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Amit Shah Bastar tour: अमित शाह के दौरे से जवानों में होगा उत्साह का संचार, नक्सल फ्रंट पर मिलेगी मदद: डॉ वर्णिका शर्मा

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Published : Mar 24, 2023, 11:12 PM IST

यूनियन होम मिनिस्टर अमित शाह बस्तर दौरे पर हैं. अमित शाह का यह दौरा नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए कितना लाभदायक है. जवानों की मनोदशा और उनकी कार्यप्रणाली पर क्या प्रभाव पड़ेगा. ईटीवी भारत की टीम ने सैन्य मनोवैज्ञानिक और रक्षा विशेषज्ञ वर्णिका शर्मा से खास बातचीत की.

Amit Shah Bastar tour jawans get the benefit
अमित शाह बस्तर दौरे पर
अमित शाह के बस्तर दौरे से जवानों को कितना फायदा ?

रायपुर: नक्सल मामलों के जानकार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बस्तर दौरे को काफी अहम मान रहे हैं. खास तौर पर जवानों के साथ उनकी बातचीत और चर्चाओं को नक्सल एक्सपर्ट काफी अच्छा मान रहे हैं. रक्षा विशेषज्ञ वर्णिका शर्मा ने कहा कि इससे नक्सल मोर्चे पर काफी सकारात्मक असर देखने को मिलेगा.

सवाल: नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में जवान किन परिस्थितियों में काम करते हैं. उसका उनकी मनोदशा पर क्या प्रभाव पड़ता है?

जवाब : सुरक्षा बल के जवान, अपने काम और दायित्व के लिए सचेत रहते हैं. लेकिन वह भी आम आदमी ही हैं. शुरुआती दौर में तो ठीक है लेकिन लगातार चुनौतियों का सामना करने से मानसिक थकान हो जाती है. जवान लगातार विपरीत भौगालिक परिस्थितियों में पेट्रोलिंग और रेकी करते हैं. उनकी मानसिक थकान ही मानसिक अवसाद का रूप ले लेती है. माओवादी संघर्षों की चुनौती और माओवादियों का साइकोलॉजिकल वेपनरी सिस्टम, यानी मनोवैज्ञानिक युद्ध जवानों को और भी ज्यादा टॉर्चर करता है. जब कोई व्यक्ति किसी संस्था में काम कर रहा होता है तो उसके ऊपर एक जवाबदेही होती है. कई तरह के दबाव झेलते हुए सुरक्षा दायित्व निभाना पड़ता है.

सवाल : परिवार से दूर रहना भी क्या जवानों के तनाव की वजह हो सकती है?

जवाब: आजकल सभी के हाथ में मोबाइल है. कम्युनिकेशन का लेवल इतना है कि हर व्यक्ति मिनट टू मिनट इंफॉर्मेशन जानना चाहता है. जब जवान नक्सल एरिया में ड्यूटी करते हैं तो उन्हें परिवार की चिंता रहती है. ऐसे में कम्युनिकेशन नहीं हो पाने से जवान विचलित होते हैं.

ये भी पढ़ें: Bastar: छत्तीसगढ़ दौरे पर बस्तर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

सवाल : अमित शाह जवानों के बीच पहुंचे हैं. अन्य नेता, मंत्री या फिर उच्च अधिकारी उनके बीच पहुंचते हैं तो क्या इससे उनकी मनोदशा और कार्यप्रणाली पर कोई प्रभाव पड़ता है?

जवाब : जब कोई उच्च अधिकारी या देश का एक विशिष्ट मंत्री जवानों के बीच पहुंचता है तो जवान खुश होते हैं. आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है. यह उनके लिए बहुत बड़ा मोटिवेशनल फैक्टर होता है. निश्चित ही अमित शाह का आना जवानों के लिए प्रेरणादायक साबित होगा.

सवाल : क्या इन नेता, मंत्रियों के जवानों के बीच पहुंचने के बाद जवानों के काम पर असर पड़ता है. उनमें उत्साह का संचार होता है?

