन से साबित होता है कि वह (वानखेड़े) मुस्लिम धर्म से हैं. साथ ही उनसे कारण बताने के लिए कहा कि क्यों उनका जाति प्रमाण पत्र रद्द और जब्त नहीं किया जाना चाहिए.

4 मई को उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में, वानखेड़े ने दावा किया कि नोटिस "अवैध, मनमाना और उन्हें अपना बचाव करने का अवसर दिए बिना जारी किया गया. उन्होंने दोहराया कि वह महार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिसे अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में मान्यता प्राप्त है. उन्होंने जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करते समय न तो कोई झूठी जानकारी दी और न ही कोई गलत दस्तावेज दिया था. भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी ने दावा किया कि भले ही उनकी मां धर्म से मुस्लिम थीं, उन्होंने जन्म से ही हिंदू धर्म को माना और हिंदू प्रथाओं और रीति-रिवाजों का पालन किया था.

याचिकाकर्ता (वानखेड़े) के जन्म के समय, याचिकाकर्ता के पिता के ज्ञान और सहमति के बिना, नाम दाऊद के वानखेड़े को अस्पताल (पिता के नाम के रूप में) को गलत तरीके से मुहैया कराया गया था. साथ ही जन्म रजिस्टर में 'मुस्लिम' गलत तरीके से दर्ज किया गया था. जब वानखेड़े 10 साल के थे तब उनके पिता ने यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए कि उनका स्कूल रिकॉर्ड और जन्म रजिस्टर में उसका नाम सही किया गया. आईआरएस अधिकारी ने यह भी बताया कि एनसीपी नेता और राज्य मंत्री नवाब मलिक, जिन्होंने समिति में शिकायत दर्ज की थी, का कोई अधिकार नहीं था.

वानखेड़े ने कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि मलिक का यह आरोप कि वानखेड़े ने केंद्रीय सेवा परीक्षा देते समय संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को एक झूठा और मनगढ़ंत जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था. जो पूरी तरह से गलत और झूठा था. प्रतिवादी संख्या 6 (नवाब मलिक) है. केवल अपने पर्सनल रंजिश के तहत याचिकाकर्ता (वानखेड़े) को टार्गेट किया जा रहा है. यह कहते हुए कि समिति मलिक की शिकायत के आधार पर जांच नहीं कर सकती थी. जो वानखेड़े के खिलाफ एक व्यक्तिगत प्रतिशोध है. जबकि वह एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करता है. मलिक के दामाद समीर खान को गिरफ्तार किया था. याचिका में, वानखेड़े ने उच्च न्यायालय से समिति द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द करने और उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने या मामले की जांच करने या राज्य समिति से जांच को केंद्रीय समिति को स्थानांतरित करने की मांग की.

यह भी पढ़ें-अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ जालसाजी के आरोप में एफआईआर

पीटीआई

मुंबई: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े ने जाति प्रमाण पत्र जांच समिति द्वारा जारी नोटिस को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. बता दें कि समिति ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उसका जाति प्रमाण पत्र जब्त किया जाए. मुंबई जिला जाति प्रमाण पत्र जांच समिति ने इस साल 29 अप्रैल को वानखेड़े को नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा था कि शिकायतों और दस्तावेजों के अवलोकन से साबित होता है कि वह (वानखेड़े) मुस्लिम धर्म से हैं. साथ ही उनसे कारण बताने के लिए कहा कि क्यों उनका जाति प्रमाण पत्र रद्द और जब्त नहीं किया जाना चाहिए.

4 मई को उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में, वानखेड़े ने दावा किया कि नोटिस "अवैध, मनमाना और उन्हें अपना बचाव करने का अवसर दिए बिना जारी किया गया. उन्होंने दोहराया कि वह महार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिसे अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में मान्यता प्राप्त है. उन्होंने जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करते समय न तो कोई झूठी जानकारी दी और न ही कोई गलत दस्तावेज दिया था. भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी ने दावा किया कि भले ही उनकी मां धर्म से मुस्लिम थीं, उन्होंने जन्म से ही हिंदू धर्म को माना और हिंदू प्रथाओं और रीति-रिवाजों का पालन किया था.

याचिकाकर्ता (वानखेड़े) के जन्म के समय, याचिकाकर्ता के पिता के ज्ञान और सहमति के बिना, नाम दाऊद के वानखेड़े को अस्पताल (पिता के नाम के रूप में) को गलत तरीके से मुहैया कराया गया था. साथ ही जन्म रजिस्टर में 'मुस्लिम' गलत तरीके से दर्ज किया गया था. जब वानखेड़े 10 साल के थे तब उनके पिता ने यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए कि उनका स्कूल रिकॉर्ड और जन्म रजिस्टर में उसका नाम सही किया गया. आईआरएस अधिकारी ने यह भी बताया कि एनसीपी नेता और राज्य मंत्री नवाब मलिक, जिन्होंने समिति में शिकायत दर्ज की थी, का कोई अधिकार नहीं था.

वानखेड़े ने कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि मलिक का यह आरोप कि वानखेड़े ने केंद्रीय सेवा परीक्षा देते समय संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को एक झूठा और मनगढ़ंत जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था. जो पूरी तरह से गलत और झूठा था. प्रतिवादी संख्या 6 (नवाब मलिक) है. केवल अपने पर्सनल रंजिश के तहत याचिकाकर्ता (वानखेड़े) को टार्गेट किया जा रहा है. यह कहते हुए कि समिति मलिक की शिकायत के आधार पर जांच नहीं कर सकती थी. जो वानखेड़े के खिलाफ एक व्यक्तिगत प्रतिशोध है. जबकि वह एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करता है. मलिक के दामाद समीर खान को गिरफ्तार किया था. याचिका में, वानखेड़े ने उच्च न्यायालय से समिति द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द करने और उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने या मामले की जांच करने या राज्य समिति से जांच को केंद्रीय समिति को स्थानांतरित करने की मांग की.

यह भी पढ़ें-अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ जालसाजी के आरोप में एफआईआर

पीटीआई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.