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'नव भारत साक्षरता कार्यक्रम' : शत प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य, अगस्त से शुरुआत - शत प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य

सरकार 2030 तक शत-प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगस्त माह से प्रौढ़ शिक्षा की नयी योजना 'नव भारत साक्षरता कार्यक्रम' शुरू करेगी. इसमें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न सुझावों एवं सिफारिशों को लागू किया जाएगा.

'नव भारत साक्षरता कार्यक्रम'
'नव भारत साक्षरता कार्यक्रम'
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Published : Jul 25, 2021, 8:01 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) के एक अधिकारी ने बताया है कि प्रौढ़ शिक्षा संबंधी यह केंद्र प्रायोजित नयी योजना वर्ष 2021-22 से 2025-26 के दौरान लागू की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के दायरे में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से देश में 15 वर्ष एवं इससे अधिक आयु वर्ग के पांच करोड़ निरक्षर लोगों को लाने का लक्ष्य रखा गया है.

सूत्रों ने बताया कि इस बारे में 24 एवं 26 जून 2021 को राज्यों के साथ डिजिटल माध्यम से समीक्षा बैठक हुई थी. इसमें यह सहमति बनी थी कि सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के पश्चात जुलाई 2021 में 'पढ़ना-लिखना' अभियान समाप्त होने के बाद इसके स्थान पर 'नव भारत साक्षरता अभियान' शुरू होगा.

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस नए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के पांच आयाम हैं जिनमें बुनियादी साक्षरता एवं अंक ज्ञान, महत्वपूर्ण जीवन कौशल से जुड़ा ज्ञान, बुनियादी शिक्षा एवं व्यावसायिक कौशल विकास शामिल है.

व्यय वित्त समिति (ईएफसी) की सिफारिशों के अनुरूप इस कार्यक्रम पर 1037.90 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है जिसमें केंद्र का हिस्सा 700 करोड़ रुपये और राज्यों का हिस्सा 337.90 करोड़ रुपये होगा. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021-22 के बजट प्रस्ताव में प्रौढ़ शिक्षा से संबंधित योजना के बारे में घोषणा की गई थी.

मार्च के महीने में केंद्रीय स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में 35 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों, राज्य परियोजना निदेशकों एवं प्रदेश साक्षरता मिशन अधिकारियों ने हिस्सा लिया था और सुझाव दिए थे. उन्होंने अपने-अपने प्रदेशों में इस योजना को लागू करने पर सहमति व्यक्त की थी.

सरकार ने 15 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को साक्षर बनाने के लिए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के तहत 'पढ़ना-लिखना अभियान' शुरू किया था जो इस महीने समाप्त हो जाएगा. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रौढ़ शिक्षा को लेकर कई सिफारिशें की गई हैं, ऐसे में नयी योजना में इन सिफारिशों को शामिल किया जाएगा.

इस नयी योजना को 'पढ़ना-लिखना अभियान' के कुछ पहलुओं से जोड़कर आगे बढ़ाया जाएगा और इसमें जीवन कौशल एवं अन्य तत्वों का समावेश किया जाएगा. इसमें महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य वंचित समूहों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें- उपराष्ट्रपति ने समझाया साक्षरता का महत्व, बोले- पढ़ने से व्यक्तित्व का होगा विकास

इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि इसमें उन जिलों को प्राथमिकता मिलेगी जहां वर्तमान जनसंख्या के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर 60 प्रतिशत से नीचे है. इस योजना में जागरूकता अभियान के तहत गांव, पंचायत, प्रखंड और शहरों में गोष्ठियां होंगी तथा इसमें पंचायती राज संस्थान, महिला मंडल, शैक्षणिक संस्थान, स्वयंसेवी संगठनों को शामिल किया जाएगा.

अधिकारियों का कहना है कि इसके तहत पाठ्य सामग्री एवं पाठ्यक्रम बनाने का काम राज्यों का होगा. लोगों को साक्षर बनाने के साथ समाचारपत्र का शीर्षक पढ़ने, यातायात चिह्न समझने, आवेदन पत्र भरने, चिट्ठी लिखने-पढ़ने, दो अंकों का जोड़, घटाना, गुणा, भाग का ज्ञान दिया जाएगा. इसके तहत राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान (एनआईओएस) साक्षरता मूल्यांकन के विषय पर नजर रखेगा.