जवाब : एक प्रकार से यह बहुत अच्छा एक मलहम भी कह सकते हैं. यह प्रक्रिया एक साल में एक दो बार नहीं बल्कि लगातार होती रहनी चाहिए. उच्च अधिकारी, क्षेत्र के मंत्री और नेता जब जवानों के साथ समय बिताते हैं यह बहुत ही अच्छा फैक्टर साबित होता है.

अमित शाह के बस्तर दौरे से जवानों को कितना फायदा ?

रायपुर: नक्सल मामलों के जानकार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बस्तर दौरे को काफी अहम मान रहे हैं. खास तौर पर जवानों के साथ उनकी बातचीत और चर्चाओं को नक्सल एक्सपर्ट काफी अच्छा मान रहे हैं. रक्षा विशेषज्ञ वर्णिका शर्मा ने कहा कि इससे नक्सल मोर्चे पर काफी सकारात्मक असर देखने को मिलेगा.

सवाल: नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में जवान किन परिस्थितियों में काम करते हैं. उसका उनकी मनोदशा पर क्या प्रभाव पड़ता है?

जवाब : सुरक्षा बल के जवान, अपने काम और दायित्व के लिए सचेत रहते हैं. लेकिन वह भी आम आदमी ही हैं. शुरुआती दौर में तो ठीक है लेकिन लगातार चुनौतियों का सामना करने से मानसिक थकान हो जाती है. जवान लगातार विपरीत भौगालिक परिस्थितियों में पेट्रोलिंग और रेकी करते हैं. उनकी मानसिक थकान ही मानसिक अवसाद का रूप ले लेती है. माओवादी संघर्षों की चुनौती और माओवादियों का साइकोलॉजिकल वेपनरी सिस्टम, यानी मनोवैज्ञानिक युद्ध जवानों को और भी ज्यादा टॉर्चर करता है. जब कोई व्यक्ति किसी संस्था में काम कर रहा होता है तो उसके ऊपर एक जवाबदेही होती है. कई तरह के दबाव झेलते हुए सुरक्षा दायित्व निभाना पड़ता है.

सवाल : परिवार से दूर रहना भी क्या जवानों के तनाव की वजह हो सकती है?

जवाब: आजकल सभी के हाथ में मोबाइल है. कम्युनिकेशन का लेवल इतना है कि हर व्यक्ति मिनट टू मिनट इंफॉर्मेशन जानना चाहता है. जब जवान नक्सल एरिया में ड्यूटी करते हैं तो उन्हें परिवार की चिंता रहती है. ऐसे में कम्युनिकेशन नहीं हो पाने से जवान विचलित होते हैं.

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सवाल : अमित शाह जवानों के बीच पहुंचे हैं. अन्य नेता, मंत्री या फिर उच्च अधिकारी उनके बीच पहुंचते हैं तो क्या इससे उनकी मनोदशा और कार्यप्रणाली पर कोई प्रभाव पड़ता है?

जवाब : जब कोई उच्च अधिकारी या देश का एक विशिष्ट मंत्री जवानों के बीच पहुंचता है तो जवान खुश होते हैं. आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है. यह उनके लिए बहुत बड़ा मोटिवेशनल फैक्टर होता है. निश्चित ही अमित शाह का आना जवानों के लिए प्रेरणादायक साबित होगा.

सवाल : क्या इन नेता, मंत्रियों के जवानों के बीच पहुंचने के बाद जवानों के काम पर असर पड़ता है. उनमें उत्साह का संचार होता है?

जवाब : एक प्रकार से यह बहुत अच्छा एक मलहम भी कह सकते हैं. यह प्रक्रिया एक साल में एक दो बार नहीं बल्कि लगातार होती रहनी चाहिए. उच्च अधिकारी, क्षेत्र के मंत्री और नेता जब जवानों के साथ समय बिताते हैं यह बहुत ही अच्छा फैक्टर साबित होता है.

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