रायपुर: छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग नक्सलवाद के दंश से लंबे अरसे से जूझ रहा है. Naxalites threat reduced in Bastar सुरक्षाकर्मियों पर हमले के अलावा आम जनता पर भी नक्सली जमकर कहर बरपाते आए हैं. Least Naxal incidents in 2022 कभी मुखबिरी तो कभी पुलिस का साथ देने के शक में नक्सली कई ग्रामीणों को मौत की नींद सुलाते थे, लेकिन नक्सलियों द्वारा आम जनता की हत्या में भी कमी देखी जा रही है. bastar latets news बस्तर संभाग में नक्सलियों ने साल 2022 में 28 लोगों की हत्या की है, जबकि साल 2021 में 34 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.
6 साल में 2415 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण: बस्तर रेंज में साल 2017- 18 में औसतन 470 नक्सल घटनाएं हुईं. साल 2021-22 में लगभग 207 नक्सल घटनाएं हुईं. यानी 6 साल में नक्सल घटनाओं में लगभग 56% की कमी आई है. साल 2017 से अब तक कुल 2415 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है.
विवरण | 2017 | 2018 | 2019 | 2020 | 2021 | 2022 |
नक्सल घटना | 489 | 462 | 305 | 316 | 331 | 183 |
जवानों पर नक्सल हमला | 185 | 151 | 107 | 109 | 82 | 57 |
आत्मसमर्पण | 368 | 464 | 311 | 342 | 551 | 379 |
आईडी विस्फोट | 70 | 74 | 38 | 50 | 21 | 21 |
शहीद जवान | 59 | 56 | 21 | 36 | 46 | 8 |
आम जनता की हत्या | 50 | 79 | 46 | 47 | 34 | 28 |
क्या कहते हैं अफसर: बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि "बस्तर संभाग में 7 जिले आते हैं. इन सातों जिलों के कई गांव में बड़ी संख्या में कैंप खोला गया है, जहां सुरक्षा बल के जवान 24 घंटे तैनात रहते हैं. वे सड़क, पुल पुलिया, स्कूल और भवनों के निर्माण में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. पिछले 12 सालों की तुलना में साल 2022 में सबसे कम नक्सली घटनाएं हुई हैं. नक्सली बैकफुट पर पहुंच गए हैं. यह पहली मर्तबा है, जब नक्सली घटना में हमारे सबसे कम जवानों की शहादत हुई है."
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट: नक्सल एक्सपर्ट डॉ. वर्णिका शर्मा बताती हैं "माओवादी क्षेत्रों में जब कैंप खोले जाते हैं तो उनका कैंप आगे बढ़ते जाता है. साल 2012-13 का वह समय था, जब यह सोचा जाता था कि कैंप खोला जा रहा है मतलब सिर्फ काउंटर इनसरजेंशी के लिए यानी यह लोग भी गन लेकर आए हैं. वहां पर लड़ाई करने वाले हैं. ऐसा एक आम जनता भी सोच में ले आती थी. माओवादी तो बिल्कुल ही ऐसा ही सोचते थे. क्योंकि रक्षा प्रतिरक्षा वाली बात आ जाती थी, लेकिन एक समय के बाद अब ऐसी स्थिति है कि कैंपो में जो पुलिस है, वह अपना घर छोड़कर बहुत दूर से आए होते हैं.
उनको भी आम जन के साथ संयोजन बैठाना होता है. कहीं ना कहीं एक नया फैक्टर जो पिछले दिनों वर्क किया है, वह कम्युनिटी पुलिस है. जिसने पुलिसिंग के स्वरूप को एक नया आयाम दिया है. लोग बहुत से क्षेत्रों में समझने लगे हैं कि कैंप की पुलिस सिर्फ हथियार लेकर नहीं आती, बल्कि वह कहीं ना कहीं सांस्कृतिक गतिविधियों में सामुदायिक पुलिसिंग के जरिए लोगों से पब्लिक रिलेशन डेवलप करने में, कई प्रकार के रोड निर्माण में, कई विकास की प्रक्रिया में भी सहभागी हो जाती है."