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चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए अलग से हैं कानून, पर नहीं थम रहे हमले

देशभर में गुरुवार को डॉक्टर्स डे (National doctors day) मनाया गया. डॉक्टरों के सेवाभाव की तारीफ भी की गई. विशेष रूप से कोरोना के समय में डॉक्टरों के समर्पण भाव की खूब सराहना हुई. लेकिन इन सबके बीच इसी दौरान कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिसने हम सबको शर्मसार कर दिया. सेवा करने वाले डॉक्टरों पर हमले किए गए. उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया. और ये सब तब हुआ, जबकि उनकी सुरक्षा के लिए अलग से कानून बने हैं.

National Doctors Day 2021, Bangalore News
डॉक्टर्स डे
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Published : Jul 1, 2021, 9:29 PM IST

बेंगलुरु : कोरोना काल में 'धरती के भगवान' यानी डॉक्टरों (National doctors day) ने जिस तरह से लोगों की सेवा की है वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है. इन सबके बीच देश में कई जगहों से ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं, जिनमे डॉक्टरों के साथ बुरा बर्ताव करते हुए उनके साथ मारपीट भी की गई है.

कर्नाटक में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए (National Doctors Day 2021 theme) प्रभावी कानून में साफ तौर पर प्रावधान है कि कार्य के दौरान डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी बगैर किसी भय के अपना काम कर सकें, लेकिन हकीकत में इसका कोई खास असर नहीं है.

दरअसल, कोरोना महामारी के बेहद कठिन समय में देश के कई राज्यों के साथ ही कर्नाटक में भी कई जगहों पर कोरोना वार्ड में काम कर रहे डॉक्टरों के साथ मारपीट और बदसलूकी की घटनाएं सामने आई. इससे लागू कानून की उपयोगिता पर भी सवाल उठाए गए.

पढ़ें: National Doctor's Day 2021: डॉक्टर साथी को मरते देख नहीं डगमगाए कदम, जिंदगी बचाना था मकसद

साल 2006 प्रभावी है कानून

कर्नाटक में साल 2006 में डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एक कानून बनाया गया है. इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि डॉक्टरों के साथ किसी तरह से दुर्व्यवहार करने पर आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा. साथ ही दोषी पाए जाने पर 3 साल की सजा भी इस कानून में निहित है.

ऐसे में इस कानून के माध्यम से सरकार डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ घटित होने वाली आपराधिक घटनाओं को रोक सकती है. इसके अतिरिक्त राज्य में लागू कर्नाटक महामारी रोग संशोधन की बात करें तो इसमें भी कार्य के दौरान बाधा पहुंचाने पर तीन महीने से एक साल तक की सजा के साथ ही पचास हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है.

जानें राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के बारे में

केंद्र सरकार ने 1991 में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाने की शुरुआत की थी. इस खास दिन देश के एक महान चिकित्सक की पुण्यतिथि‍ के तौर पर भी मनाया जाता है. देश के महान डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय की इस दिन यानी एक जुलाई को पुण्यत‍िथ‍ि भी होती है. इस दिन को उनकी याद के तौर पर भी मनाया जाता है.

राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस जीवन की सेवा में डॉक्टरों की भूमिका और जिम्मेदारियों के प्रति ध्यान देने के लिए मनाया जाता है. कोरोना के प्रकोप के बीच धरती के भगवान कहे जाने वाले ये चिकित्सक सप्‍ताह के सातों दिन 24 घंटे अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं. अपनी जान की परवाह किए बगैर डॉक्टरों ने जिस सेवा भाव और समर्पण से काम किया आज यानी राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर उन्हें सलाम करने का समय है.

बेंगलुरु : कोरोना काल में 'धरती के भगवान' यानी डॉक्टरों (National doctors day) ने जिस तरह से लोगों की सेवा की है वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है. इन सबके बीच देश में कई जगहों से ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं, जिनमे डॉक्टरों के साथ बुरा बर्ताव करते हुए उनके साथ मारपीट भी की गई है.

कर्नाटक में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए (National Doctors Day 2021 theme) प्रभावी कानून में साफ तौर पर प्रावधान है कि कार्य के दौरान डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी बगैर किसी भय के अपना काम कर सकें, लेकिन हकीकत में इसका कोई खास असर नहीं है.

दरअसल, कोरोना महामारी के बेहद कठिन समय में देश के कई राज्यों के साथ ही कर्नाटक में भी कई जगहों पर कोरोना वार्ड में काम कर रहे डॉक्टरों के साथ मारपीट और बदसलूकी की घटनाएं सामने आई. इससे लागू कानून की उपयोगिता पर भी सवाल उठाए गए.

पढ़ें: National Doctor's Day 2021: डॉक्टर साथी को मरते देख नहीं डगमगाए कदम, जिंदगी बचाना था मकसद

साल 2006 प्रभावी है कानून

कर्नाटक में साल 2006 में डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एक कानून बनाया गया है. इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि डॉक्टरों के साथ किसी तरह से दुर्व्यवहार करने पर आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा. साथ ही दोषी पाए जाने पर 3 साल की सजा भी इस कानून में निहित है.

ऐसे में इस कानून के माध्यम से सरकार डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ घटित होने वाली आपराधिक घटनाओं को रोक सकती है. इसके अतिरिक्त राज्य में लागू कर्नाटक महामारी रोग संशोधन की बात करें तो इसमें भी कार्य के दौरान बाधा पहुंचाने पर तीन महीने से एक साल तक की सजा के साथ ही पचास हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है.

जानें राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के बारे में

केंद्र सरकार ने 1991 में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाने की शुरुआत की थी. इस खास दिन देश के एक महान चिकित्सक की पुण्यतिथि‍ के तौर पर भी मनाया जाता है. देश के महान डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय की इस दिन यानी एक जुलाई को पुण्यत‍िथ‍ि भी होती है. इस दिन को उनकी याद के तौर पर भी मनाया जाता है.

राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस जीवन की सेवा में डॉक्टरों की भूमिका और जिम्मेदारियों के प्रति ध्यान देने के लिए मनाया जाता है. कोरोना के प्रकोप के बीच धरती के भगवान कहे जाने वाले ये चिकित्सक सप्‍ताह के सातों दिन 24 घंटे अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं. अपनी जान की परवाह किए बगैर डॉक्टरों ने जिस सेवा भाव और समर्पण से काम किया आज यानी राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर उन्हें सलाम करने का समय है.

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