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लेजर विकिरण से आंखों को बचा सकता है नील के पौधे से प्राप्त प्राकृतिक रंग : शोध - नील के पौधे से प्राप्त प्राकृतिक रंग

इंडिगो के पौधों से मिले प्राकृतिक रंग आंखों को लेजर से होने वाली हानि से बचा सकते हैं. विज्ञान एवं तकनीक विभाग ने इस बात की जानकारी दी है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 29, 2021, 8:00 PM IST

Updated : May 29, 2021, 8:28 PM IST

नई दिल्ली : वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि नील के पौधे से प्राप्त प्राकृतिक रंग मनुष्य की आंखों को हानिकारक लेजर विकिरण के प्रभाव से बचाने में समक्ष है. ये रंग पत्तियों के अर्क से प्राप्त किया जाता है.

विज्ञान एवं तकनीक विभाग ने शनिवार को एक बयान में कहा कि इसका उपयोग संभावित हानिकारक विकिरण को कमजोर करने और लेजर के उपयोग वाले वातावरण में संवेदनशील ऑप्टिकल उपकरणों एवं आखों को आकस्मिक नुकसान से बचाने के लिए 'ऑप्टिकल लिमिटर' (प्रकाश को सीमित करने वाला) विकसित करने के लिए किया जा सकता है.

नील के पौधे से प्राप्त नीले रंग का उपयोग वर्षों से कपड़ों की रंगाई में किया जाता है. हालांकि, अब कृत्रिम नीले रंग भी उपलब्ध हैं लेकिन प्राकृतिक नीला रंग अभी भी उपयोग में लाया जाता है.

पढ़ें :- मुंबई : ग्रामीणों को कोरोना से बचाने के लिए तैयार 109 साल की दादी के नुस्खे

रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट और बेंगलुरु के केनसरी स्कूल एंड कॉलेज के शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक नीले रंग के प्रकाशीय गुणों का अध्ययन किया और पाया कि यह मनुष्य की आंखों का हानिकारक लेजर विकिरणों के प्रभाव से बचाव कर सकता है.

भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीक विभाग द्वारा वित्तपोषित इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'ऑप्टिकल मटीरियल' में हुआ है.

नई दिल्ली : वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि नील के पौधे से प्राप्त प्राकृतिक रंग मनुष्य की आंखों को हानिकारक लेजर विकिरण के प्रभाव से बचाने में समक्ष है. ये रंग पत्तियों के अर्क से प्राप्त किया जाता है.

विज्ञान एवं तकनीक विभाग ने शनिवार को एक बयान में कहा कि इसका उपयोग संभावित हानिकारक विकिरण को कमजोर करने और लेजर के उपयोग वाले वातावरण में संवेदनशील ऑप्टिकल उपकरणों एवं आखों को आकस्मिक नुकसान से बचाने के लिए 'ऑप्टिकल लिमिटर' (प्रकाश को सीमित करने वाला) विकसित करने के लिए किया जा सकता है.

नील के पौधे से प्राप्त नीले रंग का उपयोग वर्षों से कपड़ों की रंगाई में किया जाता है. हालांकि, अब कृत्रिम नीले रंग भी उपलब्ध हैं लेकिन प्राकृतिक नीला रंग अभी भी उपयोग में लाया जाता है.

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रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट और बेंगलुरु के केनसरी स्कूल एंड कॉलेज के शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक नीले रंग के प्रकाशीय गुणों का अध्ययन किया और पाया कि यह मनुष्य की आंखों का हानिकारक लेजर विकिरणों के प्रभाव से बचाव कर सकता है.

भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीक विभाग द्वारा वित्तपोषित इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'ऑप्टिकल मटीरियल' में हुआ है.

Last Updated : May 29, 2021, 8:28 PM IST
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