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नैनीताल हाईकोर्ट ने फेसबुक इंडिया के डायरेक्टर, केंद्र व राज्य सरकार को भेजा नोटिस, जानें क्या है मामला

नैनीताल हाईकोर्ट ने फेसबुक पर लोगों की फर्जी आईडी बनाकर उनकी फोटो और वीडियो के दुरुपयोग मामले में सख्त रुख अख्तियार किया है. मामले की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने डायरेक्टर फेसबुक इंडिया, केंद्र व राज्य सरकार, डीजीपी उत्तराखंड और एएसपी हरिद्वार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में अपना जवाब पेश करने को कहा है.

Nainital High Court
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Published : Sep 8, 2021, 3:05 PM IST

नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने फेसबुक पर लोगों की फर्जी आईडी बनाकर उनकी फोटो और वीडियो के दुरुपयोग मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने डायरेक्टर फेसबुक इंडिया, केंद्र व राज्य सरकार, डीजीपी उत्तराखंड और एएसपी हरिद्वार को नोटिस जारी किया है. साथ ही तीन सप्ताह में अपना जवाब पेश करने को कहा है.

हरिद्वार निवासी आलोक कुमार ने जनहित याचिका दायर कर कोर्ट में कहा है कि वे इस मामले में स्वयं भी पीड़ित हैं. साथ ही फेसबुक पर लोगों की फर्जी आईडी बनाकर फ्रेंड्स रिक्वेस्ट भेजी जा रही है. समय बाद फ्रेंड्स रिक्वेस्ट मंजूर कर लेने के बाद उनकी फोटो को एडिटिंग करके उनकी अश्लील वीडियो बनाई जा रही है और वीडियो के एवज में पैसे की मांग की गई है. साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि मांग पूरी न होने पर आपके इस वीडियो को घरवाले या दोस्तों को भेज दिया जाता है.

वहीं, याचिकाकर्ता के पास भी इसी तरह का वीडियो भेजा गया था. जब इसकी शिकायत उन्होंने एसएसपी हरिद्वार, डीजीपी और होम सेक्रेट्री से की तो इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में उनके द्वारा आरटीआई में पुलिस विभाग से पूछा गया कि अभी तक उत्तराखंड में इस तरह के कितने मामलों में एफआईआर दर्ज हुई, तो उनको बताया गया कि अभी 45 पीड़ितों ने इस सम्बन्ध में शिकायत की है, जो विचाराधीन है.

पढ़ें-रिटायर्ड कर्मियों के लिए बड़ी खबर, पेंशन से अनिवार्य कटौती नहीं हो सकती- हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह से सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. लोगों के अश्लील वीडियो बनाकर उनके दोस्तों व परिजनों को भेजना गलत है. ऐसे में पीड़ित लोग बिना वजह के आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. लोगों ने फेसबुक को कमाई का धंधा बना दिया है.

ऐसे में याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में कोर्ट से आग्रह किया है कि फेसबुक को यह निर्देश दिए जाएं कि इस तरह की अश्लील वीडियो डालने वाले लोगों की आईडी को ब्लॉक किया जाये. साथ ही सोशल मीडिया से अश्लीलता से भरे वीडियोज को भी हटाया जाए. वहीं, फेसबुक, केंद्र व राज्य सरकार के अलावा डीपीजी और एएसपी को निर्देश दिए जाएं कि एक ऐसा नम्बर जारी करें जिसमें पीड़ित अपनी शिकायत कर सकें.

नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने फेसबुक पर लोगों की फर्जी आईडी बनाकर उनकी फोटो और वीडियो के दुरुपयोग मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने डायरेक्टर फेसबुक इंडिया, केंद्र व राज्य सरकार, डीजीपी उत्तराखंड और एएसपी हरिद्वार को नोटिस जारी किया है. साथ ही तीन सप्ताह में अपना जवाब पेश करने को कहा है.

हरिद्वार निवासी आलोक कुमार ने जनहित याचिका दायर कर कोर्ट में कहा है कि वे इस मामले में स्वयं भी पीड़ित हैं. साथ ही फेसबुक पर लोगों की फर्जी आईडी बनाकर फ्रेंड्स रिक्वेस्ट भेजी जा रही है. समय बाद फ्रेंड्स रिक्वेस्ट मंजूर कर लेने के बाद उनकी फोटो को एडिटिंग करके उनकी अश्लील वीडियो बनाई जा रही है और वीडियो के एवज में पैसे की मांग की गई है. साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि मांग पूरी न होने पर आपके इस वीडियो को घरवाले या दोस्तों को भेज दिया जाता है.

वहीं, याचिकाकर्ता के पास भी इसी तरह का वीडियो भेजा गया था. जब इसकी शिकायत उन्होंने एसएसपी हरिद्वार, डीजीपी और होम सेक्रेट्री से की तो इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में उनके द्वारा आरटीआई में पुलिस विभाग से पूछा गया कि अभी तक उत्तराखंड में इस तरह के कितने मामलों में एफआईआर दर्ज हुई, तो उनको बताया गया कि अभी 45 पीड़ितों ने इस सम्बन्ध में शिकायत की है, जो विचाराधीन है.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह से सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. लोगों के अश्लील वीडियो बनाकर उनके दोस्तों व परिजनों को भेजना गलत है. ऐसे में पीड़ित लोग बिना वजह के आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. लोगों ने फेसबुक को कमाई का धंधा बना दिया है.

ऐसे में याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में कोर्ट से आग्रह किया है कि फेसबुक को यह निर्देश दिए जाएं कि इस तरह की अश्लील वीडियो डालने वाले लोगों की आईडी को ब्लॉक किया जाये. साथ ही सोशल मीडिया से अश्लीलता से भरे वीडियोज को भी हटाया जाए. वहीं, फेसबुक, केंद्र व राज्य सरकार के अलावा डीपीजी और एएसपी को निर्देश दिए जाएं कि एक ऐसा नम्बर जारी करें जिसमें पीड़ित अपनी शिकायत कर सकें.

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