हैदराबाद : नासा के प्रायोगिक मार्स (मंगल) हेलीकॉप्टर इन्जेनुइटी ने लाल ग्रह की धूलभरी सतह से उड़ान भरी और इतिहास रच दिया. यह किसी अन्य ग्रह पर पहली नियंत्रित उड़ान है.
इस घटनाक्रम की तुलना राइट ब्रदर्स के प्रयोग से की जा रही है. सिर्फ 4 पाउंड (1.8 किलोग्राम) वजनी इन्जेनुइटी हेलीकॉप्टर ने 1903 के राइट फ्लायर के सरीखे विंग फैब्रिक के साथ उड़ान भरी. राइट फ्लायर ने उत्तर कैरोलिना के किटी हॉक में ऐसा ही इतिहास रचा था. उस उपलब्धि के सम्मान में उस विमान से कपड़े का एक टुकड़ा इन्जेनुइटी के अंदर रखा गया है.
हेलीकॉप्टर के मुख्य पायलट हावर्ड ग्रिप ने कहा, 'आल्टीमीटर के आंकड़ों से पुष्टि होती है कि इन्जेनुइटी ने अपनी पहली उड़ान भरी. किसी दूसरे ग्रह पर ऊर्जा संचालित वायुयान की पहली उड़ान.'
यह महज 39 सैकंड की छोटी उड़ान थी लेकिन सभी प्रमुख मानकों को पूरा किया गया.
परियोजना प्रबंधक मिमि आंग ने अपनी टीम के लिए घोषणा की, 'अब हम कह सकते हैं कि मनुष्य ने एक दूसरे ग्रह पर रोटरक्राफ्ट उड़ाया है.'
कैलीफोर्निया में उड़ान नियंत्रकों ने पर्सिवरेंस रोवर से डेटा मिलने के बाद इन्जेनुइटी की संक्षिप्त उड़ान की पुष्टि की. उसे 200 फुट (65 मीटर) से अधिक ऊंचाई तक उड़ते देखा गया.
इन्जेनुइटी के बारे में
द्रव्यमान | 1.8 किलोग्राम |
वजन | पृथ्वी पर 4 पाउंड; मंगल पर 1.5 पाउंड |
चौड़ाई | रोटार की कुल लंबाई: ~ 4 फीट (~ 1.2 मीटर) |
शक्ति | सौर पैनल लिथियम-आयन बैटरी को चार्ज करता है, जो प्रति दिन 90-सेकंड की उड़ान के लिए पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करता है. |
ब्लेड की लंबाई | करीब 4 फीट |
उड़ान रेंज | 980 फीट (300 मीटर) तक |
उड़ान की ऊंचाई | 15 फीट (5 मीटर) तक |
लागत | $85 मिलियन |
आंग ने सोमवार को नासा के एक वेब प्रसारण पर इसे 'सर्वश्रेष्ठ सपना' करार दिया था.
परियोजना की सफलता की अंतिम घोषणा के दौरान परिचालन केंद्र पर उत्साह और उमंग का माहौल देखा गया. इस घटनाक्रम की पहली ब्लैक एंड ह्वाइट तस्वीर जब स्क्रीनों पर उभरी तो वहां मौजूद लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था. इस तस्वीर में मंगल के ऊपर उड़ते इन्जेनुइटी की छाया नजर आई.
इसके बाद सतह पर उतरे हेलीकॉप्टर की रंगीन तस्वीर सामने आई. इस दौरान तो तालियों की गड़गड़ाहट और तेज हो गयी. यह तस्वीर पर्सिवरेंस से ली गयी थी.
इस हेलीकॉप्टर के ऊपर एक सौर पैनल लगा है जिससे बैटरियां रिचार्ज हो सकती हैं. मंगल पर रात में शून्य से 90 डिग्री सेल्सियस कम तापमान में रहने के लिए बैटरियों का रिचार्ज रहना जरूरी है.
नासा ने इन्जेनुइटी के एयरफील्ड के रूप में 33 फुट लंबे और 33 फुट चौड़े सपाट और चट्टान रहित स्थान को चुना था.
हेलीकॉप्टर को रोवर से तीन अप्रैल को एयरफील्ड में छोड़ा गया था. उड़ान के लिए निर्देश रविवार को भेजे गए थे.
मुख्य अद्देश्य
- मंगल ग्रह पर गुरुत्वाकर्षण कम है (पृथ्वी का लगभग एक तिहाई). इसका वायुमण्डल कम मोटा है, जिससे लिफ्ट उत्पन्न करना बहुत कठिन है.
- छोटे और हल्के विमानों की तकनीक का प्रदर्शन करना.
- ऑटोनॉमस तरीके से काम करना. इन्जेनुइटी पर लगे सोलर पैनल बैटरी को चार्ज करेंगे और उसके भीतर लगे हीटर की मदद से वह शून्य से 90 डिग्री कम तापमान में भी कार्य कर पाएगा.
- यह विमान या हेलीकॉप्टर भविष्य की में ड्रोन को डिजाइन करने में मदद करेगा. यहीं नहीं, हो सकता है आने वाले समय में यह मंगल ग्रह पर चल रहे शोध को बदल कर रख दे.