नई दिल्ली : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) को पत्र लिखकर सरस्वती शिशु मंदिर (Saraswati Shishu Mandir) के छात्रों के संबंध में उनके द्वारा की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया मांगी है.
आयोग का कहना है कि उनकी टिप्पणियां आईपीसी और जेजे अधिनियम (provisions of IPC & JJ Act), 2015 के प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं. इसके अलावा आयोग ने जांच के लिए एमपी डीजीपी को भी पत्र लिखा है.
आयोग की अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो ने एक शिकायत का संज्ञान लेते हुए सिंह को नोटिस भेजकर कहा कि वह इस मामले में तीन दिनों के भीतर जवाब दें.
बता दें कि उन्होंने हाल ही में कहा था कि सरस्वती शिशु मंदिर बचपन से बच्चों के दिल और दिमाग में दूसरे धर्मों के खिलाफ नफरत का बीज बोते हैं. वहीं नफरत का बीज धीरे-धीरे आगे बढ़कर देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ता है, सांप्रदायिक कटुता पैदा करता है, धार्मिक उन्माद फैलाता है और देश में दंगे फसाद होते हैं.
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इस दौरान सावरकर और धारा 370 पर बोलते हुए दिग्विजय ने कहा कि "अंग्रेजों ने सावरकर के जरिए लोगों के मन में नफरत पैदा करने का काम किया, उसके पहले देश में सांप्रदायिक सद्भाव रहता था. आजादी की लड़ाई में ना तो हिंदू महासभा ने, ना ही संघ ने और न ही मुस्लिम लीग ने भाग लिया. लोग यह सोचते हैं की श्यामा प्रसाद मुखर्जी धारा 370 लगाने के पक्षधर नहीं थे लेकिन जब कश्मीर में धारा 370 लगाने का प्रस्ताव पास हुआ तो उस दौरान श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल थे."