(भाषा)

नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) के एक अधिकारी ने बताया है कि प्रौढ़ शिक्षा संबंधी यह केंद्र प्रायोजित नयी योजना वर्ष 2021-22 से 2025-26 के दौरान लागू की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के दायरे में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से देश में 15 वर्ष एवं इससे अधिक आयु वर्ग के पांच करोड़ निरक्षर लोगों को लाने का लक्ष्य रखा गया है.

सूत्रों ने बताया कि इस बारे में 24 एवं 26 जून 2021 को राज्यों के साथ डिजिटल माध्यम से समीक्षा बैठक हुई थी. इसमें यह सहमति बनी थी कि सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के पश्चात जुलाई 2021 में 'पढ़ना-लिखना' अभियान समाप्त होने के बाद इसके स्थान पर 'नव भारत साक्षरता अभियान' शुरू होगा.

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस नए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के पांच आयाम हैं जिनमें बुनियादी साक्षरता एवं अंक ज्ञान, महत्वपूर्ण जीवन कौशल से जुड़ा ज्ञान, बुनियादी शिक्षा एवं व्यावसायिक कौशल विकास शामिल है.

व्यय वित्त समिति (ईएफसी) की सिफारिशों के अनुरूप इस कार्यक्रम पर 1037.90 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है जिसमें केंद्र का हिस्सा 700 करोड़ रुपये और राज्यों का हिस्सा 337.90 करोड़ रुपये होगा. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021-22 के बजट प्रस्ताव में प्रौढ़ शिक्षा से संबंधित योजना के बारे में घोषणा की गई थी.

मार्च के महीने में केंद्रीय स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में 35 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों, राज्य परियोजना निदेशकों एवं प्रदेश साक्षरता मिशन अधिकारियों ने हिस्सा लिया था और सुझाव दिए थे. उन्होंने अपने-अपने प्रदेशों में इस योजना को लागू करने पर सहमति व्यक्त की थी.

सरकार ने 15 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को साक्षर बनाने के लिए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के तहत 'पढ़ना-लिखना अभियान' शुरू किया था जो इस महीने समाप्त हो जाएगा. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रौढ़ शिक्षा को लेकर कई सिफारिशें की गई हैं, ऐसे में नयी योजना में इन सिफारिशों को शामिल किया जाएगा.

इस नयी योजना को 'पढ़ना-लिखना अभियान' के कुछ पहलुओं से जोड़कर आगे बढ़ाया जाएगा और इसमें जीवन कौशल एवं अन्य तत्वों का समावेश किया जाएगा. इसमें महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य वंचित समूहों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें- उपराष्ट्रपति ने समझाया साक्षरता का महत्व, बोले- पढ़ने से व्यक्तित्व का होगा विकास

इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि इसमें उन जिलों को प्राथमिकता मिलेगी जहां वर्तमान जनसंख्या के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर 60 प्रतिशत से नीचे है. इस योजना में जागरूकता अभियान के तहत गांव, पंचायत, प्रखंड और शहरों में गोष्ठियां होंगी तथा इसमें पंचायती राज संस्थान, महिला मंडल, शैक्षणिक संस्थान, स्वयंसेवी संगठनों को शामिल किया जाएगा.

अधिकारियों का कहना है कि इसके तहत पाठ्य सामग्री एवं पाठ्यक्रम बनाने का काम राज्यों का होगा. लोगों को साक्षर बनाने के साथ समाचारपत्र का शीर्षक पढ़ने, यातायात चिह्न समझने, आवेदन पत्र भरने, चिट्ठी लिखने-पढ़ने, दो अंकों का जोड़, घटाना, गुणा, भाग का ज्ञान दिया जाएगा. इसके तहत राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान (एनआईओएस) साक्षरता मूल्यांकन के विषय पर नजर रखेगा.

(भाषा)

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