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'लॉकडाउन के कठिन समय में तमिलनाडु में मनरेगा योजना एक वरदान - मनरेगा वेतन

इस योजना से दैनिक मजदूर की आजीविका चल रही है. इस बात के लिए सरकार की सराहना करते हुए एन. वीरा सेकरन ने कहा कि इस योजना में मजदूरी को 100 से बढ़ाकर 150 दिनों तक करनी चाहिए.

मनरेगा
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Published : May 13, 2021, 10:00 AM IST

चेन्नई : कोरोना वायरस की मार पूरा देश झेल रहा है. छोटे-बड़े कारोबारियों का धंधा चौपट हो रहा है. शहर और गांव के मजदूरों पर वायरस दुखों का पहाड़ बनकर उभरा है. ऐसे से समय में जब पूरे देश में फैले कोरोना महामारी के मद्देनजर गांवों में रहने वाले लोग राज्य में लॉकडाउन के प्रभाव से जूझ रहे हैं.

संक्रमण के मामले रोजाना बढ़ रहे हैं. इस कठिन समय में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) ग्रामीणों के लिए एक वरदान के रूप में साबित हुई है. इस योजना के तहत तमिलनाडु के 80 लाख जरूरतमंदों को काम मिला है, जिससे इन मजदूरों के परिवारों के लाखों लोगों को इस योजना का लाभ मिल रहा है.

मनरेगा
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सबसे अहम बात यह है कि कोरोना काल में भी सरकार ने कोरोना प्रोटोकॉल (मास्क पहना और सोशल डिस्टेंसिंग) के तहत मनरेगा में काम की अनुमति दी हुई है. ऐसे में एन. वीरासेकरन ने ईटीवी से बात करते हुए मनरेगा योजना पर अपनी राय रखी.

मनरेगा
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मजदूरी को 100 से 150 दिनों तक करने के लिए याचिका

इस विषय की जानकारी रखने वाले एन.वीरा सेकरन ने बताया कि, गांव के मजदूरों के लिए मनरेगा एक वरदान है. खासतौर पर ऐसे समय में जब पूरा देश लॉकडाउन में घरों में कैद है. इस योजना से दैनिक मजदूर की आजीविका चल रही है. इस बात के लिए सरकार की सराहना करते हुए एन. वीरा सेकरन ने कहा कि इस योजना में मजदूरी को 100 से बढ़ाकर 150 दिनों तक करनी चाहिए.

वहीं, मनरेगा के खंड विकास अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि योजना के तहत मजूहरों को समय पर दिहाड़ी दी जाएगी. योजना के लॉन्च होने के वक्त मजदूर को एक दिन के 180 रुपये मेहनताना मिलता था. कुछ समय बाद इसे 229 रूपये किया गया और बीते वर्ष केंद्र के आदेश पर मनरेगा मजदूरी को 256 रुपये किया गया.

तमिलनाडु सरकार ने अपने सरकारी राजपत्र में मनरेगा वेतन में बढ़ोतरी को छापा था. बता दें, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में मनरेगा के तहत लोगों को 100 दिन की मजदूरी मिलती है जिसे अब 150 दिनों की करने की मांग की गई है ताकि इस लॉकडाउन के इस कठोर समय में गांव के मजदूर अपने परिवार को दो वक्त का खाना दे सकें.

ये भी पढ़ें : सिर्फ छह मिनट में कोरोना संक्रमित खुद करें निमोनिया की पहचान

मनेरगा का इतिहास

कांग्रेंस सरकार ने साल 2006 में देशभर के 200 जिलों में मनरेगा योजना लॉन्च की थी. मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूर रोजाना आठ घंटे काम करते हैं. बाद में देश के हर राज्य में इस योजना को लागू कर दिया गया. वहीं, तमिलनाडु में यह योजना 2 फरवरी, 2006 को सबसे पहले कुड्डलोर, डिंडीगुल, नागपट्टिनम, शिवगंगा, तिरुवन्नामलाई और रामनाथपुरम जिले में लान्च की गई थी. बाद में इस योजना का विस्तार राज्य के हर जिले में किया गया.

चेन्नई : कोरोना वायरस की मार पूरा देश झेल रहा है. छोटे-बड़े कारोबारियों का धंधा चौपट हो रहा है. शहर और गांव के मजदूरों पर वायरस दुखों का पहाड़ बनकर उभरा है. ऐसे से समय में जब पूरे देश में फैले कोरोना महामारी के मद्देनजर गांवों में रहने वाले लोग राज्य में लॉकडाउन के प्रभाव से जूझ रहे हैं.

संक्रमण के मामले रोजाना बढ़ रहे हैं. इस कठिन समय में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) ग्रामीणों के लिए एक वरदान के रूप में साबित हुई है. इस योजना के तहत तमिलनाडु के 80 लाख जरूरतमंदों को काम मिला है, जिससे इन मजदूरों के परिवारों के लाखों लोगों को इस योजना का लाभ मिल रहा है.

मनरेगा
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सबसे अहम बात यह है कि कोरोना काल में भी सरकार ने कोरोना प्रोटोकॉल (मास्क पहना और सोशल डिस्टेंसिंग) के तहत मनरेगा में काम की अनुमति दी हुई है. ऐसे में एन. वीरासेकरन ने ईटीवी से बात करते हुए मनरेगा योजना पर अपनी राय रखी.

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मजदूरी को 100 से 150 दिनों तक करने के लिए याचिका

इस विषय की जानकारी रखने वाले एन.वीरा सेकरन ने बताया कि, गांव के मजदूरों के लिए मनरेगा एक वरदान है. खासतौर पर ऐसे समय में जब पूरा देश लॉकडाउन में घरों में कैद है. इस योजना से दैनिक मजदूर की आजीविका चल रही है. इस बात के लिए सरकार की सराहना करते हुए एन. वीरा सेकरन ने कहा कि इस योजना में मजदूरी को 100 से बढ़ाकर 150 दिनों तक करनी चाहिए.

वहीं, मनरेगा के खंड विकास अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि योजना के तहत मजूहरों को समय पर दिहाड़ी दी जाएगी. योजना के लॉन्च होने के वक्त मजदूर को एक दिन के 180 रुपये मेहनताना मिलता था. कुछ समय बाद इसे 229 रूपये किया गया और बीते वर्ष केंद्र के आदेश पर मनरेगा मजदूरी को 256 रुपये किया गया.

तमिलनाडु सरकार ने अपने सरकारी राजपत्र में मनरेगा वेतन में बढ़ोतरी को छापा था. बता दें, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में मनरेगा के तहत लोगों को 100 दिन की मजदूरी मिलती है जिसे अब 150 दिनों की करने की मांग की गई है ताकि इस लॉकडाउन के इस कठोर समय में गांव के मजदूर अपने परिवार को दो वक्त का खाना दे सकें.

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मनेरगा का इतिहास

कांग्रेंस सरकार ने साल 2006 में देशभर के 200 जिलों में मनरेगा योजना लॉन्च की थी. मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूर रोजाना आठ घंटे काम करते हैं. बाद में देश के हर राज्य में इस योजना को लागू कर दिया गया. वहीं, तमिलनाडु में यह योजना 2 फरवरी, 2006 को सबसे पहले कुड्डलोर, डिंडीगुल, नागपट्टिनम, शिवगंगा, तिरुवन्नामलाई और रामनाथपुरम जिले में लान्च की गई थी. बाद में इस योजना का विस्तार राज्य के हर जिले में किया गया.

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