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CRPF के लिए नई चुनौती बना नक्सलियों का बैरल ग्रेनेड लॉन्चर ! - बैरल ग्रेनेड लॉन्चर का उपयोग

नक्सलियों के गढ़ में सुरक्षा एजेंसियां भले ही पैठ बना रही हैं, लेकिन नक्सली संगठनों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. ईटीवी भारत संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

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बैरल ग्रेनेड लॉन्चर का उपयोग
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Published : May 4, 2022, 7:58 PM IST

Updated : May 4, 2022, 11:03 PM IST

नई दिल्ली : सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को ईटीवी भारत को बताया कि नक्सलियों ने बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (BGL) की मदद से उन इलाकों में 150-200 ग्रेनेड दागे हैं, जहां सीआरपीएफ के कई नए कैंप खोले गए हैं. सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा, 'हाल ही में, नक्सली बीजीएल का अधिकतम उपयोग कर रहे हैं. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें ये हथियार कहां से मिल रहे हैं.'

हाल के दिनों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कई जगहों से ऐसे कई ग्रेनेड बरामद हुए हैं, जो हमले के बाद फटे नहीं. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'प्रारंभिक जांच से पता चला है कि नक्सलियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे बीजीएल स्थानीय रूप से निर्मित किए गए हैं क्योंकि कई ग्रेनेड में विस्फोट नहीं हुआ था.' अधिकारी ने बताया, 'छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में बनाए गए नए सुरक्षा कैंप को निशाना बनाने के लिए इन कच्चे और तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों का उपयोग करने की कुछ घटनाएं हुई हैं. अब इन हमलों की तीव्रता बढ़ गई है.' अधिकारी ने कहा कि हमलों से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है, इसके अलावा कुछ समय पहले राज्य के सुकमा जिले के एक कैंप में एक रॉकेट लांचर में विस्फोट के बाद एक जवान को उसके मामूली छर्रे से चोट लगी थी.

नक्सलियों द्वारा उपयोग किए जा रहे बीजीएल में 250-300 मीटर की दूरी से लक्ष्य को भेदने की क्षमता है. अधिकारी ने कहा, 'उन्होंने (नक्सलियों ने) विशेष रूप से रात के समय बीजीएल का इस्तेमाल किया, क्योंकि इस तरह के हमले करने के बाद उनके लिए भागना आसान होता है.' अधिकारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्थित कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी दक्षिण बस्तर के एक जिले में एक आंगनवाड़ी केंद्र में लोहे के बने लांचर मिलने के बाद स्थानीय पुलिस को सूचना दी है.

सीआरपीएफ ने पिछले छह महीनों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के घने जंगलों में 20 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस स्थापित किए हैं. छत्तीसगढ़ में आठ, महाराष्ट्र में एक, झारखंड में चार, ओडिशा में चार, बिहार में एक और तेलंगाना में दो कैंप स्थापित किए गए हैं. अगले दो से तीन सालों में नक्सलियों का सफाया करने के उद्देश्य से, केंद्र सरकार ने पहले ही आठ राज्यों में 25 सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की पहचान की है.

झारखंड वामपंथी उग्रवाद (LWE) से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं, यहां के आठ जिले नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आते हैं. इसके बाद छत्तीसगढ़ का नंबर आता है, यहां के सात जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं. अधिकारी ने कहा, 'ऐसे समय में जब हम व्यापक नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं, साथ ही हम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए सड़कों, स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण सहित विकासात्मक गतिविधियां भी कर रहे हैं.'

यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में एक पुलिस कर्मी घायल

नई दिल्ली : सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को ईटीवी भारत को बताया कि नक्सलियों ने बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (BGL) की मदद से उन इलाकों में 150-200 ग्रेनेड दागे हैं, जहां सीआरपीएफ के कई नए कैंप खोले गए हैं. सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा, 'हाल ही में, नक्सली बीजीएल का अधिकतम उपयोग कर रहे हैं. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें ये हथियार कहां से मिल रहे हैं.'

हाल के दिनों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कई जगहों से ऐसे कई ग्रेनेड बरामद हुए हैं, जो हमले के बाद फटे नहीं. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'प्रारंभिक जांच से पता चला है कि नक्सलियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे बीजीएल स्थानीय रूप से निर्मित किए गए हैं क्योंकि कई ग्रेनेड में विस्फोट नहीं हुआ था.' अधिकारी ने बताया, 'छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में बनाए गए नए सुरक्षा कैंप को निशाना बनाने के लिए इन कच्चे और तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों का उपयोग करने की कुछ घटनाएं हुई हैं. अब इन हमलों की तीव्रता बढ़ गई है.' अधिकारी ने कहा कि हमलों से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है, इसके अलावा कुछ समय पहले राज्य के सुकमा जिले के एक कैंप में एक रॉकेट लांचर में विस्फोट के बाद एक जवान को उसके मामूली छर्रे से चोट लगी थी.

नक्सलियों द्वारा उपयोग किए जा रहे बीजीएल में 250-300 मीटर की दूरी से लक्ष्य को भेदने की क्षमता है. अधिकारी ने कहा, 'उन्होंने (नक्सलियों ने) विशेष रूप से रात के समय बीजीएल का इस्तेमाल किया, क्योंकि इस तरह के हमले करने के बाद उनके लिए भागना आसान होता है.' अधिकारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्थित कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी दक्षिण बस्तर के एक जिले में एक आंगनवाड़ी केंद्र में लोहे के बने लांचर मिलने के बाद स्थानीय पुलिस को सूचना दी है.

सीआरपीएफ ने पिछले छह महीनों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के घने जंगलों में 20 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस स्थापित किए हैं. छत्तीसगढ़ में आठ, महाराष्ट्र में एक, झारखंड में चार, ओडिशा में चार, बिहार में एक और तेलंगाना में दो कैंप स्थापित किए गए हैं. अगले दो से तीन सालों में नक्सलियों का सफाया करने के उद्देश्य से, केंद्र सरकार ने पहले ही आठ राज्यों में 25 सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की पहचान की है.

झारखंड वामपंथी उग्रवाद (LWE) से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं, यहां के आठ जिले नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आते हैं. इसके बाद छत्तीसगढ़ का नंबर आता है, यहां के सात जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं. अधिकारी ने कहा, 'ऐसे समय में जब हम व्यापक नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं, साथ ही हम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए सड़कों, स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण सहित विकासात्मक गतिविधियां भी कर रहे हैं.'

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Last Updated : May 4, 2022, 11:03 PM IST
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