बेंगलुरु : कोरोना काल में 'धरती के भगवान' यानी डॉक्टरों (National doctors day) ने जिस तरह से लोगों की सेवा की है वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है. इन सबके बीच देश में कई जगहों से ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं, जिनमे डॉक्टरों के साथ बुरा बर्ताव करते हुए उनके साथ मारपीट भी की गई है.
कर्नाटक में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए (National Doctors Day 2021 theme) प्रभावी कानून में साफ तौर पर प्रावधान है कि कार्य के दौरान डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी बगैर किसी भय के अपना काम कर सकें, लेकिन हकीकत में इसका कोई खास असर नहीं है.
दरअसल, कोरोना महामारी के बेहद कठिन समय में देश के कई राज्यों के साथ ही कर्नाटक में भी कई जगहों पर कोरोना वार्ड में काम कर रहे डॉक्टरों के साथ मारपीट और बदसलूकी की घटनाएं सामने आई. इससे लागू कानून की उपयोगिता पर भी सवाल उठाए गए.
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साल 2006 प्रभावी है कानून
कर्नाटक में साल 2006 में डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एक कानून बनाया गया है. इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि डॉक्टरों के साथ किसी तरह से दुर्व्यवहार करने पर आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा. साथ ही दोषी पाए जाने पर 3 साल की सजा भी इस कानून में निहित है.
ऐसे में इस कानून के माध्यम से सरकार डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ घटित होने वाली आपराधिक घटनाओं को रोक सकती है. इसके अतिरिक्त राज्य में लागू कर्नाटक महामारी रोग संशोधन की बात करें तो इसमें भी कार्य के दौरान बाधा पहुंचाने पर तीन महीने से एक साल तक की सजा के साथ ही पचास हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है.
जानें राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के बारे में
केंद्र सरकार ने 1991 में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाने की शुरुआत की थी. इस खास दिन देश के एक महान चिकित्सक की पुण्यतिथि के तौर पर भी मनाया जाता है. देश के महान डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय की इस दिन यानी एक जुलाई को पुण्यतिथि भी होती है. इस दिन को उनकी याद के तौर पर भी मनाया जाता है.
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस जीवन की सेवा में डॉक्टरों की भूमिका और जिम्मेदारियों के प्रति ध्यान देने के लिए मनाया जाता है. कोरोना के प्रकोप के बीच धरती के भगवान कहे जाने वाले ये चिकित्सक सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं. अपनी जान की परवाह किए बगैर डॉक्टरों ने जिस सेवा भाव और समर्पण से काम किया आज यानी राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर उन्हें सलाम करने का समय है.