कोहिमा : एनएससीएन (आईएम) ने शनिवार को कहा कि नए केंद्रीय वार्ताकार के साथ बातचीत 'अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही' और वह अलग ध्वज तथा येहजाबो (संविधान या संविधान में एक अध्याय) की नगा मांग का समाधान नहीं निकाल पाए.
नगा विद्रोही समूह का कड़ा बयान नए वार्ताकार एके मिश्रा की नियुक्ति के एक महीने के भीतर आया है, जो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं तथा इंटेलिजेंस ब्यूरो में पूर्वोत्तर मामलों में विशेषज्ञता रखते हैं. उन्हें नगालैंड के पूर्व राज्यपाल आरएन रवि की जगह वार्ताकार नियुक्त किया गया है.
शांति समझौता करने वाले मुख्य विद्रोही समूह एनएससीएन (आईएम) ने सरकार पर 'उन मुद्दों पर राजनीतिक पलायन' में शामिल होने का आरोप लगाया, जो नगा समाधान के रास्ते को रोक रहे हैं.
भारत सरकार अब तक एक अलग संविधान या भारतीय संविधान में नगालैंड पर एक अध्याय और एक अलग ध्वज की नगा गुटों की मांगों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.
बता दें, नगा शांति समझौते पर केंद्र सरकार और NSCN (IM) के बीच पिछले 23 वर्षों से बातचीत चल रही है.
केंद्र सरकार और एनएससीएन (आईएम) ने 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. 18 साल तक 80 से अधिक दौर की वार्ता के बाद ऐसा हो पाया था. वर्ष 1997 में दशकों बाद दोनों पक्षों के बीच संघर्षविराम समझौता हुआ था. नगालैंड में 1947 में आजादी के शीघ्र बाद ही उग्रवाद ने सिर उठा लिया था.
केंद्र और एनएससीएन (आईएम) के बीच तब वार्ता थम गई थी, जब एनएससीएन (आईएम) ने दीमापुर में 31 अक्टूबर, 2019 में वार्ता के बाद केंद्र के पिछले वार्ताकार आरएन रवि के साथ वार्ता जारी रखने से इनकार कर दिया था.
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NSCN (IM) पूर्ण संप्रभुता की अपनी मांग से एक कदम पीछे साझा संप्रभुता की मांग कर रहा है. वहीं, केंद्र सरकार ने 'ग्रेटर नगालिम' की मांग कर रहे संगठन को एक अलग झंडा और एक अलग संविधान देने से भी इनकार कर दिया था.
(पीटीआई-भाषा)